नई दिल्ली: राजधानी में आई बाढ़ ने न केवल दिल्ली के आम लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है, बल्कि इससे दिल्ली के पर्यावरण पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है. बाढ़ के कारण यमुना के डूब क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. अधिकारियों के मुताबिक, यमुना के बाढ़ क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए डीडीए द्वारा चलाए जा रहे 10 प्रोजेक्ट इस बाढ़ के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. अब इन प्रोजेक्ट को दोबारा पहले की स्थिति में लाने में लंबा वक्त लगेगा बशर्ते कि दोबारा ऐसी बाढ़ न आए. बाढ़ क्षेत्र के बड़े एरिया में अभी भी पानी भरा हुआ है. जहां पानी उतर गया है, वहां कीचड़ भरा हुआ है. इस वजह से अभी नुकसान का सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सका है. लेकिन अभी तक के आकलन के अनुसार बाढ़ में ये प्रोजेक्ट बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं
नए सिरे से बनाई जाएगी योजनाः डीडीए सूत्रों के अनुसार, यमुना के डूब क्षेत्र को रिस्टोर करने के लिए नए सिरे से योजना तैयार की जाएगी. हालांकि इसमें अभी कुछ महीने का वक्त लगेगा क्योंकि इसके लिए पौधे टेंडर प्रक्रिया से खरीदे जाएंगे. वहीं, नदी के किनारे लगाई जाने वाली घास खरीदने के लिए भी टेंडर निकाला जाएगा. डीडीए ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र को भूक्षरण, अतिक्रमण और कई अन्य परेशानियों से बचाने के लिए ये प्रोजेक्ट शुरू किए थे. इसके लिए डूब क्षेत्र में 90 हजार अधिक पौधे और नदी घास के 29 लाख पौधे लगाए गए थे. लेकिन बाढ़ के कारण 90 प्रतिशत तक पौधे नष्ट हो गए हैं. अब इन्हें नए सिरे से लगाना पड़ेगा. ये पौधे मानसून से पहले लगाए गए थे और अभी काफी छोटे थे.
जलस्रोतों का पानी हुआ प्रदूषितः बाढ़ के कारण यमुना के डूब क्षेत्र में बने जल स्रोतों का पानी भी प्रदूषित हुआ है. अधिकारी ने बताया कि उम्मीद है कि आने वाले समय में होने वाली बारिश से पानी की गुणवत्ता में सुधार हो सके. बाढ़ क्षेत्र के कुछ इलाकों में डीडीए अपनी नर्सरी भी चलाता है. इन नर्सरी से डीडीए अपनी साइटों की जरूरत के अनुसार पौधे उगाता है. इनमें वही पौधे उगाए जाते हैं जो यमुना नदी के किनारे बाढ़ क्षेत्र को विकसित करने में सहायक हैं लेकिन बाढ़ में यह नर्सरी भी नष्ट हो गई हैं.
जल स्रोतों की करनी होगी डीसिल्टिंगः यहां के जल स्रोतों में मौजूद रीसायकल वाटर भी बाढ़ के पानी से दूषित हुआ है. यह जलीय जंतुओं एवं जलीय वनस्पति के लिए नुकसानदायक है. इसलिए जल स्रोतों की डीसिल्टिंग करने की जरूरत है. यमुना के ढलान पर लगाए गए वे पौधे सुरक्षित हैं जो कि थोड़ा बड़े हो गए थे. नदी के किनारे चल रहा सिविल वर्क भी बाढ़ के कारण प्रभावित हुआ है. हालांकि निर्माण क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है. वासुदेव घाट और बांसेरा आदि में निर्माण सुरक्षित है. बाढ़ से डीडीए को रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट के लिए के लिए सबक मिला है. डीडीए आगे से अपने प्रोजेक्ट के लिए उन्हीं पौधों का चयन करेगा जो इस तरह की बारिश या बाढ़ के मौसम को आसानी से झेल सकें. गौरतलब है कि डीडीए बाढ़ क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अब तक छह लाख से अधिक पौधे लगा चुका है. वहीं नदी घास के 96 लाख पौधे भी रोपे जा चुके है. इस कारण यमुना के बाढ़ क्षेत्र में बने जल स्रोतों में 1350 मिलियन लीटर पानी जमा रहता है.