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हिंदी दिवस पर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन, कुलपति ने कही ये बात

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान कुलपति ने कहा कि आर्थिक व विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति के साथ भारत अपनी भाषा में भी उन्नति कर रहा है.

Gautam Buddha University
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 14, 2023, 10:34 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग द्वारा हिंदी दिवस के मौके पर व्याख्यान एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बंदना पांडेय ने कहा कि देशवासियों को अपने अंदर हिंदी को जीवंत करना चाहिए और विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अपनी भाषा में ही संदेशों को लिखना चाहिए.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति रवींद्र कुमार सिन्हा ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा के महत्व पर कहा कि भारत की आजादी में हिंदी भाषा ने विशेष योगदान दिया. वर्तमान में हम आर्थिक व विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं, जिसके साथ भारत अपनी भाषा में भी उन्नति कर रहा है. वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूती के साथ-साथ हमारी भाषा को भी मजबूती मिल रही है, इसलिए सभी को अपने जीवन हिंदी का प्रयोग बढ़ाना चाहिए.

वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान हिंदी अस्मिता एवं भाषायी विमर्श पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्र के गौरव का सम्मान है. हिंदी जीवंत भाषा है, जिसने सबको समेटा है. हिंदी भाषा ने राजनीतिक सीमाओं को तोड़कर हमें संस्कृति से जोड़ा है. वर्तमान दौर में हमारे शब्द मर रहे हैं, जो कि हिंदी की अस्मिता पर खतरा है. उनके अलावा भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग के प्राध्यापक डॉ. दिवाकर गरवा ने हिंदी की समृद्धि में लोग भाषाओं का योगदान विषय पर व्याख्यान किया. इस मौके पर विभिन्न विभागों के प्राध्यापक छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.

जमिया में शुरू हुआ हिंदी पखवाड़ा: वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर मीर अनीस हॉल में 'हिंदी पखवाड़ा' का उद्घाटन समारोह आयोजित किया किया. इस इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक एवं जवाहरलाल अध्ययन केंद्र की मानद निदेशक प्रो. इंदु वीरेंद्रा ने अतिथियों, शिक्षकों एवं उपस्थित कर्मचारियों का स्वागत करते हुए 'हिंदी पखवाड़ा' के लक्ष्य एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. इस पखवाड़े के अंतर्गत 14 सितंबर से 29 सितंबर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा और समापन समारोह में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को नकद पुरस्कार राशि और प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे.

प्रो. इंदु वीरेंद्रा ने कार्यालयों में राजभाषा हिंदी को अधिक से अधिक प्रयोग करने की अपील करते हुए कहा कि जब तक हम हिंदी का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता है. उनके अलावा प्रो. चंद्र देव सिंह यादव ने हिंदी भाषा की व्यापकता एवं उसके वैश्विक परिदृश्य की चर्चा की और राजभाषा के रूप में हिंदी वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला. वहीं प्रो. गिरीश चंद्र पंत ने संस्कृत को हिंदी की जननी के रूप में रेखांकित करते हुए बोली जाने वाली भाषा के रूप में हिंदी की व्यापकता पर चर्चा की.

कार्यक्रम की अध्यक्षता जामिया के वित्त अधिकारी सी.ए. शेख सफीउल्लाह ने की. वहीं प्रो. गिरीश चंद्र पंत मुख्य अतिथि और प्रो. चंद्र देव सिंह यादव कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम का हिंदी अधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने किया और हिंदी दिवस के अवसर पर कार्यालय को प्राप्त गृहमंत्री का लिखित संदेश पढ़ा.

दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़े की हुई शुरुआत: हिंदी दिवस के मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा का उदघाटन किया गया. इस दौरान भाषण देते हुए वरिष्ठ पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा की समृद्धि और विस्तार के लिए जरूरत है कि. हम उसे विभिन्न भाषाओं से ज्ञान अर्जित कर समृद्ध करें और उसे नए प्रयोगों से जोड़कर कर जीवंत भाषा बनाने का प्रयास जारी रखें. कोई भी भाषा कमजोर नहीं होती, बल्कि हमारी सोच और समझ में होती है.

समापन सत्र में हिंदी दिवस के अवसर पर व्याख्यान देते हुए वरिष्ठ भाषा सेवी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर विमलेशकांति वर्मा ने कहा कि हिंदी अपने विभिन्न देशी और विदेशी रूपों को स्वीकार और सम्मानित करके ही भविष्य की सफल और सार्थक भाषा बनी रह सकती है. उन्होंने कहा कि भाषा के रूप में हिंदी के बढ़ते कदम रुकने वाले नहीं हैं.

यह भी पढ़ें-दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'मिशन गणित' की शुरुआत, शिक्षकों ने इनोवेटिव मॉडल का किया प्रदर्शन

वहीं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा ने हिंदी भाषा की मजबूत उपस्थिति, उसका अंतरराष्ट्रीय और भूमंडलीकरण के दौर में उसकी बढ़ती संभावनाओं से विद्यार्थियों अवगत कराया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती उपस्थिति और बदलती भूमिका के प्रति युवाओं में जागरुकता बढ़ाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और मजबूत भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था के संबंध को समझना, जानना और उस पर बहस करना तथा हिंदी की बढ़ती और बदलती भूमिकाओं की समझ युवाओं में स्वस्थ लोकतांत्रिक समझ को विकसित करेगा.

