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प्रदूषण भरे दिन हैं सर्द, बढ़ रहे हैं हैं दिल के मर्ज !

सर्दी के दिन आते ही दिल का दर्द भी बढ़ गया है. भारत में दिल के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. हर रोज 9 हजार लोगों की मौत दिल की बीमारी की वजह से हो जाती है. हर 10 सेकेण्ड में एक मौत होती है. हैरानी की बात यह है कि 900 लोग 40 साल से कम उम्र के होते हैं. दिल का कैसे ख्याल रखें, विशेषज्ञ से जानें.

प्रदूषण भरे दिन हैं सर्द
प्रदूषण भरे दिन हैं सर्द
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Published : Nov 24, 2021, 11:10 PM IST

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हृदय रोग मौत का प्रमुख कारण है और दुनिया भर में 5 में से 1 पुरुष और 8 महिलाओं में से 1 महिला की मौत हृदय रोग के कारण ही होती है. हर रोज नौ हजार लोगों की मौत दिल की बीमारियों के कारण हो जाती है. इसका अर्थ यह है दिल की बीमारियों के कारण हर 10 सेकंड में एक मौत होती है. उनमें से 900 लोग 40 साल से कम उम्र के युवा होते हैं.


जीबी पंत हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सफल बताते हैं कि प्रदूषण की वजह से भी दिल के मरीजों की संख्या बढ़ी है. अगर जीबी पंत अस्पताल की बात की जाए तो यहां इमरजेंसी में आने वाले 90 फीसदी तक मरीज किसी न किसी तरह के दिल के मरीज आ रहे हैं. अगर पूरी दिल्ली की बात की जाए तो दिल्ली की आबादी का लगभग 10 फीसदी हिस्सा किसी न किसी तरह के दिल के मरीज का शिकार है.

प्रदूषण की वजह से बढ़ रहे दिल के मरीज


डॉक्टर सफल बताते हैं कि सडन कार्डियक अरेस्ट और फिर डेथ का कोई स्पष्ट कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन 50 फीसदी मामलों में अनुमान लगाया जा सकता है. आज की युवा पीढ़ी स्मोकिंग ज्यादा करती और अपने आप को फिट रखने के लिए काफी हार्ड एक्सरसाइज करती है या जिम में काफी मेहनत करते हैं. ऐसे मामलों में दिल के 500 मरीजों में एक मरीज में सडन कार्डियक अरेस्ट होने के बाद डेथ की आशंका होती है. इसलिए स्मोकिंग से जहां तक हो सके बचना चाहिए और ज्यादा तंदुरुस्त दिखने के लिए जरूरत से अधिक जिम में एक्सरसाइज भी नहीं करनी चाहिए.


अनुसार भारत में हृदय रोग की महामारी को रोकने का एकमात्र तरीका लोगों को शिक्षित करना है वरना 2022 तक सबसे अधिक मौत हृदय रोग के कारण ही होगी. यह मुख्य रूप से धूम्रपान, अधिक वजन, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी आदतों और स्थितियों के कारण होने वाली बीमारी है.


दिल के दौरे का संबंध पहले बुढ़ापे से माना जाता था, लेकिन अब अधिकतर लोग अपने 20वें, 30वें और 40वें दशक के दौरान ही दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. आधुनिक जीवन के बढ़ते तनाव ने यहां तक कि युवा लोगों में दिल की बीमारियों के खतरे पैदा कर दिया है. हालांकि अनुवांशिक और पारिवारिक इतिहास अब भी सबसे आम और अनियंत्रित जोखिम कारक बना हुआ है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल के बाद टमाटर ने लगाया शतक, जानें किस शहर में कितनी कीमत

युवा पीढ़ी में अधिकतर हृदय रोग का कारण अत्यधिक तनाव और लगातार लंबे समय तक काम करने के साथ-साथ अनियमित नींद पैटर्न है, जिसके कारण इंफ्लामेशन पैदा होता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान और आराम तलब जीवनशैली भी 20 से 30 साल के आयु वर्ग के लोगों में इसके जोखिम के लक्षणों को और बढ़ाती है.

देश में कार्डियक अस्पतालों में 2 लाख से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है और इसमें सालाना 25 प्रतिशत वृद्धि हो रही है, लेकिन वे दिल के दौरे की संख्या को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हैं. जो सर्जरी की जाती है वह केवल तात्कालिक लाभ के लिए होती है. हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए लोगों को हृदय रोग और इसके जोखिम कारकों के बारे में जरूरी चीजों से अवगत कराना अहम है.


