नई दिल्ली: कोरोना को मात देकर इस संक्रमण से बाहर आने वाले लोग जिन्होंने अपना प्लाज्मा डोनेट कर लोगों की जान बचाने में अपना अहम योगदान दिया, उन्हें सम्मानित करने के लिए सफदरजंग अस्पताल के बाहर बने धर्मशाला में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
एम्स और सफदरजंग अस्पताल के ऐसे कोरोना वॉरियर्स, जिन्होंने अपना प्लाज्मा डोनेट किया उनकी हौसला अफजाई के लिए उन्हें कोरोना वॉरियर घोषित किया गया. उनको एक सर्टिफिकेट, एक टी-शर्ट और फेस शील्ड प्रदान किए गए.
डोनर्स को सम्मानित करना जरूरी
एम्स के कार्डियो रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह भी कोरोना वॉरियर को सम्मानित करने वालो में शामिल थे. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को सम्मानित करना बहुत जरूरी है ताकि दूसरे लोग भी इनसे प्रेरणा लेकर प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आए.
अपने जन्मदिन पर करें रक्तदान
डॉ. अमरिंदर सिंह ने कहा कि देश के प्रति लोगों को खुद ही जिम्मेदार बनना होगा. उन्होंने लोगों से अपील की कि वो इस बात का प्रण लें कि वे अपने जन्मदिन पर हर साल रक्तदान करेंगे. एक व्यक्ति साल भर में 3 या 4 बार रक्तदान कर सकता है.
हालांकि 120 दिन के बाद ही रक्त की कोशिकाएं बन जाती हैं. लेकिन फिर भी हर 3 महीने में एक बार आप रक्तदान जरूर कर सकते हैं. इससे आपको किसी तरह की कोई कमजोरी महसूस नहीं होगी. अगर आप साल में 4 बार नहीं तो कम से कम 2 बार जरूर रक्तदान करें.
ब्लड बैंक में ब्लड की किल्लत
आपको बता दें कि कोरोना संकट में ब्लड बैंक में ब्लड की भारी किल्लत है. इस कमी को पूरा करने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा मात्रा में रक्त दान करें. दूसरी बात यह है कि जो व्यक्ति कोरोना संक्रमित थे, उनका प्लाज्मा बहुत कीमती है.
कोरोना से पीड़ित दूसरे व्यक्ति की जान बचाने का यह एकमात्र उपाय है. अपनी जिम्मेदारी को समझें और सुरक्षा से प्लाज्मा बैंक जाकर अपना प्लाज्मा डोनेट करें और लोगों की जान बचाने में अपनी भूमिका निभाएं.
एक व्यक्ति एक बार प्लाज्मा डोनेट कर कम से कम 2 व्यक्तियों की जान बचा सकते हैं. 3 महीने तक वह अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते है. इस तरह से एक व्यक्ति कम से कम 6 लोगों की जान बचा सकते है.