नई दिल्ली/नोएडा: निजी स्कूलों की बढ़ती मनमानी को देखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने निर्देश जारी किए हैं. जिसके बाद निजी स्कूल अभिभावकों को स्कूल द्वारा तय की गई दुकानों से किताबें, जूते- मौजे और यूनिफार्म सहित अन्य सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर पाएंगे. वहीं, अगर स्कूल परिसर में किताबों सहित अन्य सामग्री बेचते हुए पाए जाएंगे, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
जिला प्रशासन को लंबे समय से मिल रही थी शिकायत: दरअसल, प्राइवेट स्कूल प्रबंधक पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल में किताबें, जूते- मौजे और यूनिफॉर्म सहित अन्य सामान वितरित करते हैं. जिसकी शिकायत विद्यालय निरीक्षक और जिला प्रशासन को मिल रही थी. इसके साथ ही स्कूल प्रबंधक अभिभावकों को तय की गई दुकान से ही स्कूल सामग्री खरीदने के लिए बाध्य करते हैं. जिनका अधिक मूल्य होता है और मजबूरी बस अभिभावकों को वह सामग्री खरीदनी पड़ती है. उसी पर रोक लगाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं.
कैंपस में नहीं बेची जाएगी सामग्री: जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ धर्मेंद्र सिंह ने उत्तरप्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 के अध्याय 2 अंतर्गत विद्यालयों में प्रवेश व शुल्क के बिंदु शुल्क व निधि 3(10) के अनुसार एक निर्देश जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि स्कूल मैनेजमेंट और प्रधानाचार्य अपने स्तर पर इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके विद्यालय में स्कूल मैनेजमेंट या उनके द्वारा तय दुकानदारों द्वारा किसी प्रकार की सामग्री कैंपस में ना बेची जाए.
जिला विद्यालय निरीक्षक ने दी चेतावनी: डॉ धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन और विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को लगातार इस प्रकार की शिकायतें मिल रही हैं कि प्राइवेट स्कूल द्वारा किताबें और यूनिफार्म बेची जा रही हैं और छात्रों के अभिभावकों को तय दुकानों से ही खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है. उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर स्कूल के परिसर में उनके अधिकृत प्रतिनिधि या वेंडर किसी भी प्रकार की सामग्री स्कूल परिसर में बेचते हुए पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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