नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने PMC Bank के खाताधारकों को पांच लाख रुपये तक निवेशकों को निकालने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर अभी कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह सामान्य याचिका नहीं है, हमें बैंक और निवेशकों दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
लोगों को दवा खरीदने में भी परेशानी हो रही
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि पांच लाख रुपये तक निकासी के लिए केवल 13 लोगों को योग्य माना गया है. उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारियों को आधार बनाया गया है. तब कोर्ट ने कहा कि जो गंभीर रूप से बीमार नहीं है, वे भी एक लाख रुपये निकाल रहे हैं. तब देव ने कहा कि हां. उसके बाद कोर्ट ने पूछा कि क्या आप ये सीमा पांच लाख रुपये तक करना चाहते हैं. तब देव ने कहा कि एक दूसरी हाई कोर्ट ने कैंसर जैसी बीमारी वाले निवेशकों को ज्यादा रकम देने का आदेश दिया है. देव ने कहा कि सवाल ये है कि जिन लोगों के पास धन नहीं है, उन्हें दवा खरीदने में भी परेशानी हो रही है.
शिकायत निवारण का मेकानिज्म होना चाहिए
हाईकोर्ट ने कहा कि आजकल सभी परेशानियों में हैं. लेकिन इसमें कुछ सीमांकन होना चाहिए. तब देव ने कहा कि जिन लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई बैंक में लगा दिया उन्हें जरूरत के समय पैसे निकालने का मौका मिलना चाहिए. तब कोर्ट ने कहा कि कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को बिजनेस में घाटा लगने वाले व्यक्ति से अलग तो करना ही होगा. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि शिकायत निवारण का कुछ मेकानिज्म होना चाहिए, इसे हल्के में लेने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि आप पीएमसी बैंक पर ही सारा फैसला नहीं छोड़ सकते हैं, आपको इस पर फैसला लेने को कहा गया था. तब देव ने कहा कि कुछ लोगों ने खुदकुशी भी कर ली है.
बैंक और निवेशकों को हितों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा
कोर्ट ने कहा कि हमें इस मामले में बैंक और निवेशकों को हितों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा. कोर्ट ने कहा कि अगर आप 5 लाख, 10 लाख या 20 लाख रुपये तक की धन निकासी की अनुमति की मांग कर रहे हैं, तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने डिपॉजिट इंश्योरेंश एंड क्रेडिट गारंटी आर्गनाइजेशन से पूछा कि आप किस किस्म का बीमा दे रहे हैं. तब रिजर्व बैंक ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की.
5 लाख रुपये तक की निकासी की छूट की मांग
याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने याचिका में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से सभी खाताधारक अपनी जमा-पूंजी के भरोसे ही हैं. उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और दूसरी जरूरतों के लिए पैसे की जरूरत है. ऐसे में PMC खाताधारकों को ऐसी किसी भी आपातस्थिति में धन निकासी की अनुमति दी जाए. पिछले 21 जुलाई को कोर्ट ने PMC Bank, रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. वकील शशांक देव सुधी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौर में अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बिना किसी प्रक्रियागत बाधा के 5 लाख रुपये तक की निकासी करने की छूट दी जाए. याचिका में कहा गया है कि बैंक के कुछ निवेशकों ने इसके लिए PMC Bank और दूसरे पक्षकारों के समक्ष अपनी बातें रखी थीं.
बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल
निवेशकों ने हाईकोर्ट के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने जरूरी काम के लिए पैसे निकालने की इजाजत दी थी. बैंक के कुछ खाताधारकों ने अपनी समस्याओं का हवाला दिया था. PMC Bank के रवैये से देश के बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. देश भर में फैले PMC के ब्रांचों के रख-रखाव पर करीब आठ करोड़ रुपये का बेजा खर्च होता है.
एचडीआईएल का लोन एनपीए हो गया था
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके पहले रिजर्व बैंक और PMC Bank को कोरोना के संकट के दौरान खाताधारकों की जरूरतों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था. सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक से 40 हजार रुपये की निकासी की सीमा तय की थी. PMC Bank ने एचडीआईएल नामक कंपनी को अपने लोन की कुल रकम का करीब तीन चौथाई लोन दे दिया था. एचडीआईएल का ये लोन एनपीए होने की वजह से बैंक अपने खाताधारकों को पैसे देने में असमर्थ हो गया.