हृदय के सभी रोगियों में समान लक्षण नहीं होते हैं और एंजाइना छाती का दर्द इसके सबसे आम लक्षण नहीं है. इसके लक्षण शून्य से लेकर गंभीर तक अलग- अलग हो सकते हैं. कुछ लोगों को अपच की तरह असहज महसूस हो सकता है और कुछ मामलों में गंभीर दर्द, भारीपन या जकड़न हो सकता है. आमतौर पर दर्द छाती के बीच में महसूस होता है, जो बाहों, गर्दन, जबड़े और यहां तक कि पेट तक फैलता है, और साथ ही धड़कन का बढ़ना और सांस लेने में समस्या होती है.


अगर धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो दिल का दौरा पड़ सकता है जो हृदय की मांसपेशियों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है. दिल के दौरे में होने वाले असुविधा या दर्द आमतौर पर एंजाइना के समान होता है, लेकिन यह अक्सर अधिक गंभीर होता है और इसमें साथ ही पसीना आना, चक्कर आना, मतली और सांस लेने में समस्या जैसी समस्या भी हो सकती है. मधुमेह वाले लोगों में यह अधिक आम है. दिल के दौरे का तुरंत इलाज नहीं किये जाने पर यह घातक हो सकता है.

ये भी पढ़ें- खून के थक्के जमने से हुई 25% कोरोना संक्रमितों की मौत, जानिये बचाव के तरीके


डॉक्टर सफल बताते हैं कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण बिल्कुल अलग होते हैं. आम लक्षणों से अलग होने की वजह से डॉक्टर भी कंफ्यूज हो जाते हैं और महिलाओं को होने वाली हल्की मितली या उल्टी का मन करने को वे भी दिल के मर्ज से जोड़ कर नहीं देख पाते. जिसकी वजह से अक्सर जब स्थिति ज्यादा खराब हो जाए. तब यह मामला पता चल पाता है. इसलिए महिलाओं को खास तौर पर सतर्क रहने की आवश्यकता है.


डॉ. सफल के अनुसार, कोरोनरी हृदय रोग ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन इसके इलाज से लक्षणों का प्रबंधन करने, दिल की कार्यप्रणाली में सुधार करने और दिल के दौरे जैसी समस्याओं की संभावनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है. इसके प्रभावी प्रबंधन में जीवनशैली में परिवर्तन, दवाएं और नाॅन-इंवैसिव उपचार शामिल हैं. अधिक गंभीर मामलों में इंवैसिव और शल्य चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है. ज्यादातर मामलों में इलाज से सामान्य जीवन को फिर से शुरू करना संभव है.

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हृदय रोग मौत का प्रमुख कारण है और दुनिया भर में 5 में से 1 पुरुष और 8 महिलाओं में से 1 महिला की मौत हृदय रोग के कारण ही होती है. हर रोज नौ हजार लोगों की मौत दिल की बीमारियों के कारण हो जाती है. इसका अर्थ यह है दिल की बीमारियों के कारण हर 10 सेकंड में एक मौत होती है. उनमें से 900 लोग 40 साल से कम उम्र के युवा होते हैं.


जीबी पंत हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सफल बताते हैं कि प्रदूषण की वजह से भी दिल के मरीजों की संख्या बढ़ी है. अगर जीबी पंत अस्पताल की बात की जाए तो यहां इमरजेंसी में आने वाले 90 फीसदी तक मरीज किसी न किसी तरह के दिल के मरीज आ रहे हैं. अगर पूरी दिल्ली की बात की जाए तो दिल्ली की आबादी का लगभग 10 फीसदी हिस्सा किसी न किसी तरह के दिल के मरीज का शिकार है.

प्रदूषण की वजह से बढ़ रहे दिल के मरीज


डॉक्टर सफल बताते हैं कि सडन कार्डियक अरेस्ट और फिर डेथ का कोई स्पष्ट कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन 50 फीसदी मामलों में अनुमान लगाया जा सकता है. आज की युवा पीढ़ी स्मोकिंग ज्यादा करती और अपने आप को फिट रखने के लिए काफी हार्ड एक्सरसाइज करती है या जिम में काफी मेहनत करते हैं. ऐसे मामलों में दिल के 500 मरीजों में एक मरीज में सडन कार्डियक अरेस्ट होने के बाद डेथ की आशंका होती है. इसलिए स्मोकिंग से जहां तक हो सके बचना चाहिए और ज्यादा तंदुरुस्त दिखने के लिए जरूरत से अधिक जिम में एक्सरसाइज भी नहीं करनी चाहिए.


