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दिल्ली की इस निर्भया को अभी भी इंसाफ का इंतजार, देखिए पूरी रिपोर्ट - Kiran Negi awaits justice

दिल्ली के द्वारका में साल 2012 में एक युवती को किडनैप किया गया था. उसके बाद हरियाणा ले जाकर उसके साथ दरिंदगी की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2014 में तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में जाकर लटक गया है.

This nirbhaya of Delhi is still waiting for justice
दिल्ली की इस निर्भया को इंसाफ का इंतजार
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Published : Dec 16, 2020, 10:04 PM IST

नई दिल्ली: निर्भया के चारों दोषियों को फांसी हो चुकी है, लेकिन दिल्ली की ही एक और बेटी को करीब आठ साल से इंसाफ का इंतजार है. द्वारका में 9 फरवरी, 2012 को पड़ोस के ही रहने वाले तीन युवकों ने पीड़िता को किडनैप कर उसके साथ दरिंदगी की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने उन तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी है, लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका हुआ है. तीनों आरोपी तिहाड़ जेल में बंद हैं. पीड़िता के परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी को भी निर्भया की तरह इंसाफ चाहिए और उन तीनों दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए.

दिल्ली की इस निर्भया को अभी भी इंसाफ का इंतजार

19 साल की छात्रा के साथ की गई थी दरिंदगी
ऐसा ही एक मामला साल 2012 का है. 9 फरवरी की रात में पश्चिमी दिल्ली के द्वारका फेस 2, कुतुब विहार की रहने वाली एक 19 साल की छात्रा जब नौकरी करने के बाद वापस अपने घर लौट रही थी तभी पड़ोस में रहने वाले तीन लड़कों ने उसे लाल रंग की इंडिका कार में अगवा कर लिया और उसे हरियाणा ले गए थे जहां 3 दिन तक उसके साथ हैवानियत की और फिर गंभीर हालत में सरसों के खेत में फेंक कर चले गए.


निर्भया से 10 महीने पहले हुई थी घटना
ईटीवी भारत की टीम द्वारका के उसी परिवार के घर पहुंची जो आज अपनी बेटी के लिए इंसाफ की सालों से गुहार लगा रहे हैं. पीड़िता के पिता ने बताया कि निर्भया मामले में 8 साल की लंबी लड़ाई के बाद आरोपियों को फांसी पर लटका दिया गया, लेकिन उसी साल 10 महीने पहले फरवरी में उनकी बेटी के साथ हैवानियत की गई. हमने पुलिस और प्रशासन के सामने गुहार लगाई. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके 3 दिन बाद बेटी अधमरी हालत में एक खेत में मिली. यदि पुलिस उसी दिन कार्रवाई करती तो आज हमारी बेटी जिंदा होती.



2014 में हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को सुनाई थी फांसी की सजा
पीड़िता के पिता ने बताया कि साल 2014 में मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुना दी गई. लेकिन हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फिर लटक गया. मामले में तीन आरोपी जो इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन फांसी के तख्ते से अभी दूर है.


जंतर-मंतर पर भी दिया था धरना
इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वह अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांगने जंतर-मंतर पर धरने पर भी बैठे थे, वहां पोस्टर लगाए थे, उसी दौरान वहां पर वर्तमान में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भाषण भी चल रहा था और दूसरी तरफ राहुल गांधी की बैठक भी थी. लेकिन हमारी तरफ किसी ने नहीं देखा और ना ही कोई मदद की.


9 सालों से कर रहे इंसाफ का इंतजार
वहीं पीड़िता की मां ने कहा कि हमारे देश का कानून बेहद लचीला है. इंसाफ का इंतजार करते-करते 9 साल बीत चुके हैं. लेकिन हमारा कानून केवल गुनहगारों को पनाह देता है, उनके अधिकारों की रक्षा करता है. जो पीड़ित हैं वह जिंदगी भर इंसाफ का इंतजार करते रह जाते हैं. महिलाएं आज भी हमारे समाज में सुरक्षित नहीं है. माता-पिता कब तक अपनी बेटियों को छुपा कर रखेंगे. परिवार ने कहा कि आज केवल हम यही चाहते हैं कि जिस तरीके से निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया है. ठीक उसी तरह हमारी बेटी के भी तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाया जाए.

