नई दिल्ली: गर्मी का मौसम आते ही आग लगने की घटनाएं अचानक से बढ़ जाती हैं. पिछले कुछ दिनों में दिल्ली और एनसीआर में अस्पताल, स्कूल, फैक्ट्री और दुकानों के साथ ही लोगों के घरों में भी आग लगने की घटनाएं सामने आई है. हर साल अप्रैल से लेकर जून तक का समय, अग्निशमन विभाग के लिए चुनौती भरा होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस अवधि के दौरान सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है और आग लगने की घटनाएं भी सबसे ज्यादा होती हैं. इन घटनाओं के पीछे का कारण, शॉर्ट सर्किट या फिर अन्य लापरवाही होता है. वहीं सर्दी के मौसम में हीटर, अलाव आदि जलाने के कारण भी आग लगने की घटनाएं होती हैं.
आग लगने के कारण हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान तो होता ही है, साथ ही लोगों की जान भी जाती हैं. राजधानी में ही प्रतिवर्ष आग लगने की छोटी-बड़ी हजारों घटनाएं होती हैं. अग्निशमन विभाग के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने बताया कि आग लगने के बहुत से कारण होते हैं. मल्टीसिटी ऑक्यूपेंसी होने के कारण दिल्ली में इंडस्ट्रियल एरिया के साथ ही बड़ी संख्या में ऐसी जगह हैं, जहां कॉमर्शियल एक्टिविटी भी होती हैं. ऐसे में आग लगने के खतरे ज्यादा होते हैं.
पिछले साल 16 हजार से अधिक घटनाएंः उन्होंने बताया कि आग लगने से बचाने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए. गर्मी में आग लगने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. वर्ष 2022 में आग लगने की छोटी-बड़ी कुल 16,500 घटनाएं हुईं, जिनमें 82 लोगों की जान गई थी. साथ ही इन घटनाओं में करोड़ों रुपए की संपत्ति जलकर स्वाहा हो गई. अग्निशमन विभाग आग लगने की घटनाओं में हुए आर्थिक नुकसान का रिकॉर्ड नहीं रखता है. हालांकि फैक्ट्री, स्कूल और दुकानों के साथ ही घरों में आग लेकिन आग लगने से बड़ी आर्थिक हानि होती है. इसके अलावा झुग्गी बस्ती वाले इलाकों में भी आग लगने की घटनाएं बहुत आम हैं, जहां पर घर छोटे होते हैं और लोग पर्याप्त सावधानी नहीं बरत पाते हैं.
2021 में आग लगने की करीब 15,000 घटनाएं हुई, जिनमें 52 लोगों की जान चली गई थी, जबकि वर्ष 2020 में आग लगने की करीब 17,000 घटनाएं हुई, जिनमें 100 लोगों की मौत हुई थी. अग्निशमन विभाग के सूत्रों के अनुसार, फैक्ट्रियों और झुग्गियों में आग लगने की घटनाओं में लोगों की जान जाने खतरा अधिक रहता है, क्योंकि इनमें आग लगने के समय सुरक्षित तरीके से बाहर निकालने के रास्तों का अभाव होता है.
लापरवाही है बड़ा कारण: एक तरफ जहां आग से बचाव की सबसे ज्यादा जरूरत है, वहीं इसे लेकर लापरवाही भी खूब होती है. सबसे ज्यादा लापरवाही स्कूल और गेस्ट हाउस में होती है. दिल्ली अग्निशमन विभाग ने वर्ष 2022 में सबसे ज्यादा स्कूल और गेस्ट हाउस की एनओसी इसलिए रद्द की, क्योंकि सबसे ज्यादा यहीं पर नियमों का उल्लंघन हुआ. दिल्ली अग्निशमन विभाग तीन वर्ष के लिए एनओसी देता है. इसके बाद नवीनीकरण के दौरान भवन का निरीक्षण किया जाता है. यदि नियमों के मुताबिक वहां पर सब ठीक रहता है तो एनओसी फिर तीन वर्ष के लिए बढ़ा दी जाती है. लेकिन अगर नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो संबंधित भवन के प्रबंधन को नोटिस देकर उसे ठीक कराने के लिए कहा जाता है. इसके बाद भी यदि नियम के मुताबिक सुधार नहीं होता है तो अग्निशमन विभाग एनओसी रद्द कर देता है.
जारी और रिन्यू की गई एनओसी-
वर्ष | होटल | गेस्ट हाउस | रेस्त्रां | स्कूल | बैंक्वेट | कॉलेज |
2021 | 41 | 554 | 388 | 1099 | 40 | 19 |
2022 | 56 | 556 | 370 | 1363 | 69 | 29 |
रद्द की गई एनओसी-
वर्ष | होटल | गेस्ट हाउस | रेस्त्रां | स्कूल | बैंक्वेट | कॉलेज |
2021 | 34 | 1107 | 600 | 694 | 17 | 32 |
2022 | 29 | 1054 | 767 | 765 | 256 | 76 |
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इन स्थितियों में रद्द की जा सकती है एनओसी: यदि आग से बचाव के लिए उपकरण के नहीं सही हैं या फिर भवन की डिजाइन को बिना अनुमति के बदले जाने की स्थिति में एनओसी रद्द की जा सकती है. इसके अलावा भवन में लगे आग से बचाव के उपकरण पुराने होने के कारण काम न करने पर, भवन में इमरजेंसी एग्जिट की व्यवस्था न होने पर और लापरवाही बरतने के मामले में पहले दिए गए नोटिस के बावजूद कोई सुधार न होने पर भी एनओसी रद्द की जा सकती है.
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