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Exclusive: 893 लोगों के ट्रेन में छूटे सामान को वापस कर रेलवे अधिकारी ने पेश की मिसाल, बोले-ऐसा कर दिल को मिलती है खुशी - new delhi railway station

इस खास इंटरव्यू में जानिए एक ऐसे रेलवे कर्मचारी की कहानी, जो पिछले कई सालों से अपनी नौकरी के साथ-साथ नेक काम भी कर रहे. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के मैनेजर राकेश कुमार शर्मा यात्रियों के ट्रेन में छूटे हुए सामान उन तक पहुंचाते हैं.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 22, 2023, 6:33 AM IST

स्टेशन मैनेजर राकेश कुमार शर्मा से खास बातचीत

नई दिल्ली: ट्रेन में सफर के दौरान कई यात्री अपना सामान छोड़कर चले जाते हैं. लोगों के कई समान छूट जाते है. ऐसे में यात्री परेशान हो जाते हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के मैनेजर राकेश कुमार शर्मा ने अब तक 893 लोगों के ट्रेन में छूटे सामान वापस किए हैं. शर्मा बताते हैं कि ट्रेन में रह गया सामान किसका है यह पता लगाना और उन तक पहुंचाना आसान नहीं होता है. इसके लिए सीट नंबर के जरिए पीएनआर का सहारा लेते हैं और यात्री का मोबाइल नंबर निकालकर यात्री को उनका सामान छूटने के बारे में बताते हैं और वापस कर देते हैं. भारत ही नहीं विदेश के लोगों का भी सामान इस तरह वापस कर चुके हैं.

राकेश शर्मा का कहना है कि जब सामान मिलने के बाद यात्रियों के चेहरे पर मुस्कान आती है तो दिल को खुशी मिलती है. इसके साथ ही लोगों में रेलवे के प्रति अच्छी छवि बनती है. उन्होंने इसके लिए फेसबुक पर अपने नाम से एक पेज बनाया है, जिसमें वह खोए हुए सामान का पूरा विवरण डालते हैं. जिन लोगों का सामान मिलता है वह फेसबुक पेज पर उनके कार्य की सराहना भी करते हैं. ETV भारत से राकेश शर्मा की बातचीत...पढ़ें,

सवाल: आपको कहां से प्रेरणा मिली और आप यात्रियों का ट्रेन में छूटा सामान कब से वापस कर रहे हैं ?
जवाब: 2016 में पहली बार मुझे ट्रेन में एक यात्री का सामान मिला. सबसे पहले सीट नंबर के आधार पर पीएनआर और उस सीट पर यात्रा करने वाले यात्री का मोबाइल नंबर निकाला. उस नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि उसी यात्री का सामान था. सामान ट्रेन में छूट जाने से पूरा परिवार परेशान था. जब मैंने उन्हें बताया कि उनका सामान मेरे पास है और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आकर ले सकते हैं, तो परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. परिवार ने रेलवे स्टेशन आकर सामान लिया और आभार व्यक्त किया. उनके चेहरे पर खुशी देखकर मुझे दिल से बड़ी खुशी मिली. मुझे लगा कि इस नेक काम को आगे करते रहना चाहिए.

सवाल: अब तक आप कितने यात्रियों का छूटा सामान वापस कर चुके हैं. सामान किस यात्री का है? इसका पता लगाने में किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
जवाब: 2016 से अब तक 893 यात्रियों का सामान वापस कर चुका हूं. इसमें देश के अधिकतर राज्यों के साथ विदेश के भी यात्री शामिल हैं. सामान मिलने पर उसके सही मालिक तक पहुंचने में कई तरह की चुनौतियां आती हैं. सामान सीट पर मिला तो ठीक नहीं तो जहां मिला उसके आसपास की कई सीट के पीएनआर से नंबर निकालकर यात्रियों से पूछना पड़ता है. सामान में नाम या मोबाइल नंबर मिल गया तो आसानी भी होती है. कई बार यात्री का पता लगाने में हफ़्तों का वक्त लग जाता है.

