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कुश्ती की लड़ाई में पद्म सम्मान को फुटपाथ पर रखना बेहद शर्मनाक कृत्य : CAIT

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने पहलवान बजरंग पुनिया द्वारा पद्मश्री सम्मान को फुटपाथ पर रखने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि पद्म सम्मान देश का अभिमान हैं राष्ट्र गौरव का प्रतीक हैं.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 24, 2023, 12:26 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों में संजय सिंह के अध्यक्ष निर्वाचित होने के विरोध में पहलवान बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री सम्मान वापिस कर दिया. उन्होंने अपना सम्मान फुटपाथ पर रख दिया. इस घटना को बेहद शर्मनाक कृत्य बताते हुए देश के वरिष्ठ व्यापारी नेता तथा कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पद्म सम्मान देश का अभिमान हैं राष्ट्र गौरव का प्रतीक हैं और उसको विरोध स्वरूप फुटपाथ पर रख कर लौटाना देश का अपमान है, जिसे किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता है. इस कृत्य से पूरे देश में आंदोलनकर्मी पहलवानों के बारे में कोई अच्छा संदेश नहीं गया है, जिसका उन्हें निश्चित रूप से अब पता लग गया होगा.

खंडेलवाल ने कहा कि यदि कोई भी दुष्कर्म हुआ है तो दोषी को निश्चित रूप से सजा मिलनी चाहिए और कानून के अनुसार सभी को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा, लेकिन अपने मुद्दे के लिए फुटपाथ पर पद्म सम्मान रखना, उस खूबी का भी अपमान है जिसके लिये पद्म सम्मान दिया गया था. उन्होंने कहा कि कुश्ती के साथ जिस प्रकार से गत अनेक महीनों से कुछ पहलवानों द्वारा कुश्ती लड़ी जा रही है एवं कुश्ती संघ के चुनावों के संदर्भ में कुछ गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं, जिनका उत्तर आंदोलन कर रहे पहलवानों को देना चाहिए.

खंडेलवाल ने कहा कि क्या कुश्ती संघ का अध्यक्ष सरकार अथवा राष्ट्रपति ने नियुक्त किया? क्या अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली बैलट पेपर द्वारा नहीं हुआ ? क्या संजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं, ये पहलवानो को पता नहीं था? यदि पता था और उनकी उम्मीदवारी से समस्या थी तो पहले क्यों विरोध नहीं किया, जीतने के बाद ही क्यों? यदि विरोध ही करना था तो नामांकन के बाद ही क्यों नहीं किया ? कुश्ती संघ के चुनाव में संजय सिंह को 40 वोट पड़े, उनके विरोध मे 7 वोट पड़े. यह वोट किसी एक पार्टी के नहीं होते बल्कि पूरे देश में हर राज्य में अलग-अलग कुश्ती संघ होते हैं और वही सब वोट देते हैं.

ये भी पढ़ें : CAIT ने इस शादी सीजन में 4.7 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लगाया अनुमान

उन्होंने कहा कि यदि चुनाव अथवा चुनावी प्रक्रिया से कोई शिकायत है तो पहलवानों को न्याय के लिए अदालत जाना चाहिए न कि पद्म सम्मान का अपमान किया जाए. यदि पद्म सम्मान लौटाना ही था तो पहलवान राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें देते न की प्रधानमंत्री के घर का रुख करते. उन्होंने कहा कि तुरंत इनका प्रियंका गांधी से मिलना कुछ कुछ संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं इस सारे प्रकरण में कोई राजनीति तो नहीं खेली जा रही या इस प्रकरण का संबंध आगामी लोकसभा चुनावों से तो नहीं है ? पुनिया एवं अन्य पहलवानों को इस पर स्तिथि स्पष्ट करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें : CAIT ने शादियों का सीजन शुरू होने से पहले पेश किए बिजनेस के अनुमानित आंकड़े, जानिए क्या है खास

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों में संजय सिंह के अध्यक्ष निर्वाचित होने के विरोध में पहलवान बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री सम्मान वापिस कर दिया. उन्होंने अपना सम्मान फुटपाथ पर रख दिया. इस घटना को बेहद शर्मनाक कृत्य बताते हुए देश के वरिष्ठ व्यापारी नेता तथा कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पद्म सम्मान देश का अभिमान हैं राष्ट्र गौरव का प्रतीक हैं और उसको विरोध स्वरूप फुटपाथ पर रख कर लौटाना देश का अपमान है, जिसे किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता है. इस कृत्य से पूरे देश में आंदोलनकर्मी पहलवानों के बारे में कोई अच्छा संदेश नहीं गया है, जिसका उन्हें निश्चित रूप से अब पता लग गया होगा.

खंडेलवाल ने कहा कि यदि कोई भी दुष्कर्म हुआ है तो दोषी को निश्चित रूप से सजा मिलनी चाहिए और कानून के अनुसार सभी को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा, लेकिन अपने मुद्दे के लिए फुटपाथ पर पद्म सम्मान रखना, उस खूबी का भी अपमान है जिसके लिये पद्म सम्मान दिया गया था. उन्होंने कहा कि कुश्ती के साथ जिस प्रकार से गत अनेक महीनों से कुछ पहलवानों द्वारा कुश्ती लड़ी जा रही है एवं कुश्ती संघ के चुनावों के संदर्भ में कुछ गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं, जिनका उत्तर आंदोलन कर रहे पहलवानों को देना चाहिए.

खंडेलवाल ने कहा कि क्या कुश्ती संघ का अध्यक्ष सरकार अथवा राष्ट्रपति ने नियुक्त किया? क्या अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली बैलट पेपर द्वारा नहीं हुआ ? क्या संजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं, ये पहलवानो को पता नहीं था? यदि पता था और उनकी उम्मीदवारी से समस्या थी तो पहले क्यों विरोध नहीं किया, जीतने के बाद ही क्यों? यदि विरोध ही करना था तो नामांकन के बाद ही क्यों नहीं किया ? कुश्ती संघ के चुनाव में संजय सिंह को 40 वोट पड़े, उनके विरोध मे 7 वोट पड़े. यह वोट किसी एक पार्टी के नहीं होते बल्कि पूरे देश में हर राज्य में अलग-अलग कुश्ती संघ होते हैं और वही सब वोट देते हैं.

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उन्होंने कहा कि यदि चुनाव अथवा चुनावी प्रक्रिया से कोई शिकायत है तो पहलवानों को न्याय के लिए अदालत जाना चाहिए न कि पद्म सम्मान का अपमान किया जाए. यदि पद्म सम्मान लौटाना ही था तो पहलवान राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें देते न की प्रधानमंत्री के घर का रुख करते. उन्होंने कहा कि तुरंत इनका प्रियंका गांधी से मिलना कुछ कुछ संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं इस सारे प्रकरण में कोई राजनीति तो नहीं खेली जा रही या इस प्रकरण का संबंध आगामी लोकसभा चुनावों से तो नहीं है ? पुनिया एवं अन्य पहलवानों को इस पर स्तिथि स्पष्ट करनी चाहिए.

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