नई दिल्लीः दिल्ली की दो बड़े धर्मस्थलों (बंगाली मार्केट मस्जिद और तकिया बब्बर शाह मस्जिद) को रेलवे ने नोटिस जारी किया है. रेलवे ने दोनों मस्जिदों को 15 दिन के अंदर हटाने को कहा है. यह भी कहा है कि अगर इन्हें नहीं हटाया तो फिर रेलवे की तरफ से कार्रवाई की जाएगी और जो भी नुकसान होगा, उसके लिए कमेटी प्रशासन खुद जिम्मेदार होगा. हालांकि रेलवे की संभावित कार्रवाई का मस्जिद कमेटियों के साथ ही राज्य सरकार भी विरोध कर रही है. राज्य सरकार का कहना है कि इस कार्रवाई का परिणाम अच्छा नहीं होगा.
वहीं, मस्जिद कमेटी का कहना है कि ये मस्जिदें सैंकड़ों साल पुरानी है, लेकिन रेलवे के मुताबिक ये उनकी जमीन पर बनी है. नोटिस जारी होने के बाद से ही स्थानीय लोगों में गहमागहमी बनी हुई है. मस्जिद कमेटी के लोगों में इसको लेकर आक्रोश है. हालांकि, रेलवे की तरफ से जो नोटिस जारी किया गया है, उसमें साफ कर दिया गया है कि ये मस्जिद रेलवे की भूमि पर अनाधिकृत तरीके से बनी हुई है.
नोटिस में लिखा गया है कि अनाधिकृत रूप से रेलवे की जमीन पर बने अवैध भवन, मंदिर, मस्जिद, मजार को इस सूचना के प्रकाशित होने के 15 दिनों के अंदर स्वेच्छा से हटाना होगा, अन्यथा रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे अधिनियम के अंतर्गत हटा दिया जाएगा. यह नोटिस उत्तर रेलवे दिल्ली की तरफ से जारी किया गया है.
बता दें, केंद्र के कुछ प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए दिल्ली में 67 मंदिर, 6 मजार और एक गुरुद्वारा तोड़ा जाना है. पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इसका विरोध भी जता चुके हैं और मौजूदा शिक्षा और पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी भी विरोध जता रही हैं.
क्या है कार्रवाई की वजह: दिल्ली में आयोजित होने वाले G 20 शिखर सम्मेलन सम्मेलन के चलते अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बड़े पैमाने पर हो रही है. दिल्ली में करीब 260 ऐसी जगहों को चिन्हित की गई है, जहां पर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हुआ है. इनमें बड़ी संख्या में धार्मिक स्थल भी शामिल है. अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के जमीन पर बने धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए धार्मिक समिति का गठन किया गया था और इस समिति के द्वारा लिए गए फैसलों के बाद गत 6 महीने से राजधानी के अलग-अलग इलाकों में मंदिर मस्जिद मजार में तोड़फोड़ हो रही है.
LG ने अधिकारियों को सौपीं जिम्मेदारी: शिखर सम्मेलन को लेकर दिल्ली को तैयार करने की जिम्मेदारी उपराज्यपाल ने अधिकारियों को सौंप दी है. आदेश के मुताबिक सभी 11 जिलों की जिम्मेदारी सचिव स्तर के अधिकारियों को दी गई है. हर जिले में तैनात अधिकारियों को अपनी एक निगरानी व्यवस्था बनानी होगी. जिसमें वह सड़कों की मरम्मत से लेकर सफाई, अतिक्रमण हटाने से लेकर हरित क्षेत्रों को ठीक करने का काम करेंगे.
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