सवाल: यदि कोई यात्री दिल्ली से बाहर जा चुका होता है तो उसका सामान कैसे वापस करते हैं. क्या आपके इस काम में अन्य लोग भी मदद करते हैं?
जवाब: किसी यात्री का सामान मिलता है और वह दिल्ली से बाहर जा चुका होता है या आने में असमर्थ है तो हम उसका पहचान पत्र आदि लेकर सत्यापन करते हैं कि सामान उसी व्यक्ति का है. इसके बाद कूरियर सर्विस या ट्रेन में सामान रखकर भिजवा देते हैं. इस नेक काम में रेलेवे के बड़े अधिकारियों से लेकर ट्रेन में काम करने वाले कोच अटेंडेंट, पैंट्री कार के कर्मचारी, आईआरसीटीसी व अन्य लोग सहयोग करते हैं. वो लोग कोच में समान मिलने पर मेरे पास लेकर आते हैं. हम कर्मचारियों से भी सामान मिलने पर उसके सही मालिक तक पहुंचने में मदद की अपील करते हैं, जिससे लोगों में भारतीय रेलवे की अच्छी इमेज बने.

सवाल: अपने बताया कि विदेशी यात्रियों का भी सामान पहुंचाया. किस देश के यात्री का सामान छूटा था? आप उन तक कैसे पहुंचे?
जवाब: ऑस्ट्रेलिया से एक नागरिक भारत भ्रमण के लिए आया था. ट्रेन में उसका लैपटॉप व अन्य सामान छूट गया था. मैंने सीट के आधार पर पीएनआर नंबर निकाला और उसमें दर्ज मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो वह नंबर बंद आया, लेकिन विदेशी नागरिक का नाम मिल गया था. मैंने फेसबुक पर उस नाम के व्यक्ति को तलाशना शुरू किया, साथ में यह भी देखा कि कौन भारत आया था. ऑस्ट्रेलिया का वह नागरिक मुझे मिल गया, जिसने फेसबुक पर भारत में घूमने की फोटो भी डाली थी. मैंने उन्हें मैसेज भेजकर पूछा थी क्या आपका कोई सामान भारत में छूट गया है. उन्होंने सामान छूटने की जानकारी दी, लैपटॉप में उनका महत्वपूर्ण डेटा था. उस व्यक्ति ने एजेंट को सामान लेने के लिए रेलवे स्टेशन भेजा, जिसके माध्यम से वह यात्री भारत घूमने आया था, इस तरह मैं नेपाल, भूटान, इटली, इंडोनेशिया, यूके, यूएसए आदि देशों के यात्रियों का सामान उन तक पहुंचा चुका हूं.

सवाल: कोई ऐसा केस जो आपको बहुत खास लगा हो. आप अपने आपको उस व्यक्ति का सामान पहुंचाकर गर्व महसूस करते हों?
जवाब: हां, ऐसा एक किस्सा है. गाजियाबाद इंदिरापुरम की एक महिला ट्रेन में सफर कर रही थी. साथ में लड्डू गोपाल जी थे. महिला ट्रेन में लड्डू गोपाल को भूल गई. उस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी थी. एक कर्मचारी ने लड्डू गोपाल को एक टीटी को दे दिया. टीटी लड्डू गोपाल को रेस्ट हाउस में लेकर चला गया. बाद में कर्मचारी ने लड्डू गोपाल के बारे में हमें जानकारी दी, उसने सीट नंबर बताई और मैंने तुरंत नंबर निकालकर कॉल किया. पता चला कि लड्डू गोपाल के ट्रेन में छूट जाने से महिला का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था. वह महिला लड्डू गोपाल को अपने बच्चे की तरह मानती थी. परिवार को लग रहा था कि लड्डू गोपाल नाराज होकर घर से चले गए, यह सब सुनने के बाद मैं खुद इंदिरापुरम लड्डू गोपाल जी को लेकर गया, उस महिला ने भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप को कलेजे से लगा लिया और रोने लगी. यह सब देख मेरी भी आंखें भर आईं. इस तरह एक भक्त को भगवान से मिलाकर मैं भावविभोर हो गया.

