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वकीलों को ब्याज मुक्त ऋण देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर

दिल्ली बार काउंसिल (Delhi Bar Council) में रजिस्टर्ड वकीलों को पांच साल तक के लिए पांच लाख रुपये ब्याज रहित ऋण देने की मांग की गई है. इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक याचिका दायर की गई है.

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Published : Jun 6, 2021, 9:10 PM IST

delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक याचिका दायर कर दिल्ली बार काउंसिल (Delhi Bar Council) में रजिस्टर्ड वकीलों को पांच साल तक के लिए पांच लाख रुपये ब्याज रहित ऋण देने की मांग की गई है. याचिका दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान वकीलों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है.

वकील पिछले करीब डेढ़ साल से दिल्ली में कोर्ट को खुलने का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से दिल्ली के कोर्ट बंद हैं. वकीलों की आमदनी का जरिया बिल्कुल बंद हो गया है. ऐसे में वे कई सारे लोन की ईएमआई भी चुका पाने में असमर्थ हैं. वकील अपने बच्चों के स्कूलों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं और स्कूल उन पर फीस भरने का दबाव बना रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः-कोरोना काल : निजी स्कूलों को वार्षिक-विकास शुल्क वसूलने की अनुमति देने के खिलाफ याचिका दायर

पांच साल के लिए पांच लाख रुपये के ब्याजमुक्त ऋण की मांग

याचिका में कहा गया है कि एक तरफ जहां दिल्ली के वकील आर्थिक संकट में गुजर रहे हैं. दूसरी तरफ दिल्ली बार काउंसिल ने अपने मुख्यालय के रिडेवलपमेंट के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है. टेंडर के लिए जारी रकम का इस्तेमाल वकीलों को उनकी आर्थिक मदद करने में किया जा सकता था.

याचिका में कहा गया है कि विधिक पेशे की गरिमा को बरकरार रखने के लिए वकीलों को ब्याज मुक्त ऋण (Interest free loan) देने की जरूरत है. याचिका में मांग की गई कि दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड सभी वकीलों को पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण पांच वर्ष तक के लिए उपलब्ध कराने का दिशानिर्देश जारी किया जाए.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक याचिका दायर कर दिल्ली बार काउंसिल (Delhi Bar Council) में रजिस्टर्ड वकीलों को पांच साल तक के लिए पांच लाख रुपये ब्याज रहित ऋण देने की मांग की गई है. याचिका दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान वकीलों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है.

वकील पिछले करीब डेढ़ साल से दिल्ली में कोर्ट को खुलने का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से दिल्ली के कोर्ट बंद हैं. वकीलों की आमदनी का जरिया बिल्कुल बंद हो गया है. ऐसे में वे कई सारे लोन की ईएमआई भी चुका पाने में असमर्थ हैं. वकील अपने बच्चों के स्कूलों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं और स्कूल उन पर फीस भरने का दबाव बना रहे हैं.

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पांच साल के लिए पांच लाख रुपये के ब्याजमुक्त ऋण की मांग

याचिका में कहा गया है कि एक तरफ जहां दिल्ली के वकील आर्थिक संकट में गुजर रहे हैं. दूसरी तरफ दिल्ली बार काउंसिल ने अपने मुख्यालय के रिडेवलपमेंट के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है. टेंडर के लिए जारी रकम का इस्तेमाल वकीलों को उनकी आर्थिक मदद करने में किया जा सकता था.

याचिका में कहा गया है कि विधिक पेशे की गरिमा को बरकरार रखने के लिए वकीलों को ब्याज मुक्त ऋण (Interest free loan) देने की जरूरत है. याचिका में मांग की गई कि दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड सभी वकीलों को पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण पांच वर्ष तक के लिए उपलब्ध कराने का दिशानिर्देश जारी किया जाए.

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