नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली से उत्तरी दिल्ली की तरफ ट्रैफिक जाम की समस्या दूर करने के लिए भैरों मार्ग पर प्रगति मैदान के समीप अंडरपास का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. गुरुवार को पीडब्ल्यूडी मंत्री ने इसका निरीक्षण किया. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि प्रगति मैदान में रिंग रोड पर बनाया जा रहा अंडरपास आधुनिक इंजीनियरिंग का एक अलग नमूना है.
व्यस्त रेलवे लाइन के नीचे अंडरपास का निर्माण करना मुश्किल भरा काम है. प्रतिदिन यहां से लगभग 120 ट्रेनें गुजरती है. ऐसे में पीडब्ल्यूडी को यहां काम करने के लिए रोजाना केवल 4 घंटे ही मिल पाते है. इसमें 3 घंटे रेलवे लाइन को हटाने और फिक्स करने में लग जाते है. बाकी बचे समय में पीडब्ल्यूडी रेलवे लाइन के नीचे 1400 टन वजनी कंक्रीट ब्लॉक को खिसकाने का काम करती है.
रोजाना 30 सेमी ही खिसक पाता है कंक्रीट ब्लॉक: रेलवे लाइन जमीन से 9 मीटर की ऊंचाई पर है. बॉक्स पुशिंग तकनीक से काम के दौरान रेलवे लाइन नहीं धंसे इसके लिए यहां 6000 हॉर्स पावर की हाइड्रोलिक मशीनों द्वारा कंक्रीट ब्लॉक को प्रतिदिन 30 सेंटीमीटर खिसकाया जाता है. कंक्रीट ब्लॉक को खिसकाने के बाद वहां मौजूद मिट्टी को हटाया जाता है. इसके बाद अगले दिन दोबारा बॉक्स पुशिंग का काम शुरू हो पाता है. इंजीनियरों ने साझा किया कि बॉक्स पुशिंग की तकनीक को पहले भी इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन इतने बड़े स्तर पर पहली बार ये काम हो रहा है.
अंडरपास तैयार होने से मिलेगा ये लाभ: अंडरपास के तैयार होने के बाद दिल्ली के 2 इंटरस्टेट बस टर्मिनल- कश्मीरी गेट और सराय काले खां के बीच की रोड पूरी तरह से सिग्नल फ्री हो जाएगी. यहां से गुजरने वाले लाखों वाहनों को जाम की समस्या का सामना नहीं करना होगा. भैरों मार्ग से जिन वाहनों को सराय काले खाँ, अक्षरधाम, नोएडा की ओर जाना होगा. उन्हें ट्रैफिक की समस्या का सामना नहीं करना होगा. वह अंडरपास का इस्तेमाल करते हुए सीधे रिंग रोड पर निकल सकेंगे.
ये भी पढ़ें: Apple Store In India : कितना अलग है मायानगरी के स्टोर से दिल्ली साकेत का Apple Store, तस्वीरों में देखें
PWD ने मुश्किल प्रोजेक्ट को बनाया संभव: इस अंडरपास का निर्माण खुद में इंजीनियरिंग की एक बड़ी चुनौती है. अंडरपास का एक हिस्सा बेहद ही व्यस्त रेलवे लाइन के नीचे है. वहीं दूसरी बड़ी चुनौती ये है कि अंडरपास के नजदीक ही यमुना नदी है. इस कारण वाटर टेबल के अधिक होने की वजह से काम करना और मुश्किल बन जाता है. फिर भी चुनौतियों का सामना करते हुए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने इसे संभव कर दिखाया.
ये भी पढ़ें: Atiq Ahmed: अतीक के हत्यारों को कानूनी मदद देने के लिए कहा जाएगा तो जरूर दूंगा, यति नरसिंहानंद सरस्वती बोले