स्टेशन मैनेजर राकेश कुमार शर्मा से खास बातचीत

नई दिल्ली: ट्रेन में सफर के दौरान कई यात्री अपना सामान छोड़कर चले जाते हैं. लोगों के कई समान छूट जाते है. ऐसे में यात्री परेशान हो जाते हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के मैनेजर राकेश कुमार शर्मा ने अब तक 893 लोगों के ट्रेन में छूटे सामान वापस किए हैं. शर्मा बताते हैं कि ट्रेन में रह गया सामान किसका है यह पता लगाना और उन तक पहुंचाना आसान नहीं होता है. इसके लिए सीट नंबर के जरिए पीएनआर का सहारा लेते हैं और यात्री का मोबाइल नंबर निकालकर यात्री को उनका सामान छूटने के बारे में बताते हैं और वापस कर देते हैं. भारत ही नहीं विदेश के लोगों का भी सामान इस तरह वापस कर चुके हैं.

राकेश शर्मा का कहना है कि जब सामान मिलने के बाद यात्रियों के चेहरे पर मुस्कान आती है तो दिल को खुशी मिलती है. इसके साथ ही लोगों में रेलवे के प्रति अच्छी छवि बनती है. उन्होंने इसके लिए फेसबुक पर अपने नाम से एक पेज बनाया है, जिसमें वह खोए हुए सामान का पूरा विवरण डालते हैं. जिन लोगों का सामान मिलता है वह फेसबुक पेज पर उनके कार्य की सराहना भी करते हैं. ETV भारत से राकेश शर्मा की बातचीत...पढ़ें,

सवाल: आपको कहां से प्रेरणा मिली और आप यात्रियों का ट्रेन में छूटा सामान कब से वापस कर रहे हैं ?
जवाब: 2016 में पहली बार मुझे ट्रेन में एक यात्री का सामान मिला. सबसे पहले सीट नंबर के आधार पर पीएनआर और उस सीट पर यात्रा करने वाले यात्री का मोबाइल नंबर निकाला. उस नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि उसी यात्री का सामान था. सामान ट्रेन में छूट जाने से पूरा परिवार परेशान था. जब मैंने उन्हें बताया कि उनका सामान मेरे पास है और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आकर ले सकते हैं, तो परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. परिवार ने रेलवे स्टेशन आकर सामान लिया और आभार व्यक्त किया. उनके चेहरे पर खुशी देखकर मुझे दिल से बड़ी खुशी मिली. मुझे लगा कि इस नेक काम को आगे करते रहना चाहिए.

सवाल: अब तक आप कितने यात्रियों का छूटा सामान वापस कर चुके हैं. सामान किस यात्री का है? इसका पता लगाने में किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
जवाब: 2016 से अब तक 893 यात्रियों का सामान वापस कर चुका हूं. इसमें देश के अधिकतर राज्यों के साथ विदेश के भी यात्री शामिल हैं. सामान मिलने पर उसके सही मालिक तक पहुंचने में कई तरह की चुनौतियां आती हैं. सामान सीट पर मिला तो ठीक नहीं तो जहां मिला उसके आसपास की कई सीट के पीएनआर से नंबर निकालकर यात्रियों से पूछना पड़ता है. सामान में नाम या मोबाइल नंबर मिल गया तो आसानी भी होती है. कई बार यात्री का पता लगाने में हफ़्तों का वक्त लग जाता है.

