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टूलकिट मामला: दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला आज

टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट फैसला सुनाएगा.

Patiala House court decision on Disha Ravi bail plea in toolkit case today
पटियाला हाउस कोर्ट
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Published : Feb 23, 2021, 8:18 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा. वहीं इस मामले में पिछले 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.



पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तान से संबंध

सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है. इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं। इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहती थी। उसमें दिशा रवि भी शामिल है.


11 जनवरी को जूम के जरिये बैठक की

राजू ने कहा था कि जो टूलकिट बनाया गया उसकी साजिश कनाडा में रची गई. ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं। राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की. राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की.


सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं, तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा था कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं, तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं.

कोर्ट ने कनेक्शन का सीधा साक्ष्य मांगा

कोर्ट ने राजू से पूछा था कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं। तब राजू ने कहा था कि परिस्थितियां देखिए, खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. तब कोर्ट ने पूछा था कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या है. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं। तब राजू ने कहा था कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है। कानून के मुताबिक साजिश की शर्तें पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है. तब राजू ने कहा था कि पुलिस अभी जांच कर रही है.


'दिशा रवि का खालिस्तान से लिंक नहीं'

सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा रवि का खालिस्तान से कोई लिंक नहीं रहा है. इसमें धन का भी कोई एंगल नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि इसमें तीसरा एंगल भी हो सकता है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन को ग्लोबल प्लेटफार्म पर हाईलाईट करना राजद्रोह है तो हम दोषी हैं.

संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करने का आदेश

बता दें कि पिछले 22 फरवरी को कोर्ट ने दिशा रवि को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था. पिछले 19 फरवरी को दिशा रवि को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था. पिछले 19 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया था कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करे ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित नहीं हो. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता और संप्रभूता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए.

ये भी पढ़ें:-दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित, फैसला 23 फरवरी को


14 फरवरी को गिऱफ्तार हुई थी दिशा

पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 14 फरवरी को दिशा रवि को 19 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा रवि को बंगलुरू से गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि ने किसान आंदोलन से जुड़े उस डॉक्युमेंट को शेयर किया. जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था. पदिशा पर टूलकिट नाम के उस डॉक्युमेंट को एडिट करके उसमें कुछ चीज़ें जोड़ने और उसे आगे फॉरवर्ड करने का आरोप है.

ये भी पढ़ें:-टूलकिट मामलाः दिशा रवि की जमानत याचिका पर सुनवाई आज



'क्या-क्या हैं आरोप'
यह टूलकिट तब चर्चा में आया था, जब इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा किया. उसके बाद पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत बदनाम करने, आपराधिक साजिश रचने और नफरत को बढ़ावा देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज किया है.

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा. वहीं इस मामले में पिछले 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.



पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तान से संबंध

सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है. इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं। इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहती थी। उसमें दिशा रवि भी शामिल है.


11 जनवरी को जूम के जरिये बैठक की

राजू ने कहा था कि जो टूलकिट बनाया गया उसकी साजिश कनाडा में रची गई. ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं। राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की. राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की.


सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं, तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा था कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं, तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं.

कोर्ट ने कनेक्शन का सीधा साक्ष्य मांगा

कोर्ट ने राजू से पूछा था कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं। तब राजू ने कहा था कि परिस्थितियां देखिए, खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. तब कोर्ट ने पूछा था कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या है. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं। तब राजू ने कहा था कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है। कानून के मुताबिक साजिश की शर्तें पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है. तब राजू ने कहा था कि पुलिस अभी जांच कर रही है.


'दिशा रवि का खालिस्तान से लिंक नहीं'

सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा रवि का खालिस्तान से कोई लिंक नहीं रहा है. इसमें धन का भी कोई एंगल नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि इसमें तीसरा एंगल भी हो सकता है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन को ग्लोबल प्लेटफार्म पर हाईलाईट करना राजद्रोह है तो हम दोषी हैं.

संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करने का आदेश

बता दें कि पिछले 22 फरवरी को कोर्ट ने दिशा रवि को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था. पिछले 19 फरवरी को दिशा रवि को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था. पिछले 19 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया था कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करे ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित नहीं हो. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता और संप्रभूता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए.

ये भी पढ़ें:-दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित, फैसला 23 फरवरी को


14 फरवरी को गिऱफ्तार हुई थी दिशा

पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 14 फरवरी को दिशा रवि को 19 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा रवि को बंगलुरू से गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि ने किसान आंदोलन से जुड़े उस डॉक्युमेंट को शेयर किया. जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था. पदिशा पर टूलकिट नाम के उस डॉक्युमेंट को एडिट करके उसमें कुछ चीज़ें जोड़ने और उसे आगे फॉरवर्ड करने का आरोप है.

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'क्या-क्या हैं आरोप'
यह टूलकिट तब चर्चा में आया था, जब इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा किया. उसके बाद पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत बदनाम करने, आपराधिक साजिश रचने और नफरत को बढ़ावा देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज किया है.

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