नई दिल्ली: एक वकील द्वारा दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल को मोटर साइकिल और साइकिल के रख रखाव भत्ते के लिए मिलने वाले 180 रुपये प्रति महीने की राशि को बढ़ाने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. संसेर पाल सिंह नाम के वकील की इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिल्ली सरकार के उस प्रस्ताव पर छह हफ्तों के भीतर विचार कर फैसला लेने का निर्देश दिया है. जिसमें दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल को मोटरसाइकिल भत्ते में बढ़ोतरी का अनुरोध किया गया है.
अभी कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल इन दो वर्गों के पुलिसकर्मियों को साइकल व मोटर साइकल के इस्तेमाल और रखरखाव के भत्ते के रूप में हर महीने 180 रुपये मिलते हैं. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार के वकील की दलील है कि साइकल व मोटर साइकल भत्ते में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पहले से ही गृह मंत्रालय के पास लंबित है. इस पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर के लिए तय कर दी.
संसेर पाल ने अपनी जनहित याचिका में दिल्ली पुलिस में साइकिल भत्ते के नाम पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं. याचिका में दावा किया है कि 53 हजार से ज्यादा पुलिस वाले धोखाधड़ी से साइकल रखरखाव भत्ता ले रहे हैं. इस संबंध में भी याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जांच कराए जाने की मांग की. संसेर पाल का कहना है कि आज शायद ही कोई पुलिस अधिकारी आवागमन के लिए साइकल का इस्तेमाल करता हो, लेकिन वे रखरखाव भत्ता जरूर ले रहे हैं, जो सालाना लगभग 11 करोड़ रुपये है. जबकि, सच्चाई यह है कि पुलिसकर्मी अब साइकल की जगह आवागमन के लिए इससे कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं, क्योंकि अब ज्यादातर पुलिसकर्मी मोटर साइकिल और अन्य दोपहिया गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं.
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