नई दिल्ली: कोई भी व्यवसाय कोविड-19 के चलते प्रभावित ना हुआ हो ऐसा नहीं है. इस महामारी के चलते किताबों और स्टेशनरी का व्यापार भी बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है. हालात यह हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी यह कारोबार पटरी पर नहीं आ पाया है. वही स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण इस व्यापार से जुड़े कारोबारी बेहद परेशान है. ईटीवी भारत ने पुरानी दिल्ली के दरियागंज स्थित सबसे पुरानी किताबों की मार्केट का जायजा लिया. जहां पर ना सिर्फ दिल्ली से बल्कि अलग-अलग राज्यों से भी खरीदार किताबें और स्टेशनरी का सामान लेने के लिए पहुंचते हैं.
20 फीसदी तक रह गया व्यापार
दरियागंज में पिछले 20 सालों से किताबों और स्टेशनरी का व्यापार कर रहे राजेश ओझा ने बताया लॉकडाउन के बाद व्यापार कुछ शुरू हुआ था, लेकिन जब राजधानी में फिर से लॉकडाउन की अफवाह उड़ाई गई, उसके बाद फिर से व्यापार चौपट हो गया. उन्होंने कहा कि नोबल और बच्चों की किताबें स्टेशनरी की सबसे ज्यादा डिमांड होती थी, लेकिन करोना काल में स्कूल कॉलेज बंद होने के कारण डिमांड केवल 20 फ़ीसदी तक रह गई है.
किताब मंगा कर या फिर ई-बुक से पढ़ रहे छात्र
अन्य कारोबारी मोहम्मद आरिफ ने बताया कि कोरोना के कारण लोग अभी भी घर से नहीं निकल रहे हैं, जिसके चलते कई लोग दुकान पर आकर किताबें और स्टेशनरी का सामान खरीदने की बजाय ऑनलाइन माध्यम से किताबें खरीद रहे हैं. इसके चलते भी व्यापार पर पड़ा असर पड़ा है, 80 फीसदी तक व्यापार गिर गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा की स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण नया सेशन शुरू होने पर स्टेशनरी, किताब, कॉपी, रजिस्टर आदि की डिमांड होती थी, वह अब नहीं है क्योंकि बच्चे ऑनलाइन ही लिख रहे हैं और ऑनलाइन ही पढ़ रहे हैं.
नोबेल की सबसे ज्यादा होती थी डिमांड
वही सुरेंद्र कुमार ने कहा कि कॉलेज बंद होने के कारण नोवल की जो डिमांड होती थी, वह बेहद कम हो गई है उन्होंने कहा कि दरियागंज की बुक मार्केट में 100 से 200 रुपये में नोवल मिल जाती है. वहीं कई नोवल किलो के भाव भी मिलती है, ऐसे में जो कॉलेज स्टूडेंट है वह नोवल की खरीदारी के लिए आते थे, लेकिन अब वो ई-बुक या ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ रहे हैं, या फिर ऑनलाइन माध्यम से बुक खरीद रहे हैं जिसके चलते व्यापार में कमी आई है.
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नोटबुक का नहीं हो रहा इस्तेमाल
तो वही दरियागंज की मशहूर बुक अफेयर्स नाम के स्टोर पर मौजूद मयंक जैन ने बताया कि सिर्फ 50 फीसदी तक व्यापार रह गया है, क्योंकि सबसे ज्यादा डिमांड फिक्सन नोबल की होती थी, लेकिन अब स्कूल कॉलेज बंद होने के चलते डिमांड आधी रह गई है. ऑनलाइन क्लास के चलते नोटबुक का इस्तेमाल भी अब स्टूडेंट्स नहीं कर रहे हैं.