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जनता के लिए सांस पर आफत! समाधान की जगह सियासत ही सियासत - pollution

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार गंभीर बना हुआ है. हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि डॉक्टर लोगों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दे रहे हैं. इन सब के बीच सियासत बेपरवाह आरोपों में व्यस्त हैं.

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण
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Published : Nov 14, 2019, 11:21 PM IST

नई दिल्ली: प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता मापने वाले तमाम पैमाने दिल्ली की खराब आबोहवा के सामने घुटने टेक चुके हैं. PM 10 हो या PM 2.5 जानलेवा स्तर तक पहुंच चुके हैं. इनसे निजात की कोशिशें सरकारों के वश के बाहर नजर आ रही है. उम्मीद भी तब होती जब इसके लिए कोई सार्थक कोशिश नजर आती.

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, लोग परेशान

किसी तरफ से हो रही कोई कोशिश थोड़े समय के लिए सुकून देती है, लेकिन अगले ही पल उसपर होने होने वाली सियासत और श्रेय की होड़ उसकी निरर्थकता को कोशिशों पर हावी कर देती है. विकास की दिशा में अपने हर कदम से देशभर के लिए नज़ीर बनने वाले दिल्ली वासी इन दिनों शुद्ध हवा से ही महरूम नज़र आ रहे हैं.

सियासत के बीच बढ़ता प्रदूषण
दिल्ली की दो सत्ताधारी पार्टियों सहित तीनों राजनीतिक दल मिल जुलकर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने के बजाय आरोपों-प्रत्यारोपों की सियासत में उलझे हैं. फिर भी हमने कोशिश की कि जानलेवा होती दिल्ली की हवा को लेकर उनसे कोई सार्थक जवाब लिया जा सके. हमने तीनों दलों के नेताओं से सवाल किया, लेकिन जवाब, अपनी कोशिशों के लिए पीठ थपथपाने और दूसरे पर आरोप मढ़ने की शक्ल में ही सामने आया.

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है. प्रदूषण के लिए जब भी सवाल उठता है, तो उम्मीद की किरण केंद्र सरकार की तरफ से ही नजर आती है. लेकिन केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद विजय गोयल दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से लागू किए गए ऑड-ईवन के खिलाफ ही गुरुवार सुबह सड़क पर उतर गए.

'प्रदूषण कम करने के मामले में भाजपा की निष्क्रियता'
इस दौरान जब ईटीवी भारत मे उनसे इस प्रदर्शन की जगह मिल बैठकर समाधान का रास्ता निकालने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने केंद्र सरकार के कामों का जिक्र करते हुए कहा कि हमने अपना काम कर दिया, अब बारी केजरीवाल सरकार की है जो इस दिशा में कुछ नहीं कर रही.

वहीं, आम आदमी पार्टी इसके लिए केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों को कटघरे में खड़ा कर रही है. पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रदूषण कम करने के मामले में भाजपा की निष्क्रियता को आड़े हाथों लिया, वहीं यह भी कह दिया कि ये अपनी प्रदूषित मानसिकता का दिखावा तो कर रहे हैं, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए कोई वाजिब कदम नहीं उठा रहे.
फिर बारी आई कांग्रेस पार्टी की, जो ना तो राज्य में सत्ता में है और न ही केंद्र में. लेकिन विपक्षी धर्म का निर्वहन करने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने भी इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया.

सुभाष चोपड़ा ने ग्रीन टैक्स के जरिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार द्वारा वसूले गए पैसे के खर्च न होने को लेकर दोनों पार्टियों को घेरा. लेकिन शुरुआत एक शेर से की, जो भले सियासी मंच से इस्तेमाल किया गया, लेकिन दिल्ली की वर्तमान स्थिति के लिए सटीक है-
'सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यूं है,
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है.'

नई दिल्ली: प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता मापने वाले तमाम पैमाने दिल्ली की खराब आबोहवा के सामने घुटने टेक चुके हैं. PM 10 हो या PM 2.5 जानलेवा स्तर तक पहुंच चुके हैं. इनसे निजात की कोशिशें सरकारों के वश के बाहर नजर आ रही है. उम्मीद भी तब होती जब इसके लिए कोई सार्थक कोशिश नजर आती.

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, लोग परेशान

किसी तरफ से हो रही कोई कोशिश थोड़े समय के लिए सुकून देती है, लेकिन अगले ही पल उसपर होने होने वाली सियासत और श्रेय की होड़ उसकी निरर्थकता को कोशिशों पर हावी कर देती है. विकास की दिशा में अपने हर कदम से देशभर के लिए नज़ीर बनने वाले दिल्ली वासी इन दिनों शुद्ध हवा से ही महरूम नज़र आ रहे हैं.

सियासत के बीच बढ़ता प्रदूषण
दिल्ली की दो सत्ताधारी पार्टियों सहित तीनों राजनीतिक दल मिल जुलकर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने के बजाय आरोपों-प्रत्यारोपों की सियासत में उलझे हैं. फिर भी हमने कोशिश की कि जानलेवा होती दिल्ली की हवा को लेकर उनसे कोई सार्थक जवाब लिया जा सके. हमने तीनों दलों के नेताओं से सवाल किया, लेकिन जवाब, अपनी कोशिशों के लिए पीठ थपथपाने और दूसरे पर आरोप मढ़ने की शक्ल में ही सामने आया.

