नई दिल्ली: नवरात्रों में शक्ति स्वरूपा (Shakti Swarupa) मां दुर्गा की आराधना की जाती है. वहीं कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में अलग-अलग संस्थानों में कार्यरत महिलाएं शक्ति स्वरूपा बनकर सामने आईं. इस दौरान उन्होंने कोविड-19 के रोकथाम में बखूबी सहयोग किया. इसी कड़ी में ईटीवी भारत ने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) की प्रोफेसर रंजना मुखोपाध्याय (Professor Ranjana Mukhopadhyay) से बात की. जिन्होंने संकट की घड़ी में भी छात्रों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी. छात्रों को किसी भी तरह से तनाव में नहीं जाने दिया. इसके अलावा जब श्रमिक डर की वजह से अपने घर लौटने लगे तो राशन से लेकर घर पहुंचाने तक की व्यवस्था की.
ईटीवी भारत (Etv Bharat) से खास बातचीत में प्रोफेसर रंजना मुखोपाध्याय (Professor Ranjana Mukhopadhyay) ने बताया कि कोविड-19 के चलते पढ़ाई ऑनलाइन (online study) होने लगी. लेकिन इसमें काफी चुनौतियां थी, कई बार नेटवर्क की समस्या रहती थी तो कई छात्रों के पास डाटा नहीं रहता था. उन्होंने कहा कि इस चुनौती को किसी तरह से पार पाया गया. लेकिन इस दौरान कई छात्र ऐसे थे जिन्हें पढ़ाई करने के लिए अपने घर से सुदूर शहर की ओर नेटवर्क की तलाश में आना पड़ता था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस दौरान कई बार ऐसे भी वाक्या हुआ जब छात्र या हम शिक्षकों ने अपनों को खोने की खबर सुनते थे तो तनाव में आ जाते थे. लेकिन छात्रों को तनाव में नहीं आने देने के लिए उनसे निरंतर शिक्षक बात करते रहते थे.
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प्रोफेसर रंजना मुखोपाध्याय (Professor Ranjana Mukhopadhyay) ने ईटीवी भारत से कहा कि छात्रों को सभी रीडिंग मटेरियल उपलब्ध कराने के साथ ही उनके टाइम के हिसाब से उनके ऑनलाइन क्लास लेते थे. यही नहीं वैसे छात्र जिनके कोर्स खत्म हो चुके हैं और जिनकी नौकरी नहीं मिली है ऐसे छात्रों को कैरियर काउंसिलिंग करने पर भी हमारा फोकस था. इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान श्रमिक जब डर की वजह से अपने घर को लौटने लगे, तो वह सबसे भयानक स्थिति थी. बड़ी संख्या में श्रमिकों को राशन से लेकर उन्हें घर पहुंचाने के लिए सरकार के द्वारा चलाई गई श्रमिक एक्सप्रेस में बिठाने तक का इंतजाम किया. जिससे कि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी न आए, क्योंकि यह श्रमिक कोई और नहीं बल्कि हमारे अपने ही हैं. उन्होंने कहा कि ये बहुत जरूरी है कि हम संवेदनशील हों, क्योंकि ये कोई और नहीं बल्कि वो लोग हैं जो हमारे घरों में, हमारे आस-पास हम ही से जुड़े काम करते हैं इसलिए हमारे समाज से अलग और दूसरे नहीं हैं.