नई दिल्ली: राजधानी के कंझावला कांड में सामने आई लापरवाही के बाद दिल्ली पुलिस ने पीसीआर से जुड़े नियम कानून को बदल दिया है. कमिश्नर संजय अरोड़ा ने दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश अस्थाना के फैसले को बदलते हुए निर्णय लिया है कि पीसीआर अब एक अलग यूनिट के तौर पर कार्य करेगी. पुलिस अधिकारियों का भी मानना है कि, जिला पुलिस के साथ पीसीआर यूनिट का विलय कर देने से इसकी पारदर्शिता व निष्पक्षता तो खत्म होने के साथ, कमांड रूम को किसी घटना को लेकर में सही जानकारी भी नहीं मिल पा रही थी.
इतना ही नहीं, पीसीआर यूनिट में लगातार लापरवाही और विसंगतियां सामने आ रही थी, जिसको लेकर वर्तमान पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 7 माह पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर स्पेशल सीपी स्तर के अफसरों की अध्यक्षता में पीसीआर के दैनिक कामकाज की जांच के लिए कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कमिश्नर ने सोमवार को पीसीआर यूनिट को जिले से अलग कर एक अलग यूनिट बनाने की घोषणा की. हालांकि पीसीआर को पूरी तरह से यूनिट बनने और पहले की तरह काम करने में 1 माह का वक्त लगेगा. अब मंगलवार को पीसीआर के लिए एसीपी व इंस्पेक्टरों के लिए आदेश जारी किए जाएंगे, जबकि अफसरों के बैठने आदि के लिए ऑफिस बनाए जाने और धीरे-धीरे सभी रैंक के पुलिसकर्मियों की तैनाती किए जाने में अभी वक्त लगेगा. वहीं 11 मार्च से एक-एक रेंज में पीसीआर काम करना शुरू करेगी और 31 मार्च तक पीसीआर को पूरी तरह से जिले से अलग कर दिया जाएगा. इसके बाद यह यूनिट के रूप में काम करना शुरू कर देगी.
कंझावला कांड में देरी से रिस्पांस करने पर उठे सवाल: कंझावला इलाके में युवती को 12 किलोमीटर तक गाड़ी के नीचे घसीटने के मामले में देरी से रिस्पांस करने में पीसीआर वैन और पीसीआर यूनिट पर सवाल उठे थे. तब पीसीआर वैन के सही समय पर न पहुंच पाने के कारण 6 पीसीआरकर्मी सस्पेंड किए गए थे. इसके बाद नए पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने पीसीआर सिस्टम पर स्टडी कराई, जिसमें पाया गया कि विलय के फैसले में कई खामियां हैं, जिस पर पीसीआर को अलग करने का फैसला लिया गया. इसके बाद, एक सितंबर 2021 को राकेश अस्थाना ने जब पीसीआर यूनिट को भंग कर जिला पुलिस के साथ विलय कर दिया गया था. साथ ही पीसीआर में तैनात 5,219 कर्मियों को जिले के अलग-अलग थानों से अटैच कर दिया गया था और इस यूनिट में अधिकतर पुलिसकर्मी 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले थे, जो एनसीआर में रहते थे और ड्यूटी करने दिल्ली आया करते थे.
उम्र दराज पुलिसकर्मियों और खटारा गाड़ियों ने बिगाड़ी हालत: पीसीआर यूनिट को जिले से संबंध करने के कुछ दिन बाद ही तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने एक आदेश जारी कर यह कहा था कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुलिसकर्मी अपने घर के पास वाले स्थानों में नियुक्ति करा सकते हैं, जिसके बाद पीसीआर की हालत और भी ज्यादा बिगड़ गई. विलय के बाद जिस प्रकार सभी थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ी थी वह फिर से पहले जैसी हो गई. वहीं थानों में खड़ी पीसीआर वैन के चालक निर्धारित नहीं होते थे, जिससे रखरखाव के अभाव में 40 से अधिक पीसीआर वैन खटारा हो गईं. इससे रिस्पांस टाइम पर भी असर पड़ा. तब पीसीआर कॉल आने पर थाने का कोई एक पुलिसकर्मी, पीसीआर वैन लेकर मौके पर पहुंच जाता था और पहले मोबाइल पर थानाध्यक्ष से बात करने के बाद उनके निर्देश के अनुसार रिपोर्ट फ्लैश करता था.
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