नई दिल्ली : दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (DELHI NCR AQI) में एक बार फिर इजाफा देखने को मिल रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (central pollution control board) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के लगभग सभी इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. यानी दिल्ली एनसीआर के अधिकतर इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) AQI गुरुवार को 300 से अधिक है. दिल्ली एनसीआर में ठंड के साथ प्रदूषण में भी इजाफा देखने को मिल रहा है.दिल्ली एनसीआर के 48 प्रमुख इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स देखें:-
दिल्ली
अलीपुर 324
शादीपुर 369
आईटीओ 249
सिरिफ्फोर्ट 366
मंदिर मार्ग 337
आरके पुरम 374
पंजाबी बाघ 366
लोधी रोड 262
नॉर्थ केंपस डीयू 309
सीआरआरआई मथुरा रोड 322
पूसा 270
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल- 3 326
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 351
नेहरू नगर 397
द्वारका सेक्टर 8 370
पटपड़गंज 389
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 376
अशोक विहार 334
सोनिया विहार 315
जहांगीरपुरी 364
रोहिणी 341
विवेक विहार 322
नजफगढ़ 305
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 354
नरेला 342
ओखला फेस टू 2 371
वजीरपुर 300
बवाना 309
श्री औरबिंदो मार्ग 337
मुंडका 386
आनंद विहार 365
IHBAS दिलशाद गार्डन 259
गाजियाबाद
वसुंधरा 337
इंदिरापुरम 269
संजय नगर 225
लोनी 239
नोएडा
सेक्टर 62 387
सेक्टर 125 221
सेक्टर 1 313
सेक्टर 116 347
Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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PM-2.5 और PM- 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइ ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लेता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में एकत्र होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. ये कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.
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