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दिल्ली BJP में दो फाड़! मनोज तिवारी और विजय गोयल ने पकड़ी अलग राह - Unauthorised Colony News

अनधिकृत कॉलोनियों की सियासत नई नहीं है. सियासत 70 के दशक से चली आ रही है. सच तो ये है कि यह कॉलोनियां हर राजनीतिक पार्टी के लिए बड़ा वोट बैंक है. चाहे दिल्ली सरकार हो या नगर निगम, वहां की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता अनधिकृत कॉलोनियों से होकर ही गुजरता है.

मनोज तिवारी और विजय गोयल ने पकड़ी अलग राह!
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Published : Aug 18, 2019, 1:36 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में केंद्र सरकार और उसके बाद दिल्ली सरकार की भूमिका है. केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है. इससे ठीक पहले अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर बीजेपी में गुटबाजी उभरकर सामने आई है.

अनधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर दिल्ली बीजेपी में फूट!

अनधिकृत कॉलोनियों की सियासत नई नहीं है. सियासत 70 के दशक से चली आ रही है. सच तो ये है कि यह कॉलोनियां हर राजनीतिक पार्टी के लिए बड़ा वोट बैंक है. चाहे दिल्ली सरकार हो या नगर निगम, वहां की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता अनधिकृत कॉलोनियों से होकर ही गुजरता है. इसीलिए इन कॉलोनियों को नियमित करने की राजनीति तो सभी करते हैं मगर हकीकत में नियमित करना भी कोई नहीं चाहता.

बीजेपी में गुटबाजी तेज!
इस बार केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के बाद जब दिल्ली सरकार ने इस पर पहल शुरू की तो अब श्रेय लेने की होड़ में विपक्ष में बैठी बीजेपी में तेज गुटबाजी होने लगी है. इस मुद्दे पर ही प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद विजय गोयल अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर एक सम्मेलन करने की तैयारी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष मनोज तिवारी कॉलोनियों को नियमित किए जाने के कार्य में तेजी लाने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की. दोनों ही नेता एक ही दिन में अनाधिकृत कॉलोनियों के मसले पर अलग-अलग गतिविधि से जिस तरह सामने आए हैं, राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी इस मुद्दे पर दिल्ली में दो फाड़ हो गई है.

वहीं, विजय गोयल दिल्ली के सबसे बड़े मुद्दे को लेकर अलग गतिविधियों करने पर आमादा हैं. तो वहीं प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और अन्य पदाधिकारी का रास्ता अलग अख्तियार किया हुआ है. हालांकि इस तरह की सियासत पहले भी होती रही है. मगर सत्ता पक्ष और विपक्ष इसकी भूमिका में होते थे. पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ता पक्ष सही मायने में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में आगे बढ़ी है तो विपक्ष में बैठी बीजेपी ही दो खेमों में बंट गई है.

अनधिकृत कॉलोनियों की बदतर स्थिति
जानकारी के मुताबिक राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला साल 1970 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के जमाने से शुरू हो गया था. अलग-अलग समय में करीब 550 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की गई. लेकिन आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बाद में बसी और नियमित का की जा चुकी कॉलोनियों का हाल भी कमोबेश ऐसा ही है.

बता दें कि दिल्ली में करीब 1797 अनाधिकृत कॉलोनियां है. पिछले दिनों केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मुताबिक कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली सरकार को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में केंद्र सरकार और उसके बाद दिल्ली सरकार की भूमिका है. केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है. इससे ठीक पहले अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर बीजेपी में गुटबाजी उभरकर सामने आई है.

अनधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर दिल्ली बीजेपी में फूट!

अनधिकृत कॉलोनियों की सियासत नई नहीं है. सियासत 70 के दशक से चली आ रही है. सच तो ये है कि यह कॉलोनियां हर राजनीतिक पार्टी के लिए बड़ा वोट बैंक है. चाहे दिल्ली सरकार हो या नगर निगम, वहां की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता अनधिकृत कॉलोनियों से होकर ही गुजरता है. इसीलिए इन कॉलोनियों को नियमित करने की राजनीति तो सभी करते हैं मगर हकीकत में नियमित करना भी कोई नहीं चाहता.