सवाल: यदि कोई यात्री दिल्ली से बाहर जा चुका होता है तो उसका सामान कैसे वापस करते हैं. क्या आपके इस काम में अन्य लोग भी मदद करते हैं?
जवाब: किसी यात्री का सामान मिलता है और वह दिल्ली से बाहर जा चुका होता है या आने में असमर्थ है तो हम उसका पहचान पत्र आदि लेकर सत्यापन करते हैं कि सामान उसी व्यक्ति का है. इसके बाद कूरियर सर्विस या ट्रेन में सामान रखकर भिजवा देते हैं. इस नेक काम में रेलेवे के बड़े अधिकारियों से लेकर ट्रेन में काम करने वाले कोच अटेंडेंट, पैंट्री कार के कर्मचारी, आईआरसीटीसी व अन्य लोग सहयोग करते हैं. वो लोग कोच में समान मिलने पर मेरे पास लेकर आते हैं. हम कर्मचारियों से भी सामान मिलने पर उसके सही मालिक तक पहुंचने में मदद की अपील करते हैं, जिससे लोगों में भारतीय रेलवे की अच्छी इमेज बने.

सवाल: अपने बताया कि विदेशी यात्रियों का भी सामान पहुंचाया. किस देश के यात्री का सामान छूटा था? आप उन तक कैसे पहुंचे?
जवाब: ऑस्ट्रेलिया से एक नागरिक भारत भ्रमण के लिए आया था. ट्रेन में उसका लैपटॉप व अन्य सामान छूट गया था. मैंने सीट के आधार पर पीएनआर नंबर निकाला और उसमें दर्ज मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो वह नंबर बंद आया, लेकिन विदेशी नागरिक का नाम मिल गया था. मैंने फेसबुक पर उस नाम के व्यक्ति को तलाशना शुरू किया, साथ में यह भी देखा कि कौन भारत आया था. ऑस्ट्रेलिया का वह नागरिक मुझे मिल गया, जिसने फेसबुक पर भारत में घूमने की फोटो भी डाली थी. मैंने उन्हें मैसेज भेजकर पूछा थी क्या आपका कोई सामान भारत में छूट गया है. उन्होंने सामान छूटने की जानकारी दी, लैपटॉप में उनका महत्वपूर्ण डेटा था. उस व्यक्ति ने एजेंट को सामान लेने के लिए रेलवे स्टेशन भेजा, जिसके माध्यम से वह यात्री भारत घूमने आया था, इस तरह मैं नेपाल, भूटान, इटली, इंडोनेशिया, यूके, यूएसए आदि देशों के यात्रियों का सामान उन तक पहुंचा चुका हूं.

सवाल: कोई ऐसा केस जो आपको बहुत खास लगा हो. आप अपने आपको उस व्यक्ति का सामान पहुंचाकर गर्व महसूस करते हों?
जवाब: हां, ऐसा एक किस्सा है. गाजियाबाद इंदिरापुरम की एक महिला ट्रेन में सफर कर रही थी. साथ में लड्डू गोपाल जी थे. महिला ट्रेन में लड्डू गोपाल को भूल गई. उस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी थी. एक कर्मचारी ने लड्डू गोपाल को एक टीटी को दे दिया. टीटी लड्डू गोपाल को रेस्ट हाउस में लेकर चला गया. बाद में कर्मचारी ने लड्डू गोपाल के बारे में हमें जानकारी दी, उसने सीट नंबर बताई और मैंने तुरंत नंबर निकालकर कॉल किया. पता चला कि लड्डू गोपाल के ट्रेन में छूट जाने से महिला का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था. वह महिला लड्डू गोपाल को अपने बच्चे की तरह मानती थी. परिवार को लग रहा था कि लड्डू गोपाल नाराज होकर घर से चले गए, यह सब सुनने के बाद मैं खुद इंदिरापुरम लड्डू गोपाल जी को लेकर गया, उस महिला ने भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप को कलेजे से लगा लिया और रोने लगी. यह सब देख मेरी भी आंखें भर आईं. इस तरह एक भक्त को भगवान से मिलाकर मैं भावविभोर हो गया.

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