नई दिल्ली: रेस्टोरेंट में वसूला जाने वाला सर्विस चार्ज एक बार फिर चर्चा में है. बीते 2 दिन पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्विस चार्ज को लेकर होटल और रेस्टोरेंट की 2 इकाइयों पर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया है. अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है. खाने के बाद आने वाले बिल का फाइनल अमाउंट देखकर लोग पेमेंट कर देते हैं. अभी भी बहुत से होटल और रेस्टोरेंट्स में ग्राहकों से सर्विस चार्ज वसूला जा रहा है.
इस मुद्दे पर चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है. CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी आने के बाद सर्विस चार्ज वसूलना ठीक नहीं है. वैट के समय कई टैक्स थे, तब अलग बात थी. मगर जब जीएसटी आया तो कहा गया कि ये वन नेशन, वन टैक्स है. ऐसे में अब इस तरह का अतिरिक्त बोझ ग्राहकों पर डालना ठीक नहीं है.
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उन्होंने कहा कि इस पर वित्त मंत्री को स्पष्ट गाइडलाइन जारी करनी चाहिए वरना, जीएसटी का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है. एक ही वस्तु या सर्विस पर दो शुल्क नहीं लगने चाहिए. बृजेश गोयल ने बताया कि कई रेस्टोरेंट्स मालिक ग्राहक की मर्जी पर सर्विस चार्ज का भुगतान करना या नहीं करना छोड़ते हैं. लेकिन, सीटीआई की मांग है कि ये बिल में जुड़ना ही नहीं चाहिए. दो दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने होटल और रेस्टोरेंट के दो निकायों पर 2 लाख का जुर्माना लगाया है.
सीटीआई के महासचिव विष्णु भार्गव और रमेश आहूजा ने बताया कि रेस्टोरेंट और भोजनालय खुद से 5 से 20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज जोड़ देते हैं. ग्राहकों को सर्विस चार्ज का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है. उपभोक्ता जब बिल राशि से इस तरह के चार्ज को हटाने का अनुरोध करते हैं, तो उन्हें गुमराह कर इस चार्ज को वैध ठहराने का प्रयास किया जाता है, यह ठीक नहीं है. लंच या डिनर पर जाने वाले लोग सर्विस चार्ज न देने की बहस भी नहीं करना चाहते. ग्राहक अपनी खुशी से टिप देते हैं, तो वह अलग बात है.
बृजेश गोयल ने कहा कि सर्विस चार्ज के साथ टिप भी देनी पड़ती है. इससे रेस्टोरेंट में खाना महंगा पड़ जाता है. रेस्टोरेंट और भोजनालय ग्राहकों से गलत तरीके से सर्विस चार्ज ले रहे हैं, जबकि यह 'स्वैच्छिक' है. यदि कस्टमर विरोध करता है, तो सर्विस चार्ज हटाना होगा.
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