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Rescue Centre for Animals: इस सेंक्चुरी में चल रहा रेस्क्यू सेंटर, जानवरों का होता है इलाज

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Published : Apr 2, 2023, 3:03 PM IST

Updated : Apr 2, 2023, 6:15 PM IST

दिल्ली में पशुओं पशु प्रेमियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन ये पशु प्रेमी अक्सर किसी जानवर को घायल पाकर उनके इलाज के लिए भटकते नजर आते हैं. लेकिन घबराने की बात नहीं है, यहां के असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में जानवरों का एक रेस्क्यू सेंटर चलाया जाता है. आइए जानते हैं उसके बारे में.

Asola Bhatti Wildlife Sanctuary
Asola Bhatti Wildlife Sanctuary

नई दिल्ली: दिल्ली के चांदनी चौक स्थित जैन मंदिर के पास एक अस्पताल के बारे में आपने सुना होगा, जहां घायल पक्षियों का इलाज किया जाता है. लेकिन यहां सिर्फ शाकाहारी पक्षियों का इलाज ही होता है. इसके पीछे तर्क यह है कि यह अस्पताल जैन समुदाय द्वारा संचालित होता है. हालांकि कई बार जब चील जैसे बड़े पक्षी को इलाज के लिए लाया जाता है तो उसका भी इलाज कर दिया जाता है. लेकिन अन्य जानवरों के इलाज में मुश्किल आती है. इसके लिए जानवरों का एक रेस्क्यू सेंटर असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में भी चलाया जा रहा है, जिसकी जानकारी बेहद कम लोगों को है.

सेंक्चुरी में चल रहा है रेस्क्यू सेंटर: दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में जानवरों के लिए रेस्क्यू सेंटर चलाया जा रहा है. यहां पर दिल्ली सरकार के वन्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर यहां पर चल रहा है. यहां पर घायल जानवरों का इलाज किया जाता है और जब जानवर स्वस्थ हो जाता है तो उसे सेंक्चुरी में रिलीज कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां पर रेस्क्यू सेंटर के यहां होने से फायदा यह है कि जानवरों को भी जंगल जैसा माहौल मिल जाता है. सेंक्चुरी में कोविड के समय में जानवरों को कोरिंटाइन भी किया जाता था. खासतौर पर बंदरों को, जिसके बाद उन्हें रिलीज कर दिया जाता था. उन्होंने बताया कि बहुत से लोगों को नहीं पता है कि यहां पर रेस्क्यू सेंटर संचालित हो रहा है. हम चाहते हैं कि लोगों में इसकी जानकारी हो कि सेंक्चुरी में जानवरों को रेस्क्यू कर इलाज भी किया जाता है.

ये थी समस्या: दरअसल बर्ड्स चैरिटी हॉस्पिटल में रोजाना काफी संख्या में कबूतर, चिड़िया आदि पक्षियों को लाया जाता है. लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली की सड़कों पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग, बंदर एवं अन्य आवारा जानवर, इलाज से वंचित रह जाते थे. इन जीवों पर जब पशु प्रेमियों की नजर पड़ती, तो वे अपने खर्चे पर इनका इलाज कराते. सालों से पशु प्रेमी एक रेस्क्यू सेंटर की मांग करते रहें हैं. इस बारे में पशु प्रेमी विक्रम कोचर बताते हैं कि, कई बार हम देखते हैं कि किसी जानवर को सड़क पर चोट लग जाती है. समय पर इलाज नहीं मिलने से उनका घाव बढ़ता रहता है, जिससे उन्हें काफी पीड़ा होती है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली के असोला भाटी जंगल में दिखे लेपर्ड के दो बच्चे, वन विभाग उत्साहित

दिल्ली जू में नहीं बन रहा जानवरों का रेस्क्यू सेंटर: दिल्ली में रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर कवायद साल 2019 में शुरू हुई. बाहरी दिल्ली में दिल्ली सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर प्रस्ताव आया. लेकिन प्रस्ताव पर आगे काम नहीं हो पाया. इसके बाद कई महीनों तक इस पर कोई विचार नहीं किया गया. साल 2020 में एक बार फिर पशु प्रेमियों की ओर से रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर मांग उठी तो कहा गया कि दिल्ली जू में दिल्ली सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर तैयार होगा. इसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी ने भी हरी झंडी दी. लेकिन कोरोना महामारी के बीच रेस्क्यू सेंटर बन नहीं पाया.