नई दिल्ली: निर्भया के चारों दोषियों को फांसी हो चुकी है, लेकिन दिल्ली की ही एक और बेटी को करीब आठ साल से इंसाफ का इंतजार है. द्वारका में 9 फरवरी, 2012 को पड़ोस के ही रहने वाले तीन युवकों ने पीड़िता को किडनैप कर उसके साथ दरिंदगी की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने उन तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी है, लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका हुआ है. तीनों आरोपी तिहाड़ जेल में बंद हैं. पीड़िता के परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी को भी निर्भया की तरह इंसाफ चाहिए और उन तीनों दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए.

दिल्ली की इस निर्भया को अभी भी इंसाफ का इंतजार

19 साल की छात्रा के साथ की गई थी दरिंदगी
ऐसा ही एक मामला साल 2012 का है. 9 फरवरी की रात में पश्चिमी दिल्ली के द्वारका फेस 2, कुतुब विहार की रहने वाली एक 19 साल की छात्रा जब नौकरी करने के बाद वापस अपने घर लौट रही थी तभी पड़ोस में रहने वाले तीन लड़कों ने उसे लाल रंग की इंडिका कार में अगवा कर लिया और उसे हरियाणा ले गए थे जहां 3 दिन तक उसके साथ हैवानियत की और फिर गंभीर हालत में सरसों के खेत में फेंक कर चले गए.


निर्भया से 10 महीने पहले हुई थी घटना
ईटीवी भारत की टीम द्वारका के उसी परिवार के घर पहुंची जो आज अपनी बेटी के लिए इंसाफ की सालों से गुहार लगा रहे हैं. पीड़िता के पिता ने बताया कि निर्भया मामले में 8 साल की लंबी लड़ाई के बाद आरोपियों को फांसी पर लटका दिया गया, लेकिन उसी साल 10 महीने पहले फरवरी में उनकी बेटी के साथ हैवानियत की गई. हमने पुलिस और प्रशासन के सामने गुहार लगाई. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके 3 दिन बाद बेटी अधमरी हालत में एक खेत में मिली. यदि पुलिस उसी दिन कार्रवाई करती तो आज हमारी बेटी जिंदा होती.



2014 में हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को सुनाई थी फांसी की सजा
पीड़िता के पिता ने बताया कि साल 2014 में मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुना दी गई. लेकिन हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फिर लटक गया. मामले में तीन आरोपी जो इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन फांसी के तख्ते से अभी दूर है.


जंतर-मंतर पर भी दिया था धरना
इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वह अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांगने जंतर-मंतर पर धरने पर भी बैठे थे, वहां पोस्टर लगाए थे, उसी दौरान वहां पर वर्तमान में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भाषण भी चल रहा था और दूसरी तरफ राहुल गांधी की बैठक भी थी. लेकिन हमारी तरफ किसी ने नहीं देखा और ना ही कोई मदद की.


9 सालों से कर रहे इंसाफ का इंतजार
वहीं पीड़िता की मां ने कहा कि हमारे देश का कानून बेहद लचीला है. इंसाफ का इंतजार करते-करते 9 साल बीत चुके हैं. लेकिन हमारा कानून केवल गुनहगारों को पनाह देता है, उनके अधिकारों की रक्षा करता है. जो पीड़ित हैं वह जिंदगी भर इंसाफ का इंतजार करते रह जाते हैं. महिलाएं आज भी हमारे समाज में सुरक्षित नहीं है. माता-पिता कब तक अपनी बेटियों को छुपा कर रखेंगे. परिवार ने कहा कि आज केवल हम यही चाहते हैं कि जिस तरीके से निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया है. ठीक उसी तरह हमारी बेटी के भी तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाया जाए.

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