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शिक्षकों को दोगुना कार्य करने के लिए मजबूर कर रही दिल्ली सरकार और एमसीडीः प्रवीण शंकर कपूर - MCD are forcing teachers to do double work

Delhi BJP Spokesperson Praveen Shankar Kapoor ने कहा कि दिल्ली सरकार और एमसीडी शिक्षकों को दोगुना काम करने के लिए मजबूर कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों को ऐसा करके प्रताड़ित किया जा रहा है.

Delhi BJP Spokesperson Praveen Shankar Kapoor
Delhi BJP Spokesperson Praveen Shankar Kapoor
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 27, 2023, 8:53 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने शिक्षकों को पहले स्कूल समय के दौरान कक्षाएं लेने और उसके बाद निर्वाचन आयोग के अंतर्गत बीएलओ के रूप में कार्य करने को लेकर शिक्षा विभाग की कड़ी निंदा की है. प्रवीण शंकर कपूर ने रविवार को कहा कि पिछले साल तक उन एमसीडी शिक्षकों को शिक्षण कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाता था, जिनकी ड्यूटी बीएलओ के तौर पर लगाई जाती थी. लेकिन इस वर्ष दिल्ली सरकार और एमसीडी स्कूल शिक्षकों को पहले स्कूल में पढ़ाने और उसके बाद बतौर बीएलओ कार्य करने पर मजबूर किया जा रहा है.

जीवन हो रहा अस्त व्यस्त: उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्कूल के शिक्षकों का पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है, क्योंकि वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं. साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक वे स्कूल में पढ़ाते हैं और दोपहर एक बजे से शाम छह बजे तक उन्हें बीएलओ की ड्यूटी निभानी होती है. यह चौंकाने वाली बात है कि जो शिक्षक बीएलओ का काम नहीं कर रहे हैं उन्हें चुनाव कार्यालयों द्वारा ड्यूटी के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

खुल रही पोल: दिल्ली सरकार और एमसीडी के इस तानाशाही रवैये के कारण, शिक्षकों का एक औसत कार्य दिवस बिना किसी अतिरिक्त वेतन या भत्ते के बढ़ गया है. इससे शिक्षा मंत्री आतिशी की शिक्षकों को अनुकूल कार्य परिस्थिति देने के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि जो शिक्षक यह काम नहीं कर रहे उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें-वीरेंद्र सचदेवा ने AAP को घेरा, कहा- रेप के आरोपी प्रमोदय खाखा को कौन बचा रहा? केजरीवाल सरकार जवाब दे

दिल्ली सरकार को पत्र लिखे चुनाव आयोग: उन्होंने आग्रह दिल्ली सरकार और एमसीडी से आग्रह किया कि गत वर्ष तक अपनाई गई व्यवस्था को तुरंत बहाल करें, जिसमें शिक्षकों को बीएलओ के रूप में काम करने पर शिक्षण कार्य से मुक्त किया जाता था. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो चुनाव आयोग को इसको लेकर दिल्ली सरकार को पत्र लिखना चाहिए, लेकिन शिक्षकों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार और उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें-वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी को पत्र लिखकर चयनीत प्रधानाचार्यों के दस्तावेजों के उचित सत्यापन का किया आग्रह

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने शिक्षकों को पहले स्कूल समय के दौरान कक्षाएं लेने और उसके बाद निर्वाचन आयोग के अंतर्गत बीएलओ के रूप में कार्य करने को लेकर शिक्षा विभाग की कड़ी निंदा की है. प्रवीण शंकर कपूर ने रविवार को कहा कि पिछले साल तक उन एमसीडी शिक्षकों को शिक्षण कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाता था, जिनकी ड्यूटी बीएलओ के तौर पर लगाई जाती थी. लेकिन इस वर्ष दिल्ली सरकार और एमसीडी स्कूल शिक्षकों को पहले स्कूल में पढ़ाने और उसके बाद बतौर बीएलओ कार्य करने पर मजबूर किया जा रहा है.

जीवन हो रहा अस्त व्यस्त: उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्कूल के शिक्षकों का पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है, क्योंकि वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं. साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक वे स्कूल में पढ़ाते हैं और दोपहर एक बजे से शाम छह बजे तक उन्हें बीएलओ की ड्यूटी निभानी होती है. यह चौंकाने वाली बात है कि जो शिक्षक बीएलओ का काम नहीं कर रहे हैं उन्हें चुनाव कार्यालयों द्वारा ड्यूटी के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

खुल रही पोल: दिल्ली सरकार और एमसीडी के इस तानाशाही रवैये के कारण, शिक्षकों का एक औसत कार्य दिवस बिना किसी अतिरिक्त वेतन या भत्ते के बढ़ गया है. इससे शिक्षा मंत्री आतिशी की शिक्षकों को अनुकूल कार्य परिस्थिति देने के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि जो शिक्षक यह काम नहीं कर रहे उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

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दिल्ली सरकार को पत्र लिखे चुनाव आयोग: उन्होंने आग्रह दिल्ली सरकार और एमसीडी से आग्रह किया कि गत वर्ष तक अपनाई गई व्यवस्था को तुरंत बहाल करें, जिसमें शिक्षकों को बीएलओ के रूप में काम करने पर शिक्षण कार्य से मुक्त किया जाता था. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो चुनाव आयोग को इसको लेकर दिल्ली सरकार को पत्र लिखना चाहिए, लेकिन शिक्षकों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार और उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए.

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