नई दिल्ली: देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की जयंती के अवसर पर देश के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सोमवार को फिरोज शाह कोटला मैदान स्थित अरुण जेटली स्टेडियम में अरुण जेटली की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया. देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार और उनकी टीम ने अरुण जेटली की इस प्रतिमा को तैयार किया है, जिसका वजन करीब 600 किलो है.
विवादों में रहा सफर
अक्टूबर महीने में डीडीसीए शीर्ष परिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि अरुण जेटली स्टेडियम में अरुण जेटली की प्रतिमा लगाई जाएगी. उसी दौरान अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली भी डीडीसीए के अध्यक्ष बने थे. मूर्ति लगाने के फैसले के बाद से ही लगातार इस पर सवाल उठ रहे हैं. भारतीय क्रिकेट के सफलतम स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी ने तो इस पर सवाल उठाते हुए फिरोज शाह कोटला मैदान में बने अपने नाम के स्टैंड को हटाने के लिए रोहण जेटली को पत्र भी लिखा है. साथ ही स्टैंड का नाम ना हटाने के संबंध में कानूनी कार्रवाई करने की भी धमकी दी है.
'मूर्ति की लोग कर रहे सराहना'
अरुण जेटली स्टेडियम में लगाई गई अरुण जेटली की प्रतिमा के मूर्तिकार राम सुतार ने कहा कि अरुण जेटली की आदमकद प्रतिमा बनाकर अच्छा लग रहा है. हमारे द्वारा बनाई गई मूर्ति की लोग सराहना कर रहे हैं. प्रशंसा कर रहे हैं. यह हमें अच्छा लग रहा है. लोगों द्वारा हमारे काम की की जा रही प्रशंसा को देखकर हम मूर्तिकारों को भी खुशी मिलती है.
5 से 6 महीने में तैयार हुई मूर्ति
प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार के बेटे अनिल राम सुतार ने बताया कि अरुण जेटली की मूर्ति बनाने में हमें करीब 5-6 महीने का समय लगा. यह मूर्ति पूरी तरह कांसे की बनी हुई है और इसका वजन करीब 600 किलोग्राम है. हमारा स्टूडियो काफी बड़ा है और करीब 200 लोगों की टीम एक साथ काम करती है, तो यह बताना थोड़ा मुश्किल है कि कितने लोगों ने मिलकर इसे तैयार किया है. इस मूर्ति को बनाने के लिए अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने हमसे संपर्क किया था. इससे पहले हमने पटना में भी अरुण जेटली की मूर्ति लगाई है, जो रोहण जेटली को पसंद आई थी. इसके बाद उन्होंने इस स्टेडियम में मूर्ति लगाने के लिए हमसे संपर्क किया और पांच से छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद यह मूर्ति बनकर तैयार हुई है.