नई दिल्ली: महाशिवरात्रि के अवसर पर पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने के लिए तड़के सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुट गई है. गौरीशंकर मंदिर का इतिहास 800 साल पुराना है. यहां भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप का अलौकिक दर्शन करने के लिए दिल्ली ही नहीं अन्य राज्यों के भी लोग इस विशेष दिन पर पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को किसी तरह की परेशानी ना हो इस बाबत तैयारियां 15 दिन पहले से शुरू हो जाती है.
सुबह पांच बजे से शिवालय के खुले पट: मां गौरी और शिव की पूजा अर्चना के लिए मंदिर के पट सुबह पांच बजे से खुलने के साथ ही भक्तों की लंबी लंबी कतारें लग गई हैं. शनिवार के दिन और आज महाशिवरात्रि के मद्देनजर विशेष प्रावधान किया गया है. पूरे दिन मंदिर में श्रद्धालुओं के आने और उन्हें जलाभिषेक करने में कोई दिक्कत न हो इसका विशेष ध्यान रखा गया है. आज मंदिर में पूरे दिन भजन कीर्तन चलेगा और शाम को यहां से शिव बारात पुरानी दिल्ली के सभी इलाकों से होकर निकलेगी.
अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं महादेव: भगवान शिव का यह धाम गौरी शंकर मंदिर पिछले कई सालों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ का गवाह रहा है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचते हैं. इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां पश्चिम में भूरे रंग की भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग है और चांदी का सर्प शिवलिंग को घेरे हुए है. मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी विराजित हैं. इन मूर्तियों को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. बताया जाता है कि पांडव भी इस मंदिर में पूजा करते थे. इस मंदिर में भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप देखने को मिलता है.
पीपल के पेड़ के मध्य विराजे भगवान भोलेनाथ
मान्यता है कि पांच पीपल के पेड़ के मध्य विराजे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी करते हैं. वर्ष 1909 से मंदिर की देखरेख करने वाली प्रबंधन समिति के अनुसार 1761 में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर ने इस मंदिर के भवन का निर्माण कराया था. वह भगवान शिव के परम भक्त भी थे. इनके नाम का जिक्र आज भी गौरी शंकर मंदिर की छत पर मौजूद पिरामिड के निचले हिस्से में देखने को मिलता है.
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