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सुनिए कुम्हार का दर्द! बोला 'इस खर्चे से अपना घर चलाएं या चालान का भरे पैसा' - lockdown news

लॉकडाउन से पहले गर्मी के मौसम में जहां मिट्टी के बर्तन बनाने वाले करीगर कमाई कर अपना गुजारा कर पाते थे. अब लॉकडाउन के बाद वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ओखला मंडी स्थित फुटपाथ पर पहुंची और टीम ने मिट्टी के बर्तन बानाने वाले करीगरों की आपबीती जानी.

potters facing financial crises after lockdown at okhla mandi
आर्थिक तंगी से जूझ रहे मिट्टी के बर्तनों के विक्रेता
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Published : Jun 11, 2020, 7:46 PM IST

नई दिल्ली: जून के महीने में चिलचिलाती धूप और बेहाल करने वाली गर्मी के बाद भी देसी फ्रिज यानी मिट्टी के पानी के मटके की बिक्री नहीं हो रही है. हाल ये है कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और इस महामारी के दौर में अपने घर तक नहीं जा पा रहे हैं.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे मिट्टी के बर्तनों के विक्रेता



50-100 रुपये की कमाई

ओखला मंडी स्थित फुटपाथ पर मिट्टी के बर्तन बेचकर अपना गुजारा करने वाले कारीगर इन दिनों बिक्री ना होने के चलते काफी परेशान चल रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कारीगरों ने बताया कि अनलॉक-1 लागू होने के बाद भी मिट्टी के बर्तनों की बिक्री नहीं हो रही है. जहां पहले गर्मियां आते ही इनकी मांग बढ़ जाती थी. लेकिन अब पूरे दिन में 50 या 100 रुपये तक की ही बिक्री हो पा रही है.


चालान कटने से परेशान कारीगर

कारीगरों ने बताया कि जहां पहले गर्मियों के मौसम में जमकर देसी फ्रिज की जमकर बिक्री हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा हो गया है कि दिन में 50 रुपये की भी बिक्री नहीं हो पा रही. वहीं दूसरी तरफ पुलिस वाले चालान काट जाते हैं. इतना ही नहीं, सड़कों पर रहकर ही गुजारा करने को मिट्टी के बर्तन बनाने वाले करीगर मजबूर हो गए हैं. इस खर्चे से न तो उनके घर राशन आ पाता है और न ही वे एक वक्त का खाना अच्छे से खा पाते हैं और बाहर से भी राशन की कोई मदद नहीं मिल रही है.


घर चलाना हो रहा मुश्किल

कारीगरों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि कमाई नहीं हो रही है, दूसरी तरफ कई बार पुलिस या एमसीडी वाले हम गरीबों का चालान काट कर चले जाते हैं. 50 रुपये की कमाई होती है. करीगरों ने कहा कि इस खर्चे में अपना घर चलाएं या चालान का पैसा भरें.

नई दिल्ली: जून के महीने में चिलचिलाती धूप और बेहाल करने वाली गर्मी के बाद भी देसी फ्रिज यानी मिट्टी के पानी के मटके की बिक्री नहीं हो रही है. हाल ये है कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और इस महामारी के दौर में अपने घर तक नहीं जा पा रहे हैं.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे मिट्टी के बर्तनों के विक्रेता



50-100 रुपये की कमाई

ओखला मंडी स्थित फुटपाथ पर मिट्टी के बर्तन बेचकर अपना गुजारा करने वाले कारीगर इन दिनों बिक्री ना होने के चलते काफी परेशान चल रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कारीगरों ने बताया कि अनलॉक-1 लागू होने के बाद भी मिट्टी के बर्तनों की बिक्री नहीं हो रही है. जहां पहले गर्मियां आते ही इनकी मांग बढ़ जाती थी. लेकिन अब पूरे दिन में 50 या 100 रुपये तक की ही बिक्री हो पा रही है.


चालान कटने से परेशान कारीगर

कारीगरों ने बताया कि जहां पहले गर्मियों के मौसम में जमकर देसी फ्रिज की जमकर बिक्री हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा हो गया है कि दिन में 50 रुपये की भी बिक्री नहीं हो पा रही. वहीं दूसरी तरफ पुलिस वाले चालान काट जाते हैं. इतना ही नहीं, सड़कों पर रहकर ही गुजारा करने को मिट्टी के बर्तन बनाने वाले करीगर मजबूर हो गए हैं. इस खर्चे से न तो उनके घर राशन आ पाता है और न ही वे एक वक्त का खाना अच्छे से खा पाते हैं और बाहर से भी राशन की कोई मदद नहीं मिल रही है.


घर चलाना हो रहा मुश्किल

कारीगरों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि कमाई नहीं हो रही है, दूसरी तरफ कई बार पुलिस या एमसीडी वाले हम गरीबों का चालान काट कर चले जाते हैं. 50 रुपये की कमाई होती है. करीगरों ने कहा कि इस खर्चे में अपना घर चलाएं या चालान का पैसा भरें.

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