नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगाने के आदेश के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीएफआई को निर्देश दिया कि वो अपनी याचिका में संशोधन करें. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने पीएफआई की याचिका में लिखे कुछ वाक्यों पर आपत्ति जताई.
दरअसल, याचिका में लिखा गया था कि पीएफआई को प्रतिबंधित करने का नोटिफिकेशन कानून का दुरुपयोग है और वो गैरकानूनी और मानवाधिकारों के उल्लंघन वाला है. याचिका में लिखे इन वाक्यों पर चेतन शर्मा ने आपत्ति जताई. पीएफआई की ओर से पेश वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि याचिका में लिखे गए ये वाक्य उन गवाहों के बयान पर आधारित है, जो ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश हुए थे.
बता दें कि पीएफआई ने प्रतिबंध के खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को पीएफआई की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार करते हुए पीएफआई को हाईकोर्ट जाने को कहा था.
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गौरतलब है कि पीएफआई को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी संगठन अधिनियम की धारा 3(1) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए प्रतिबंधित करार दिया था. 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश शर्मा की अध्यक्षता वाली यूएपीए ट्रिब्युनल ने पीएफआई और उससे जुड़े दूसरे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले पर मुहर लगाई थी. 28 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों को पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था.
केंद्र सरकार ने यूएपीए की धारा 3(1) के अधिकारों के तहत ये प्रतिबंध लगाया था. केंद्र ने पीएफआई के सहयोगी संगठनों, रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईसीसी), नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ) नेशनल वुमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी प्रतिबंधित किया था.