यह भी पढ़ें-Civil Bahadur Elephant Death: सूरजपुर के तमोर पिंगला अभयारण्य में बीमार हाथी सिविल बहादुर की मौत

नई दिल्ली: दिल्ली के चांदनी चौक स्थित जैन मंदिर के पास एक अस्पताल के बारे में आपने सुना होगा, जहां घायल पक्षियों का इलाज किया जाता है. लेकिन यहां सिर्फ शाकाहारी पक्षियों का इलाज ही होता है. इसके पीछे तर्क यह है कि यह अस्पताल जैन समुदाय द्वारा संचालित होता है. हालांकि कई बार जब चील जैसे बड़े पक्षी को इलाज के लिए लाया जाता है तो उसका भी इलाज कर दिया जाता है. लेकिन अन्य जानवरों के इलाज में मुश्किल आती है. इसके लिए जानवरों का एक रेस्क्यू सेंटर असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में भी चलाया जा रहा है, जिसकी जानकारी बेहद कम लोगों को है.

सेंक्चुरी में चल रहा है रेस्क्यू सेंटर: दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में जानवरों के लिए रेस्क्यू सेंटर चलाया जा रहा है. यहां पर दिल्ली सरकार के वन्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर यहां पर चल रहा है. यहां पर घायल जानवरों का इलाज किया जाता है और जब जानवर स्वस्थ हो जाता है तो उसे सेंक्चुरी में रिलीज कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां पर रेस्क्यू सेंटर के यहां होने से फायदा यह है कि जानवरों को भी जंगल जैसा माहौल मिल जाता है. सेंक्चुरी में कोविड के समय में जानवरों को कोरिंटाइन भी किया जाता था. खासतौर पर बंदरों को, जिसके बाद उन्हें रिलीज कर दिया जाता था. उन्होंने बताया कि बहुत से लोगों को नहीं पता है कि यहां पर रेस्क्यू सेंटर संचालित हो रहा है. हम चाहते हैं कि लोगों में इसकी जानकारी हो कि सेंक्चुरी में जानवरों को रेस्क्यू कर इलाज भी किया जाता है.

ये थी समस्या: दरअसल बर्ड्स चैरिटी हॉस्पिटल में रोजाना काफी संख्या में कबूतर, चिड़िया आदि पक्षियों को लाया जाता है. लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली की सड़कों पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग, बंदर एवं अन्य आवारा जानवर, इलाज से वंचित रह जाते थे. इन जीवों पर जब पशु प्रेमियों की नजर पड़ती, तो वे अपने खर्चे पर इनका इलाज कराते. सालों से पशु प्रेमी एक रेस्क्यू सेंटर की मांग करते रहें हैं. इस बारे में पशु प्रेमी विक्रम कोचर बताते हैं कि, कई बार हम देखते हैं कि किसी जानवर को सड़क पर चोट लग जाती है. समय पर इलाज नहीं मिलने से उनका घाव बढ़ता रहता है, जिससे उन्हें काफी पीड़ा होती है.

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दिल्ली जू में नहीं बन रहा जानवरों का रेस्क्यू सेंटर: दिल्ली में रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर कवायद साल 2019 में शुरू हुई. बाहरी दिल्ली में दिल्ली सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर प्रस्ताव आया. लेकिन प्रस्ताव पर आगे काम नहीं हो पाया. इसके बाद कई महीनों तक इस पर कोई विचार नहीं किया गया. साल 2020 में एक बार फिर पशु प्रेमियों की ओर से रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर मांग उठी तो कहा गया कि दिल्ली जू में दिल्ली सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर तैयार होगा. इसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी ने भी हरी झंडी दी. लेकिन कोरोना महामारी के बीच रेस्क्यू सेंटर बन नहीं पाया.

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Last Updated : Apr 2, 2023, 6:15 PM IST
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