यह भी पढ़ें-जी20 समिट की सफलता पर एलजी ने NDMC के कर्मचारियों को किया सम्मानित

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग द्वारा हिंदी दिवस के मौके पर व्याख्यान एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बंदना पांडेय ने कहा कि देशवासियों को अपने अंदर हिंदी को जीवंत करना चाहिए और विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अपनी भाषा में ही संदेशों को लिखना चाहिए.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति रवींद्र कुमार सिन्हा ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा के महत्व पर कहा कि भारत की आजादी में हिंदी भाषा ने विशेष योगदान दिया. वर्तमान में हम आर्थिक व विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं, जिसके साथ भारत अपनी भाषा में भी उन्नति कर रहा है. वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूती के साथ-साथ हमारी भाषा को भी मजबूती मिल रही है, इसलिए सभी को अपने जीवन हिंदी का प्रयोग बढ़ाना चाहिए.

वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान हिंदी अस्मिता एवं भाषायी विमर्श पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्र के गौरव का सम्मान है. हिंदी जीवंत भाषा है, जिसने सबको समेटा है. हिंदी भाषा ने राजनीतिक सीमाओं को तोड़कर हमें संस्कृति से जोड़ा है. वर्तमान दौर में हमारे शब्द मर रहे हैं, जो कि हिंदी की अस्मिता पर खतरा है. उनके अलावा भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग के प्राध्यापक डॉ. दिवाकर गरवा ने हिंदी की समृद्धि में लोग भाषाओं का योगदान विषय पर व्याख्यान किया. इस मौके पर विभिन्न विभागों के प्राध्यापक छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.

जमिया में शुरू हुआ हिंदी पखवाड़ा: वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर मीर अनीस हॉल में 'हिंदी पखवाड़ा' का उद्घाटन समारोह आयोजित किया किया. इस इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक एवं जवाहरलाल अध्ययन केंद्र की मानद निदेशक प्रो. इंदु वीरेंद्रा ने अतिथियों, शिक्षकों एवं उपस्थित कर्मचारियों का स्वागत करते हुए 'हिंदी पखवाड़ा' के लक्ष्य एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. इस पखवाड़े के अंतर्गत 14 सितंबर से 29 सितंबर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा और समापन समारोह में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को नकद पुरस्कार राशि और प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे.

प्रो. इंदु वीरेंद्रा ने कार्यालयों में राजभाषा हिंदी को अधिक से अधिक प्रयोग करने की अपील करते हुए कहा कि जब तक हम हिंदी का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता है. उनके अलावा प्रो. चंद्र देव सिंह यादव ने हिंदी भाषा की व्यापकता एवं उसके वैश्विक परिदृश्य की चर्चा की और राजभाषा के रूप में हिंदी वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला. वहीं प्रो. गिरीश चंद्र पंत ने संस्कृत को हिंदी की जननी के रूप में रेखांकित करते हुए बोली जाने वाली भाषा के रूप में हिंदी की व्यापकता पर चर्चा की.

कार्यक्रम की अध्यक्षता जामिया के वित्त अधिकारी सी.ए. शेख सफीउल्लाह ने की. वहीं प्रो. गिरीश चंद्र पंत मुख्य अतिथि और प्रो. चंद्र देव सिंह यादव कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम का हिंदी अधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने किया और हिंदी दिवस के अवसर पर कार्यालय को प्राप्त गृहमंत्री का लिखित संदेश पढ़ा.

दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़े की हुई शुरुआत: हिंदी दिवस के मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा का उदघाटन किया गया. इस दौरान भाषण देते हुए वरिष्ठ पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा की समृद्धि और विस्तार के लिए जरूरत है कि. हम उसे विभिन्न भाषाओं से ज्ञान अर्जित कर समृद्ध करें और उसे नए प्रयोगों से जोड़कर कर जीवंत भाषा बनाने का प्रयास जारी रखें. कोई भी भाषा कमजोर नहीं होती, बल्कि हमारी सोच और समझ में होती है.

समापन सत्र में हिंदी दिवस के अवसर पर व्याख्यान देते हुए वरिष्ठ भाषा सेवी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर विमलेशकांति वर्मा ने कहा कि हिंदी अपने विभिन्न देशी और विदेशी रूपों को स्वीकार और सम्मानित करके ही भविष्य की सफल और सार्थक भाषा बनी रह सकती है. उन्होंने कहा कि भाषा के रूप में हिंदी के बढ़ते कदम रुकने वाले नहीं हैं.

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वहीं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा ने हिंदी भाषा की मजबूत उपस्थिति, उसका अंतरराष्ट्रीय और भूमंडलीकरण के दौर में उसकी बढ़ती संभावनाओं से विद्यार्थियों अवगत कराया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती उपस्थिति और बदलती भूमिका के प्रति युवाओं में जागरुकता बढ़ाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और मजबूत भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था के संबंध को समझना, जानना और उस पर बहस करना तथा हिंदी की बढ़ती और बदलती भूमिकाओं की समझ युवाओं में स्वस्थ लोकतांत्रिक समझ को विकसित करेगा.

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