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बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है: राष्ट्रपति मुर्मू - जल संसाधनों के संरक्षण की तकनीक

ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित हो रहे इंडिया वाटर वीक का राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उद्घाटन किया. इंडिया वाटर वीक के 7वें संस्करण में उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. तभी, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को बेहतर और सुरक्षित कल दे पाएंगे.

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राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू
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Published : Nov 1, 2022, 6:34 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वैज्ञानिकों, नगर नियोजकों और नवोन्मेषकों से ऐसी तकनीक विकसित करने का प्रयास करने की अपील की है जो जल संसाधनों के संरक्षण में मदद करे. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि जल संरक्षण में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. ‘इंडिया वाटर वीक’ के 7वें संस्करण में अपने संबोधन के दौरान मुर्मू ने कहा कि स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए समाज के सभी वर्गों के सहयोग की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि हमारी भावी पीढ़ी की मांगों को पूरा करने के लिए प्रभावी ढंग से जल संरक्षण की आवश्यकता होगी और इसमें प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. अत: वैज्ञानिकों, नगर नियोजकों और नवोन्मेषकों से मेरी अपील है कि वे जल संसाधनों के संरक्षण की तकनीक विकसित करने का प्रयास करें. साथ ही उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाने की भी अपील की. तभी, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को बेहतर व सुरक्षित कल दे पाएंगे.

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राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू

जल सुरक्षा पर वर्तमान स्थिति को चिंताजनक बताते हुए मुर्मू ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण, हमारी नदियों और जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है और गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं. उन्होंने कहा कि कृषि और उद्योगों में पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है. पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम हो गई है. ऐसे हालात में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है.

ये भी पढ़ें : भाजपा कार्यालय में चल रहा था काम, पर्यावरण मंत्री ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

राष्ट्रपति ने कहा कि पानी का मुद्दा सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिये प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है, क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है. इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है. पानी कृषि के लिए भी एक अहम संसाधन है. एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है.

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राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू

ये भी पढ़ें : ब्लू टिक पर फीस को लेकर लेखक ने कहा- F*** that.., मस्क बोले-$20 छोड़ो, $8 डॉलर चलेगा ?

राष्ट्रपति ने कहा कि इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है. 7वें भारत जल सप्ताह की थीम है, ‘‘टिकाऊ विकास और समानता के लिए जल सुरक्षा’’. समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल व विश्वेश्वर टुडू सहित कई गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया. (PTI)

नई दिल्ली/नोएडा : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वैज्ञानिकों, नगर नियोजकों और नवोन्मेषकों से ऐसी तकनीक विकसित करने का प्रयास करने की अपील की है जो जल संसाधनों के संरक्षण में मदद करे. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि जल संरक्षण में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. ‘इंडिया वाटर वीक’ के 7वें संस्करण में अपने संबोधन के दौरान मुर्मू ने कहा कि स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए समाज के सभी वर्गों के सहयोग की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि हमारी भावी पीढ़ी की मांगों को पूरा करने के लिए प्रभावी ढंग से जल संरक्षण की आवश्यकता होगी और इसमें प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. अत: वैज्ञानिकों, नगर नियोजकों और नवोन्मेषकों से मेरी अपील है कि वे जल संसाधनों के संरक्षण की तकनीक विकसित करने का प्रयास करें. साथ ही उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाने की भी अपील की. तभी, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को बेहतर व सुरक्षित कल दे पाएंगे.

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राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू

जल सुरक्षा पर वर्तमान स्थिति को चिंताजनक बताते हुए मुर्मू ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण, हमारी नदियों और जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है और गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं. उन्होंने कहा कि कृषि और उद्योगों में पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है. पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम हो गई है. ऐसे हालात में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है.

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राष्ट्रपति ने कहा कि पानी का मुद्दा सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिये प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है, क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है. इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है. पानी कृषि के लिए भी एक अहम संसाधन है. एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है.

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राष्ट्रपति ने कहा कि इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है. 7वें भारत जल सप्ताह की थीम है, ‘‘टिकाऊ विकास और समानता के लिए जल सुरक्षा’’. समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल व विश्वेश्वर टुडू सहित कई गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया. (PTI)

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