नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली एक ऐसी जगह है जहां पर देश भर के अलग-अलग राज्यों से लोग रोजगार की तलाश में आते हैं, राजधानी में अलग-अलग राज्यों से आकर लोग एक साथ रहते हैं. यहां पर अलग-अलग राज्यों का कल्चर एक साथ देखने को मिलता है. यहां लोग एक दूसरे की मदद करते हैं और एक दूसरे के कल्चर को भी अपनाते हुए नजर आते हैं, ईटीवी भारत में इसी कल्चर और स्थिति को जानने के लिए कई लोगों से बात की.
बिहार से आए प्रमोद ने बताया अनुभव
बिहार के रहने वाले प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि पिछले करीब 20 सालों से वह राजधानी दिल्ली में रह रहे हैं. हालांकि परिवार बिहार में ही रहता है, लेकिन वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आए थे और सालों से यहां नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह दिल्ली के जैतपुर हरी नगर में रहते हैं.
प्रमोद ने बताया कि शुरुआत में राजधानी में काम ढूंढ़ने में परेशानी हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे पहले एक्सपोर्ट लाइन में और फिर प्रिंटिंग लाइन में काम मिलना शुरू हुआ. उन्होंने बताया कि जयपुर में जहां पर रहते हैं, वहां अन्य दूसरे राज्यों से आए लोग भी रह रहे हैं, कोई यूपी से आया है तो कोई बिहार से लेकिन सभी मिलजुल कर रहते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं.
अन्य राज्यों से सटी हुई है राजधानी दिल्ली
इसके साथ ही पिछले 6 सालों से दिल्ली में काम कर रहे यूपी के गोरखपुर से आए नवीन पांडे ने कहा कि दिल्ली एक ऐसी जगह है, जहां हर एक राज्य से आए व्यक्ति को काम मिल जाता है. गोरखपुर से दिल्ली नजदीक है, इसी कारण से वह राजधानी में काम की तलाश में आए थे और फिर उन्हें यहां पर प्रिंटिंग का काम मिला. उन्होंने बताया कि वह ओखला में रहते हैं, जहां पर कई अन्य राज्यों से आए लोग भी उनके साथ रहते हैं. हालांकि सभी के साथ रहने में कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन बंगाल, उड़ीसा, झारखंड आदि से आए लोगों की भाषा समझ में कम आती है.
अलग-अलग राज्यों से आए लोग एक साथ करते हैं काम
दक्षिण दिल्ली के कालकाजी गिरी नगर में प्रिंटिंग का ऑफिस चलाने वाले सुमित ने बताया कि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, झारखंड समेत अलग-अलग राज्यों से काम करने के लिए कारीगर उनके यहां आते हैं.
शुरुआत में अलग-अलग राज्यों से आए कारीगरों को काम समझाना होता है, लेकिन धीरे-धीरे वह काम समझ जाते हैं और सभी मिलजुल कर एक साथ काम करते हैं. किराए पर कमरा लेकर अपना गुजर-बसर करते हैं. जब वो अपने राज्यों से आते हैं तो अपने यहां की भाषा बोलते हैं लेकिन धीरे-धीरे यहां की भाषा सीख जाते हैं.
दिल्ली समेत एनसीआर में भी बसे हुए हैं प्रवासी
बता दें कि राजधानी दिल्ली में दूसरे राज्यों से आए लोगों की संख्या करोड़ों में है. 2011 के जनगणना आंकड़ों के मुताबिक 5.6 करोड़ ऐसे भारतीय हैं, जो अपने जन्म राज्य से दूर दूसरे राज्य में रह रहे हैं. इन राज्यों में यूपी-बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश ऐसे राज्य हैं जहां पर सबसे ज्यादा लोग पलायन करके दिल्ली या महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में आकर रहते हैं.
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दिल्ली और आसपास एनसीआर में बड़ी संख्या में देशभर के अलग-अलग राज्यों से आकर लोग बसे हुए हैं. बिहार से आने वाले प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है जो दिल्ली गाजियाबाद, नोएडा में आकर बसे हुए हैं ऐसे करीब 40 लाख प्रवासी हैं. इसके साथ ही हरियाणा के फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी दूसरे राज्यों से आए करीब 37 लाख प्रवासी हैं.