नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने अभिभावकों को बड़ी राहत दी है. अब दिल्ली के निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी. बिना शिक्षा विभाग को बताए कोई भी निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता है. और न ही तय फीस से ज्यादा वसूल सकता है. अगर फिर भी कोई निजी स्कूल चोरी से दबाव बनाकर अभिभावक से फीस वसूलता है तो कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, शिक्षा विभाग ने सभी निजी स्कूलों के प्रमुखों से कहा है कि वह स्कूल में जितने भी क्राइटेरिया में चार्ज ले रहे हैं इसकी जानकारी स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करे. इस संबंध में दिल्ली सरकार की शिक्षा विभाग के शिक्षा निदेशक हिमांशु ने एक पत्र जारी किया है.
10 दिनों का दिया समयः शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में सभी निजी स्कूलों को 10 दिन का समय दिया है. जिसमें उन्हें फीस से संबंधित सारी जानकारी देनी होगी. वहीं, शिक्षा विभाग ने सभी जिला के उप शिक्षा निदेशकों से कहा है कि वह चेक करें कि स्कूलों ने आदेश का पालन किया है या नहीं. साथ ही 15 दिनों के भीतर वह पूरी रिपोर्ट जमा कराए.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, शिक्षा निदेशक को कई शिकायत मिली. जिसमें पेरेंट्स ने आरोप लगाया कि निजी स्कूल फीस स्ट्रक्चर कुछ दिखाते हैं और फीस ज्यादा लेते हैं. इस पर यह आदेश जारी किया गया है. हालांकि, जब अधिकारी से यह पूछा गया कि स्कूलों में डोनेशन लिया जाता है तो उन्होंने इस मसले पर कुछ नहीं कहा. कहा कि इस पर भी शिकायत आती है तो एक्शन लेंगे.
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क्या कहते हैं अभिभावक संघः दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्षा अपराजिता गौतम ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग का प्राइवेट स्कूलों से सभी दस्तावेजों को स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश स्वागत योग्य है. हालांकि, सवाल यह है कि जो स्कूल, शिक्षा विभाग द्वारा फीस बढ़ाने के आदेश की पूरी कॉपी पेरेंट्स के मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराता या केवल अंतिम पन्ना उपलब्ध कराता है, वो स्कूल की सभी जानकारी फाइनेंसियल डिटेल्स के साथ अपनी वेबसाइट पर नहीं साझा करेगा. क्योंकि उनको पता है कि पेरेंट्स अकाउंट स्टेटमेंट को पढ़कर उनसे प्रश्न कर सकते हैं. जबकि, सही स्कूल सोसाइटी के तहत रजिस्टर होते हैं.
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (DPA) कई सालों से लगातार स्कूलों की पूरी जानकारी जैसे अनुमोदित फीस स्ट्रक्चर, PTA, MC, और स्कूल की फाइनेंसियल डिटेल के साथ शिक्षा विभाग की ही वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग उठता रहा है. इसके लिए एसोसिएशन द्वारा #discloseaccount मुहिम और सरकार से "श्वेत पत्र" जारी करने की मांग भी की गई थी.