अनुसार भारत में हृदय रोग की महामारी को रोकने का एकमात्र तरीका लोगों को शिक्षित करना है वरना 2022 तक सबसे अधिक मौत हृदय रोग के कारण ही होगी. यह मुख्य रूप से धूम्रपान, अधिक वजन, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी आदतों और स्थितियों के कारण होने वाली बीमारी है.


दिल के दौरे का संबंध पहले बुढ़ापे से माना जाता था, लेकिन अब अधिकतर लोग अपने 20वें, 30वें और 40वें दशक के दौरान ही दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. आधुनिक जीवन के बढ़ते तनाव ने यहां तक कि युवा लोगों में दिल की बीमारियों के खतरे पैदा कर दिया है. हालांकि अनुवांशिक और पारिवारिक इतिहास अब भी सबसे आम और अनियंत्रित जोखिम कारक बना हुआ है.

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युवा पीढ़ी में अधिकतर हृदय रोग का कारण अत्यधिक तनाव और लगातार लंबे समय तक काम करने के साथ-साथ अनियमित नींद पैटर्न है, जिसके कारण इंफ्लामेशन पैदा होता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान और आराम तलब जीवनशैली भी 20 से 30 साल के आयु वर्ग के लोगों में इसके जोखिम के लक्षणों को और बढ़ाती है.

देश में कार्डियक अस्पतालों में 2 लाख से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है और इसमें सालाना 25 प्रतिशत वृद्धि हो रही है, लेकिन वे दिल के दौरे की संख्या को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हैं. जो सर्जरी की जाती है वह केवल तात्कालिक लाभ के लिए होती है. हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए लोगों को हृदय रोग और इसके जोखिम कारकों के बारे में जरूरी चीजों से अवगत कराना अहम है.


हृदय के सभी रोगियों में समान लक्षण नहीं होते हैं और एंजाइना छाती का दर्द इसके सबसे आम लक्षण नहीं है. इसके लक्षण शून्य से लेकर गंभीर तक अलग- अलग हो सकते हैं. कुछ लोगों को अपच की तरह असहज महसूस हो सकता है और कुछ मामलों में गंभीर दर्द, भारीपन या जकड़न हो सकता है. आमतौर पर दर्द छाती के बीच में महसूस होता है, जो बाहों, गर्दन, जबड़े और यहां तक कि पेट तक फैलता है, और साथ ही धड़कन का बढ़ना और सांस लेने में समस्या होती है.


अगर धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो दिल का दौरा पड़ सकता है जो हृदय की मांसपेशियों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है. दिल के दौरे में होने वाले असुविधा या दर्द आमतौर पर एंजाइना के समान होता है, लेकिन यह अक्सर अधिक गंभीर होता है और इसमें साथ ही पसीना आना, चक्कर आना, मतली और सांस लेने में समस्या जैसी समस्या भी हो सकती है. मधुमेह वाले लोगों में यह अधिक आम है. दिल के दौरे का तुरंत इलाज नहीं किये जाने पर यह घातक हो सकता है.

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डॉक्टर सफल बताते हैं कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण बिल्कुल अलग होते हैं. आम लक्षणों से अलग होने की वजह से डॉक्टर भी कंफ्यूज हो जाते हैं और महिलाओं को होने वाली हल्की मितली या उल्टी का मन करने को वे भी दिल के मर्ज से जोड़ कर नहीं देख पाते. जिसकी वजह से अक्सर जब स्थिति ज्यादा खराब हो जाए. तब यह मामला पता चल पाता है. इसलिए महिलाओं को खास तौर पर सतर्क रहने की आवश्यकता है.


डॉ. सफल के अनुसार, कोरोनरी हृदय रोग ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन इसके इलाज से लक्षणों का प्रबंधन करने, दिल की कार्यप्रणाली में सुधार करने और दिल के दौरे जैसी समस्याओं की संभावनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है. इसके प्रभावी प्रबंधन में जीवनशैली में परिवर्तन, दवाएं और नाॅन-इंवैसिव उपचार शामिल हैं. अधिक गंभीर मामलों में इंवैसिव और शल्य चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है. ज्यादातर मामलों में इलाज से सामान्य जीवन को फिर से शुरू करना संभव है.

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