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सर्कसों में जानवरों को रखने पर रोक लगाने की मांग, HC में याचिका दायर - पेटा ने दायर की याचिका

याचिका में कहा गया है कि सर्कसों में जानवरों पर हथियारों तक का इस्तेमाल किया जाता है. सर्कसों में जानवरों के साथ किया जाने वाला अत्याचार प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स और परफॉर्मिंग एनिमल्स रूल्स का उल्लंघन है.

delhi high court
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Published : Jul 17, 2020, 10:26 PM IST

नई दिल्ली: पशुओं के अधिकार के लिए लड़ने वाले संगठन पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि देश भर में सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए.

सर्कसों में जानवरों को रखने पर रोक लगाने की मांग
जानवरों से फैलती हैं बीमारियां


याचिका में कहा गया कि सर्कसों में जानवरों पर हथियारों तक का इस्तेमाल किया जाता है. याचिका में कहा गया कि सर्कसों में जानवरों के साथ किया जाने वाला अत्याचार प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स और परफॉर्मिंग एनिमल्स रूल्स का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि सर्कसों में जानवरों को रखने से उनकी बीमारियां लोगों तक फैलती हैं. याचिका में कहा गया है कि हाथियों से टीबी, घोड़ों से ग्लैंडर और चिड़ियों से तोता बुखार जैसी बीमारियां फैलती हैं. वहीं याचिका में कहा गया है कि कोरोना बीमारी के बारे में भी माना जाता है कि सबसे पहले इसका जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण हुआ है.

कई देशों ने सर्कसों में जानवरों पर रोक लगा रखा है

याचिका में कहा गया है कि जानवरों का प्रदर्शन मनोरंजन के लिए नहीं होना चाहिए. कई देशों में सर्कसों में जानवरों के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि बोलीविया, बोस्निया और हर्जेगोविना, साइप्रस, मिस्त्र, ग्वाटेमाला, इटली और मालटा जैसे देशों ने अपने देशों में जानवरों के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना के संक्रमण के दौर में जानवरों को एक शहर से दूसरे शहर में घुमाना बीमारियों को न्योता देना है.



एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने मांगी थी रिपोर्ट

याचिका में कहा गया कि पेटा ने ये सारी चिंताएं एनिमल वेलफेयर बोर्ड के समक्ष रखी थी. उसके बाद एनिमल वेलफेयर बोर्ड में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वह अपने यहां उन सर्कसों की जांच कर बताएं कि वहां रहने वाले जानवरों की स्थिति कैसी है. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने सभी राज्यों से हर एक सर्कस में रखे जाने वाले जानवरों की समग्र रिपोर्ट मांगी थी.

नई दिल्ली: पशुओं के अधिकार के लिए लड़ने वाले संगठन पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि देश भर में सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए.

सर्कसों में जानवरों को रखने पर रोक लगाने की मांग
जानवरों से फैलती हैं बीमारियां


याचिका में कहा गया कि सर्कसों में जानवरों पर हथियारों तक का इस्तेमाल किया जाता है. याचिका में कहा गया कि सर्कसों में जानवरों के साथ किया जाने वाला अत्याचार प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स और परफॉर्मिंग एनिमल्स रूल्स का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि सर्कसों में जानवरों को रखने से उनकी बीमारियां लोगों तक फैलती हैं. याचिका में कहा गया है कि हाथियों से टीबी, घोड़ों से ग्लैंडर और चिड़ियों से तोता बुखार जैसी बीमारियां फैलती हैं. वहीं याचिका में कहा गया है कि कोरोना बीमारी के बारे में भी माना जाता है कि सबसे पहले इसका जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण हुआ है.

कई देशों ने सर्कसों में जानवरों पर रोक लगा रखा है

याचिका में कहा गया है कि जानवरों का प्रदर्शन मनोरंजन के लिए नहीं होना चाहिए. कई देशों में सर्कसों में जानवरों के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि बोलीविया, बोस्निया और हर्जेगोविना, साइप्रस, मिस्त्र, ग्वाटेमाला, इटली और मालटा जैसे देशों ने अपने देशों में जानवरों के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना के संक्रमण के दौर में जानवरों को एक शहर से दूसरे शहर में घुमाना बीमारियों को न्योता देना है.



एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने मांगी थी रिपोर्ट

याचिका में कहा गया कि पेटा ने ये सारी चिंताएं एनिमल वेलफेयर बोर्ड के समक्ष रखी थी. उसके बाद एनिमल वेलफेयर बोर्ड में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वह अपने यहां उन सर्कसों की जांच कर बताएं कि वहां रहने वाले जानवरों की स्थिति कैसी है. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने सभी राज्यों से हर एक सर्कस में रखे जाने वाले जानवरों की समग्र रिपोर्ट मांगी थी.

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