नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली बिल माफ करने का फैसला लिया है. दिल्ली में बिजली क्षेत्र की नियामकीय संपत्ति में पिछले पांच साल के दौरान 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आई है. इससे राज्य सरकार को बिजली की दरें नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी.
बिजली को लेकर दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ने दिल्ली सरकार के लिए जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक 5 सालों से दिल्ली में बिजली की दरें लगातार कम हुई है. इसके साथ ही बिजली वितरण कंपनियों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है.
लगातार कम हुई बिजली की दरें
दिल्ली सरकार के बिजली विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2008-09 से 2014-15 के दौरान तीनों बिजलीवितरण कंपनियों की सम्मिलित नियामकीय संपत्ति 937 करोड़ रुपये से बढ़कर 11406 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. इसके बाद इसमें कमी आनी शुरू हुई है. वर्ष 2015-16 से 2018-19 के दौरान यह 3029 करोड़ रुपये की गिरावट के साथ वर्ष 2018-19 में 8337 करोड़ रुपये पर आ गई.
200 यूनिट तक बिजली फ्री
दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट तक की मासिक खपत को पूरी तरह से निशुल्क कर दिया है. इसके अलावा 201 से 400 यूनिट की मासिक खपत पर 50% की सब्सिडी देने का फैसला लिया है. इसके बाद भी दिल्ली सरकार का कहना है कि बिजली को लेकर आने वाले वर्षों में दरें बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और बिजली वितरण कंपनियां को भी इसमें कोई विरोध नहीं है.
'बिजली बिल हाफ और पानी बिल माफ' का नारा और वादा कर राजनीति में आई आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पिछले दिनों एक बड़ा ऐलान किया था. एक सितंबर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में 200 यूनिट प्रतिमाह तक बिजली खपत करने वालों का बिजली बिल शून्य कर दिया है.