नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान और भारत के रिश्ते ठीक नहीं हैं. इसका सीधा असर दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस गाड़ी पर पड़ा है.
बीते दिन गाड़ी की सेवाएं खत्म करने के पाकिस्तान के ऐलान के बाद भारत की ओर से इंजन भेज गाड़ी को वाघा बॉर्डर से बुलवाया गया था. यही गाड़ी 4:30 घंटे की देरी से शुक्रवार को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची. इस दौरान अपने परिजनों का इंतजार कर रहे लोग भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच शांति बनी रहे.
84 यात्री पहुंचे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन
अटारी से चलकर दिल्ली तक आने वाली गाड़ी संख्या 14002 समझौता एक्सप्रेस को सुबह 3 बजकर 35 मिनट पर पुरानी दिल्ली पहुंचना था लेकिन ये गाड़ी अटारी से ही 5 घंटे की देरी से चली थी. आखिरकार शुक्रवार को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर ये पुरानी दिल्ली के प्लेटफार्म नंबर 1 पर पहुंची. इसमें कुल 84 यात्री सवार थे जिसमें 43 भारतीय जबकि 41 पाकिस्तानी शामिल थे.
अपनों को देखते ही लगे गले
गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तान से आने वाली गाड़ी में कुल 117 लोग थे लेकिन अटारी के बाद कुछ लोगों ने सड़क का रास्ता अपनाकर घर जाना ठीक समझा. ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचते ही यहां लोगों की आंखें अपने परिजनों की खोज में गाड़ी की खिड़कियों और दरवाजों को निहार रहीं थी. अपने प्रियजनों की सलामती सभी चाहते थे. मिलने पर किसी ने गले लगकर उनका स्वागत किया तो किसी के आंसुओं के साथ.
अश्रा खान ने साझा किया ट्रेन के अंदर का हाल
भारत की अश्रा खान की शादी पाकिस्तान के कराची में हुई थी. अश्रा के परिजन यहां दिल्ली में ही रहते हैं. 5 साल के बाद अश्रा दिल्ली आ रही थीं तो उन्हें नहीं पता था कि वो दिल्ली पहुंच भी पाएंगी या नहीं. अपने अनुभव को साझा करते हुए अश्रा कहती हैं कि कराची से निकलते वक्त उन्हें कुछ नहीं पता था.
'सबकी सांसे अटक गईं थी'
उन्होंने कहा कि ट्रेन में बैठने तक भी लोग इसके विषय में बात तो कर रहे थे लेकिन सबको आशंका थी कि कुछ दिन बाद इस गाड़ी को रोका जाएगा. वहीं वाघा बॉर्डर पहुंचते ही पता चला कि इंजन पाकिस्तान से नहीं जाएगा तब सबकी सांसे अटक गईं थी. अश्रा कहती हैं कि दोनों देशों के बीच रिश्ता बना रहना चाहिए.
'दोनों देशों के रिश्ते सुधरने चाहिए'
पाकिस्तानी नागरिक ताराचंद भारत में पिछले कई सालों से व्यापार करते हैं. गुरुवार को पाकिस्तान से आने वाली गाड़ी में वो भी सवार थे. ताराचंद कहते हैं कि पहले तो उन्हें पता ही नहीं चला कि क्या हुआ है. बाद में लोगों ने कुछ-कुछ बताया. वो 3 घंटे तक वाघा पर ही फंसे रहे. ताराचंद कहते हैं कि दोनों देशों के रिश्ते सुधरने चाहिए. साथ ही सभी को भाईचारे से रहना चाहिए.