नई दिल्ली: ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की आदिवासी जनजाती के लोग रामलीला का मंचन करेंगे. यह आयोजन ऋषिकेश में किया जा रहा है. यानी गंगा स्नान, गंगा आरती के साथ-साथ रामलीला का मंचन भी देखने को मिलेगा. दिल्ली में परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने जानकारी देते हुए कहा कि परमार्थ निकेतन में 20 से 24 अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय का आयोजन किया जाएगा. जिसमें उत्तराखंड के लोक संगीत और संस्कृति के भी दर्शन होंगे. पांच दिवसीय ‘मां शबरी रामलीला महोत्सव’ का आयोजन सैस फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है.
आयोजक शक्ति बक्शी ने कहा कि "यह हम सभी का सौभाग्य है कि गंगा तट पर ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में मां शबरी रामलीला करने का अवसर मिल रहा है. जिसका मार्गदर्शन स्वयं स्वामी चिदानंद सरस्वती करेंगे और रामलीला की मुख्य संरक्षण की भूमिका में वीरेन्द्र सचदेवा रहेंगे."
स्वामी चिदानंद महाराज ने कहा कि "देश की संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण पर मुहर लगा गई है, लेकिन हमें समाज के हर वर्ग पर ध्यान देने की जरूरत है. समाज में शबरी रूपी महिलाओं तक पहुंच कर उनकी दशा को सुधारना है. रामलीला में मां शबरी के चरित्र को इस लिए चुना गया है क्योंकि उन्हें पूर्ण आस्था थी कि प्रभु श्रीराम उनकी कुटिया पर आएंगे, लेकिन उनके आने तक वह खाली नहीं बैठीं."
वहीं, वीरेन्द्र सचदेवा ने स्वामी चिदानंद का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि "यूं तो देश में अनेक रामलीलाएं होती हैं, लेकिन मां शबरी रामलीला विशेष तौर पर शबरी के जीवन पर आधारित है. जिससे समाज में सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की भावना को बल मिलता है."
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