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दिल्ली में गाड़ियों की संख्या नियंत्रित करना क्यों है जरूरी, जानिए सबकुछ

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Published : Nov 15, 2019, 10:56 AM IST

वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही दिल्ली सरकार ने 15 नवंबर यानी आज तक ऑड इवन योजना को लागू किया है. तर्क है कि इस योजना से आधी गाड़ियां सड़कों पर नहीं आएंगी और प्रदूषण कम होगा.

दिल्ली में गाड़ियों से बढ़ रहा प्रदूषण

नई दिल्ली: दिल्ली की आबोहवा में जहर घोलने में 28 फीसद भूमिका वाहनों से निकलने वाला धुआं है. बावजूद सरकार वाहनों की संख्या पर नियंत्रण के लिए कोई रणनीति नहीं तैयार कर रही है.

दिल्ली में गाड़ियों से बढ़ रहा प्रदूषण
नतीजा है कि दिल्ली में कुछ समय बाद जनसंख्या के अनुपात में वाहनों की संख्या भी हो जाएगी.

वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही दिल्ली सरकार ने 15 नवंबर यानि आज तक ऑड इवन योजना को लागू किया है. तर्क है कि इस योजना से आधी गाड़ियां सड़कों पर नहीं आएंगी और प्रदूषण कम होगा.
तो वहीं जिस तरह बेतहाशा गाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यह आने वाले समय में विकराल रूप धारण कर सकता है.

सीएनजी वाली गाड़ियां तकरीबन 2 लाख
राजधानी में 15 साल में 17 लाख गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है. 2004 से 2019 के 15 साल के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान डीजल की 5,86000 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. वहीं पेट्रोल की 62 लाख और सीएनजी चालित 1,98,000 गाड़ियों का पंजीकरण परिवहन विभाग ने किया है.

परिवहन विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि इस दौरान एलपीजी वाहन मात्र 4,411 एलपीजी गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है. पेट्रोल के साथ सीएनजी इंधन वाले 5,97,654 और पेट्रोल के साथ एलपीजी वाले 6,382 गाड़ियां हैं. सिर्फ सीएनजी वाली गाड़ियां तकरीबन 2 लाख हैं.

गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण अहम
राजधानी में सूक्ष्म धूल कण यानि पीएम 2.5 से होने वाले प्रदूषण सबसे खतरनाक होता है. इन सूक्ष्म धूल कणों का मुख्य स्रोत गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण है. राजधानी में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कई श्रेणी में बांटा जा सकता है.
ट्रक और ट्रैक्टर से 9 फीसद, दो पहिया वाहन से 7 फीसद, पहिया वाहनों से 5 फीसद और कारों से तीन फीसद, बसों से 3 फीसद व हल्के व्यवसायिक वाहनों से एक फीसद प्रदूषण फैल रहा है.

दिल्ली के आर्थिक सर्वे के अनुसार राजधानी में 1.09 करोड़ गाड़ियां हैं. इनमें हर वर्ष तकरीबन 6 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक 1000 व्यक्ति पर 598 गाड़ियां फिलहाल दिल्ली में है.

नई दिल्ली: दिल्ली की आबोहवा में जहर घोलने में 28 फीसद भूमिका वाहनों से निकलने वाला धुआं है. बावजूद सरकार वाहनों की संख्या पर नियंत्रण के लिए कोई रणनीति नहीं तैयार कर रही है.

दिल्ली में गाड़ियों से बढ़ रहा प्रदूषण
नतीजा है कि दिल्ली में कुछ समय बाद जनसंख्या के अनुपात में वाहनों की संख्या भी हो जाएगी.

वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही दिल्ली सरकार ने 15 नवंबर यानि आज तक ऑड इवन योजना को लागू किया है. तर्क है कि इस योजना से आधी गाड़ियां सड़कों पर नहीं आएंगी और प्रदूषण कम होगा.
तो वहीं जिस तरह बेतहाशा गाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यह आने वाले समय में विकराल रूप धारण कर सकता है.

