नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा और ग्रेटर नोएडा का नाम देश का सबसे प्रदूषित शहर में शुमार हो गया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार कर गया था. ऐसे में नोएडावासियों को आशा थी कि करोड़ों खर्च कर प्रदेश का पहला पॉल्यूशन कंट्रोल टावर जो डीएनडी पर स्थापित किया गया था. प्रदूषण को नियंत्रित करने में कामयाब साबित होगा, लेकिन दो साल से तकनीकी खराबी के कारण ठप पड़ा हुआ है. प्राधिकरण ने भेल के साथ मिलकर 4 करोड़ की लागत से सीएसआर प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किया था.
वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए नोएडा में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू है, लेकिन इसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं पड़ रहा है. जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद कूड़ा जलाया जा रहा है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा में सुबह के समय तक स्मॉग की चादर देखी जा रही है. वातावरण में धुंध छाने से आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, स्मॉग की वजह से विजिबिलिटी भी काफी कम हुई है.
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ऐसे में नोएडा के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर सेक्टर 16 फिल्म सिटी और डीएनडी के बीच हरित क्षेत्र में स्थापित किया गया था. वह नाकाम साबित हो रहा है. इसको नोएडा प्राधिकरण ने गेल के साथ मिलकर 4 करोड़ की लागत से सीएसआर प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किया था, दावा किया गया था कि इस टावर के आसपास एक किलो वर्ग मीटर तक की हवा को शुद्ध करेगा, लेकिन दो साल से तकनीकी खराबी के कारण ठप पडा है. शुरुआती दौर में जब इस टावर को लेकर सर्वे हुआ तो सामने आया कि हवाओं को शुद्ध करने की जगह इस टावर से हवाएं प्रदूषित हो रही है. जिसके बाद से पूरा मामला ठंडा बस्ता में चला गया.
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