नई दिल्ली: दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा दिल्ली सेवा बिल गुरुवार तीन अगस्त को लोकसभा में पारित हो गया था. इसके बाद सोमवार को दिल्ली सेवा बिल को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया और इस पर लंबी चर्चा भी की गई. इस दौरान विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया, लेकिन लंबी बहस के बाद यह बिल राज्यसभा में भी पारित हो गया. अब अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का फैसला एलजी वीके सक्सेना की कमेटी ले सकेगी.
इसे लेकर ईटीवी भारत ने लोगों से बात कर उनकी राय जानी. इसपर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली. हालांकि, ज्यादातर लोग इस बिल के पक्ष में दिखे. इसमें रजनीश यादव ने कहा कि सरकार के अंदर काम करने की नियत होगी तो काम हो सकता है. उन्होंने कहा कि जनता के विकास के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि झगड़े से केवल नकारात्मकता बढ़ती है.
उनके अलावा तरुण भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली की पुलिस बल का नियंत्रण पहले से ही केंद्र सरकार के पास है और अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग की भी पॉवर केंद्र सरकार के पास जाने से सीए केजरीवाल की पॉवर कम तो होगी. हालांकि केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते ऐसा हो सकता है लेकिन जिस तरह से जल्दबाजी में ऑर्डिनेंस लाया गया, वह थोड़ा असंवैधानिक तो है.
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वहीं दीनानाथ ने बात करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार कानूना पर कम ध्यान देती है और मनमानी चाहती है. उन्हें पहले ही पता था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं है, लेकिन वे ऐसे बात करते हैं जैसे वह पूरे राज्य के मालिक हों. राज्यसभा में पेश हुए दिल्ली सर्विस बिल का पास होना बहुत ही जरूरी था और यह दिल्ली के भविष्य के लिए बहुत ही अच्छा साबित होगा.