नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हैदराबाद निवासी व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की जमानत याचिका पर बुधवार को ईडी से उसका रुख पूछा. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने जांच एजेंसी को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. इस मामले में पिल्लई को ईडी ने छह मार्च को गिरफ्तार किया था.
जमानत की याचिका खारिज: आरोपी अरुण रामचंद्र पिल्लई की ओर से पेश वकील नितेश राणा ने अदालत के सामने कहा कि उसे जेल में रखने के लिए रत्ती भर भी सबूत नहीं हैं. इससे पहले आठ जून को राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत के लिए पिल्लई की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी भूमिका कुछ अन्य आरोपियों की तुलना में अधिक गंभीर थी, जो अभी भी जेल में हैं. पिल्लई न केवल षड्यंत्र में भागीदार था, बल्कि प्रथम दृष्टया, उसे आय से संबंधित विभिन्न गतिविधियों से भी जुड़ा हुआ पाया गया, जिसमें इसे छिपाना, कब्जा करना, अधिग्रहण या उपयोग करना और इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करना शामिल था. ट्रायल कोर्ट ने कहा कि ईडी ने मामले में दायर अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि पिल्लई भारत राष्ट्र समिति की एमएलसी कविता का करीबी सहयोगी था.
2022 में खत्म की गई थी नीति : ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला सीबीआई की एफआईआर से उपजा है. सीबीआई और ईडी के अनुसार वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे खत्म कर दिया. मामले की अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी.
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