बीजेपी में गुटबाजी तेज!
इस बार केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के बाद जब दिल्ली सरकार ने इस पर पहल शुरू की तो अब श्रेय लेने की होड़ में विपक्ष में बैठी बीजेपी में तेज गुटबाजी होने लगी है. इस मुद्दे पर ही प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद विजय गोयल अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर एक सम्मेलन करने की तैयारी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष मनोज तिवारी कॉलोनियों को नियमित किए जाने के कार्य में तेजी लाने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की. दोनों ही नेता एक ही दिन में अनाधिकृत कॉलोनियों के मसले पर अलग-अलग गतिविधि से जिस तरह सामने आए हैं, राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी इस मुद्दे पर दिल्ली में दो फाड़ हो गई है.

वहीं, विजय गोयल दिल्ली के सबसे बड़े मुद्दे को लेकर अलग गतिविधियों करने पर आमादा हैं. तो वहीं प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और अन्य पदाधिकारी का रास्ता अलग अख्तियार किया हुआ है. हालांकि इस तरह की सियासत पहले भी होती रही है. मगर सत्ता पक्ष और विपक्ष इसकी भूमिका में होते थे. पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ता पक्ष सही मायने में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में आगे बढ़ी है तो विपक्ष में बैठी बीजेपी ही दो खेमों में बंट गई है.

अनधिकृत कॉलोनियों की बदतर स्थिति
जानकारी के मुताबिक राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला साल 1970 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के जमाने से शुरू हो गया था. अलग-अलग समय में करीब 550 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की गई. लेकिन आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बाद में बसी और नियमित का की जा चुकी कॉलोनियों का हाल भी कमोबेश ऐसा ही है.

बता दें कि दिल्ली में करीब 1797 अनाधिकृत कॉलोनियां है. पिछले दिनों केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मुताबिक कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली सरकार को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

Intro:नई दिल्ली.दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में केन्द्र सरकार और उसके बाद दिल्ली सरकार की भूमिका है. केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है. लेकिन इससे ठीक पहले अनाधिकृत कॉलोनियों को लेकर दिल्ली सरकार में विपक्ष में बैठी भाजपा में जिस तरह की गुटबाजी उभरकर सामने आई है, यह पार्टी के नुकसानदेह साबित हो सकता है.


Body:अनाधिकृत कॉलोनियों की सियासत नई नहीं है. सियासत 70 के दशक से चली आ रही है. सच तो यह है कि यह कॉलोनियां हर राजनीतिक पार्टी के लिए बड़ा वोट बैंक है. चाहे दिल्ली सरकार हो या नगर निगम, वहां की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता अनधिकृत कॉलोनियों से होकर ही गुजरता है. इसीलिए इन कॉलोनियों को नियमित करने की राजनीति तो सभी करते हैं मगर हकीकत में नियमित करना भी कोई नहीं चाहता.

इस बार केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के बाद जब दिल्ली सरकार ने इस पर पहल शुरू की तो अब श्रेय लेने की होड़ में विपक्ष में बैठी भाजपा में तेज गुटबाजी होने लगी है. इस मुद्दे पर ही प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद विजय गोयल अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर एक सम्मेलन करने की तैयारी कर रहे हैं. तो दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष मनोज तिवारी कॉलोनियों को नियमित किए जाने के कार्य में तेजी लाने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की. दोनों ही नेता एक ही दिन में अनाधिकृत कॉलोनियों के मसले पर अलग अलग गतिविधि से जिस तरह सामने आए हैं, राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है कि भाजपा इस मुद्दे पर दिल्ली में दो फाड़ हो गई है.

उधर, विजय गोयल दिल्ली के सबसे बड़े मुद्दे को लेकर अलग गतिविधियों करने पर आमादा हैं. तो वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और अन्य पदाधिकारी का रास्ता अलग अख्तियार किया हुआ है. हालांकि इस तरह की सियासत पहले भी होती रही है. मगर सत्ता पक्ष और विपक्ष इसकी भूमिका में होते थे. पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ता पक्ष सही मायने में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में आगे बढ़ी है तो विपक्ष में बैठे भाजपा ही दो खेमे में बंट गए हैं.

जानकारी के मुताबिक राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला वर्ष 1970 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के जमाने से शुरू हो गया था. अलग-अलग समय में करीब 550 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की गई. लेकिन आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बाद में बसी और नियमित का की जा चुकी कॉलोनियों का हाल भी कमोबेश ऐसा ही है.


Conclusion:बता दें कि दिल्ली में करीब 1797 अनाधिकृत कॉलोनियां है. पिछले दिनों केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मुताबिक कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली सरकार को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

समाप्त, आशुतोष झा
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