नई दिल्ली: सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जाने वाले सुधार में अब अभिभावक भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं. इसको लेकर देश भर के अभिभावक संगठन के प्रतिनिधियों ने मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठन बनाया है जिसे पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का नाम दिया गया है. अभिभावक संगठन यह चाहते हैं कि छात्रों की शिक्षा को लेकर कोई भी बड़ा फैसला करने से पहले या किसी नीति के गठन में अभिभावकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए.
अभिभावकों की हो भागीदारी
दिल्ली के आईटीओ में देशभर के 16 राज्यों के पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की बैठक हुई. जिसमें एक नए संगठन का गठन किया गया. इस बैठक में यह मांग भी की गई कि यदि किसी भी राज्य की सरकार शिक्षा प्रणाली में किसी भी तरह का बदलाव करने का विचार करती है या केंद्र सरकार की तरफ से शिक्षा में बदलाव के लिए कोई नीति पारित होने की प्रक्रिया शुरू होती है तो उसमें अभिभावकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सके.
संगठन बनने से आएगी काम में एकजुटता
दिल्ली पैरेंट एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर संगठन बनने से हर काम में एकजुटता होगी. शिक्षा नीतियों में बदलाव लाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जा सकेगा. साथ ही स्कूल से सम्बंधित शिकायतों और अन्य मुद्दों को सुधार करने में भी आसानी होगी.
संगठन ने आंदोलन करने की चेतावनी दी
अपराजिता ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गठित हुआ पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया अब शिक्षा के कई मुद्दों को लेकर आंदोलन की पहल करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में लागू हुए शिक्षा के अधिकार( आरटीआई) में कुछ अहम बदलाव करने जरूरी है जिसको लेकर जल्दी ही हमारा संगठन आंदोलन करेगा. साथ ही इस संगठन ने मांग रखी है कि शिक्षा का अधिकार जिसमें मुफ्त शिक्षा का प्रावधान केवल आठवीं तक के छात्रों के लिए है, इसे बढाकर 12वीं क्लास तक कर दिया जाए.
इसके अलावा भी संगठन ने कई सुझाव दिए हैं जिसमें उनका कहना है कि एक राष्ट्र के लिए एक ही शिक्षा नीति हो सभी राज्यों में अलग-अलग पाठ्यक्रम की जगह स्कूलों में समान पाठ्यक्रम लागू किया जाना चाहिए इसके अलावा ट्यूशन फीस भी सभी राज्यों में समान होनी चाहिए अभिभावक संघ का यह भी कहना है कि छात्रों की शिक्षा से संबंधित कोई भी नीति बनाने से पहले या कोई भी निर्णय लेने में सरकार चाहे वह राज्य की हो या केंद्र की हो अभिभावकों की राय जरूर लें.