नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जयंत नाथ ने गुरुवार को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) के अस्थायी अध्यक्ष के तौर पर पदभार ग्रहण किया है. दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने उन्हें शपथ दिलाई. आयोग में जब तक स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक जयंत नाथ अस्थायी चेयरमैन के रूप में सभी कार्य देखेंगे. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को आपसी सहमति से डीईआरसी के चेयरमैन का नाम सुझाने व नियुक्त करने के लिए कहा था. आपसी सहमति से नाम तय नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस जयंत नाथ को अस्थायी चेयरमैन नियुक्त किया है.
इनके पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इन्हें बधाई दी. मुख्यमंत्री ने लिखा, "मैं डीईआरसी के नए अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जयंत नाथ जी का तहे दिल से स्वागत करता हूं. उन्हें बधाइयां और शुभकामनाएं. बिजली एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है और हम इसमें सुधार लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं. मैं अपनी सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वासन देता हूं."
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग में चेयरमैन समेत 3 सदस्य होते हैं. चेयरमैन और सदस्य 5 साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो तब तक पद पर रह सकते हैं. बता दें कि इससे पहले गत जून माह में दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन के तौर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस उमेश कुमार को नियुक्त करने की अधिसूचना जारी हुई थी. उनके शपथ ग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हुई थी. लेकिन दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री आतिशी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उसे टालने को कहा था. फिर इसके बाद दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.
दिल्ली सरकार का कहना है कि डीईआरसी अध्यक्ष के लिए सरकार की तरफ से भेजे गए नाम पर उपराज्यपाल ने विचार नहीं किया और उन्होंने जस्टिस उमेश कुमार के नाम की सिफारिश कर दी. इसके बाद राष्ट्रपति की तरफ से उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी गई थी, जिसे दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
डीईआरसी चेयरमैन की भूमिका
- प्रत्येक वर्ष नए वित्त वर्ष में डीईआरसी बिजली की दरों में संशोधन और नई दरें घोषित करता है.
- यह फैसला डीईआरसी के चेयरमैन लेते हैं. अमूमन अप्रैल में नई दरें घोषित हो जाती है.
- आमतौर पर बिजली वितरण कंपनियां घाटे का हवाला देकर बिजली की दरें बढ़ाने की मांग करती है.
- डीईआरसी सभी लोगों से सुझाव लेती है. राजनीतिक पार्टियां, व्यापारी और अन्य उपभोक्ता दरें कम करने की मांग करते हैं.
- अंतिम निर्णय डीईआरसी के चेयरमैन अपने सदस्यों की राय से लेते हैं.
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