नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के कई केसों में पैरवी करने वाले वकील महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट की अनुमति दे दी है. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने ये फैसला सुनाया है.
कम्प्यूटर जब्त कर सकती है पुलिस
कोर्ट ने कहा कि महमूद प्राचा की आपत्तियां बेबुनियाद हैं. कोर्ट ने कहा कि पुलिस को कानून के मुताबिक महमूद प्राचा के कम्प्यूटर को जब्त करने की अनुमति दी जाती है. कोर्ट के इस आदेश का मतलब है कि पुलिस महमूद प्राचा के कम्प्यूटर को जब्त कर सकती है.
सर्च वारंट पर रोक को निरस्त करने की मांग
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने कहा था कि महमूद प्राचा को साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 का लाभ नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि पेन ड्राइव से डाटा निकालने की बात करना जांच को सीमित करने के बराबर है. उन्होंने सर्च वारंट पर रोक के कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की थी. सुनवाई के दौरान प्राचा की ओर से सुनवाई स्थगित करने की मांग का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया था.
वकील और मुवक्किल के बीच संवाद की सुरक्षा कोर्ट की जिम्मेदारी
पिछले 12 मार्च को कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा था कि वे जो डाटा लेना चाहते हैं वो बिना दूसरे डाटा में छेड़छाड़ किए कैसे ले सकते हैं. कोर्ट ने इस बात को नोट किया था कि वकील महमूद प्राचा दिल्ली पुलिस को पेन ड्राईव में मांगी गई डाटा देने को तैयार हैं. ऐसे में वो पेन ड्राईव में दिए गए डाटा से बिना छेड़छाड़ किए उसे कैसे हासिल कर सकते हैं.
9 मार्च को छापा मारने गई थी दिल्ली पुलिस
पिछले 10 मार्च को कोर्ट ने महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट पर रोक लगा दी थी. दरअसल पिछले 9 मार्च को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने महमूद प्राचा के निजामुद्दीन ईस्ट स्थित दफ्तर पर छापा मारने गई थी लेकिन दफ्तर में ताला लगे होने की वजह से लौट गई. उसके बाद महमूद प्राचा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुनवाई के दौरान महमूद प्राचा ने कहा था कि पुलिस ने पहले जो छापा मारा था उस दौरान सभी दस्तावेज हासिल कर लिए थे. ऐसे में अब किसी पड़ताल की कोई जरुरत नहीं है.