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है. प्रदूषण के लिए जब भी सवाल उठता है, तो उम्मीद की किरण केंद्र सरकार की तरफ से ही नजर आती है. लेकिन केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद विजय गोयल दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से लागू किए गए ऑड-ईवन के खिलाफ ही गुरुवार सुबह सड़क पर उतर गए.

'प्रदूषण कम करने के मामले में भाजपा की निष्क्रियता'
इस दौरान जब ईटीवी भारत मे उनसे इस प्रदर्शन की जगह मिल बैठकर समाधान का रास्ता निकालने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने केंद्र सरकार के कामों का जिक्र करते हुए कहा कि हमने अपना काम कर दिया, अब बारी केजरीवाल सरकार की है जो इस दिशा में कुछ नहीं कर रही.

वहीं, आम आदमी पार्टी इसके लिए केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों को कटघरे में खड़ा कर रही है. पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रदूषण कम करने के मामले में भाजपा की निष्क्रियता को आड़े हाथों लिया, वहीं यह भी कह दिया कि ये अपनी प्रदूषित मानसिकता का दिखावा तो कर रहे हैं, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए कोई वाजिब कदम नहीं उठा रहे.
फिर बारी आई कांग्रेस पार्टी की, जो ना तो राज्य में सत्ता में है और न ही केंद्र में. लेकिन विपक्षी धर्म का निर्वहन करने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने भी इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया.

सुभाष चोपड़ा ने ग्रीन टैक्स के जरिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार द्वारा वसूले गए पैसे के खर्च न होने को लेकर दोनों पार्टियों को घेरा. लेकिन शुरुआत एक शेर से की, जो भले सियासी मंच से इस्तेमाल किया गया, लेकिन दिल्ली की वर्तमान स्थिति के लिए सटीक है-
'सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यूं है,
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है.'

Intro:दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार गंभीर बना हुआ है. हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि डॉक्टर लोगों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दे रहे हैं. लेकिन जरूरतें घर में कैद करके रख नहीं सकती और हवा इतनी जहरीली है कि बाहर निकलना बीमारी को न्योता देने जैसा है. लेकिन इन सब के बीच सियासत बेपरवाह लांछन और आरोपों में व्यस्त हैं.


Body:नई दिल्ली: प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता मापने वाले तमाम पैमाने दिल्ली की खराब आबोहवा के सामने घुटने टेक चुके हैं. पी.एम 10 हो या पी.एम 2.5 सब उस स्तर को पार कर चुके हैं, जहां से इन्हें जानलेवा बताया जाता है. लेकिन इनसे निजात की कोशिशें सरकारों के वश के बाहर नजर आती है. उम्मीद भी तब होती जब इसके लिए कोई सार्थक कोशिश नजर आती.

किसी तरफ से हो रही कोई कोशिश थोड़े समय के लिए सुकून देती है, लेकिन अगले ही पल उसपर होने होने वाली सियासत और श्रेय की होड़ उसकी निरर्थकता को कोशिशों पर हावी कर देती है. विकास की दिशा में अपने हर कदम से देशभर के लिए नज़ीर बनने वाले दिल्ली वासी इन दिनों शुद्ध हवा से ही महरूम नज़र आ रहे हैं.

दिल्ली की दो सत्ताधारी पार्टियों सहित तीनों राजनीतिक दल मिल जुलकर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने के बजाय आरोपों-प्रत्यारोपों की सियासत में उलझे हैं. फिर भी हमने कोशिश की कि जानलेवा होती दिल्ली की हवा को लेकर उनसे कोई सार्थक जवाब लिया जा सके. हमने तीनों दलों के नेताओं से सवाल किया, लेकिन जवाब, अपनी कोशिशों के लिए पीठ थपथपाने और दूसरे पर आरोप मढ़ने की शक्ल में ही सामने आया.

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है. प्रदूषण के लिए जब भी सवाल उठता है, तो उम्मीद की किरण केंद्र सरकार की तरफ से ही नजर आती है. लेकिन केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद विजय गोयल दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से लागू किए गए ऑड-इवेन के खिलाफ ही गुरुवार सुबह सड़क पर उतर गए.

इस दौरान जब ईटीवी भारत मे उनसे इस प्रदर्शन की जगह मिल बैठकर समाधान का रास्ता निकालने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने केंद्र सरकार के कामों का जिक्र करते हुए कहा कि हमने अपना काम कर दिया, अब बारी केजरीवाल सरकार की है जो इस दिशा में कुछ नहीं कर रही.

वहीं, आम आदमी पार्टी इसके लिए केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों को कटघरे में खड़ा कर रही है. पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रदूषण कम करने के मामले में भाजपा की निष्क्रियता को आड़े हाथों लिया, वहीं यह भी कह दिया कि ये अपनी प्रदूषित मानसिकता का दिखावा तो कर रहे हैं, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए कोई वाजिब कदम नहीं उठा रहे.

फिर बारी आई कांग्रेस पार्टी की, जो ना तो राज्य में सत्ता में है और न ही केंद्र में. लेकिन विपक्षी धर्म का निर्वहन करने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने भी इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया.


Conclusion:सुभाष चोपड़ा ने ग्रीन टैक्स के जरिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार द्वारा वसूले गए पैसे के खर्च न होने को लेकर दोनों पार्टियों को घेरा. लेकिन शुरुआत एक शेर से की, जो भले सियासी मंच से इस्तेमाल किया गया, लेकिन दिल्ली की वर्तमान स्थिति के लिए सटीक है-
'सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यूं है,
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है.'
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