सीएनजी वाली गाड़ियां तकरीबन 2 लाख
राजधानी में 15 साल में 17 लाख गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है. 2004 से 2019 के 15 साल के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान डीजल की 5,86000 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. वहीं पेट्रोल की 62 लाख और सीएनजी चालित 1,98,000 गाड़ियों का पंजीकरण परिवहन विभाग ने किया है.

परिवहन विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि इस दौरान एलपीजी वाहन मात्र 4,411 एलपीजी गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है. पेट्रोल के साथ सीएनजी इंधन वाले 5,97,654 और पेट्रोल के साथ एलपीजी वाले 6,382 गाड़ियां हैं. सिर्फ सीएनजी वाली गाड़ियां तकरीबन 2 लाख हैं.

गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण अहम
राजधानी में सूक्ष्म धूल कण यानि पीएम 2.5 से होने वाले प्रदूषण सबसे खतरनाक होता है. इन सूक्ष्म धूल कणों का मुख्य स्रोत गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण है. राजधानी में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कई श्रेणी में बांटा जा सकता है.
ट्रक और ट्रैक्टर से 9 फीसद, दो पहिया वाहन से 7 फीसद, पहिया वाहनों से 5 फीसद और कारों से तीन फीसद, बसों से 3 फीसद व हल्के व्यवसायिक वाहनों से एक फीसद प्रदूषण फैल रहा है.

दिल्ली के आर्थिक सर्वे के अनुसार राजधानी में 1.09 करोड़ गाड़ियां हैं. इनमें हर वर्ष तकरीबन 6 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक 1000 व्यक्ति पर 598 गाड़ियां फिलहाल दिल्ली में है.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली की आबोहवा में जहर घोलने में 28 फीसद भूमिका वाहनों से निकलने वाला धुआं है. बावजूद सरकार वाहनों की संख्या पर नियंत्रण के लिए कोई रणनीति नहीं तैयार कर रही है. नतीजा है कि दिल्ली में कुछ समय बाद जनसंख्या के अनुपात में वाहनों की संख्या भी हो जाएगी.


Body:वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही दिल्ली सरकार ने 15 नवंबर यानि आज तक ऑड इवन योजना को लागू किया है. तर्क है कि इस योजना से आधी गाड़ियां सड़कों पर नहीं आएंगी और प्रदूषण कम होगा. तो वहीं जिस तरह बेतहाशा गाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यह आने वाले समय में विकराल रूप धारण कर सकता है.

राजधानी में 15 वर्ष में 17 लाख गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है. 2004 से 2019 के 15 साल के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान डीजल की 5,86000 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. वहीं पेट्रोल की 62 लाख और सीएनजी चालित 1,98,000 गाड़ियों का पंजीकरण परिवहन विभाग ने किया है.

परिवहन विभाग के आंकड़े ही बताते हैं इस दौरान एलपीजी वाहन मात्र 4,411 एलपीजी गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है. पेट्रोल के साथ सीएनजी इंधन वाले 5,97,654 और पेट्रोल के साथ एलपीजी वाले 6,382 गाड़ियां हैं. सिर्फ सीएनजी वाली गाड़ियां तकरीबन दो लाख हैं.

राजधानी में सूक्ष्म धूल कण यानि पीएम 2.5 से होने वाले प्रदूषण सबसे खतरनाक होता है. इन सूक्ष्म धूल कणों का मुख्य स्रोत गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण है. राजधानी में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कई श्रेणी में बांटा जा सकता है. ट्रक व ट्रैक्टर से 9 फीसद, दो पहिया वाहन से 7 फीसद, पहिया वाहनों से 5 फीसद और कारों से तीन फीसद, बसों से 3 फीसद व हल्के व्यवसायिक वाहनों से एक फीसद प्रदूषण फैल रहा है.


Conclusion:दिल्ली के आर्थिक सर्वे के अनुसार राजधानी में 1.09 करोड़ गाड़ियां हैं. इनमें हर वर्ष तकरीबन 6 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक 1000 व्यक्ति पर 598 गाड़ियां फिलहाल दिल्ली में है.

समाप्त, आशुतोष झा
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