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दिल्ली हिंसाः बुर्का पहनने वाली महिलाओं की हत्या के आरोप में FIR दर्ज करने का आदेश

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुर्का पहनने वाली महिलाओं की हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. यह आदेश रेडीमेड कपड़ों के एक व्यापारी की शिकायत पर दिया गया है.

ordered to register an fir on allegation of murder of women who wearing burqa during delhi riots
कड़कड़डूमा कोर्ट
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Published : Nov 2, 2020, 8:02 PM IST

नई दिल्लीः कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को रेडीमेड कपड़ों के एक व्यापारी की उस शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है, जिसने दावा किया है कि दिल्ली दंगों के दौरान बुर्का पहनने वाली महिलाओं की हत्या की गई थी और उनके शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया गया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राकेश कुमार रामपुरी ने ये आदेश जारी किया.

'बिना जांच के आरोपों को कैसे झूठलाया जा सकता है'

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जिस तरह का आरोप लगाया है, उसे बिना जांच के कैसे झूठलाया जा सकता है. पुलिस को तथ्यों की जांच करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर पुलिस को पहले एफआईआर दर्ज करने और उसके बाद जांच की रिपोर्ट पेश करने का प्रावधान है. याचिका निसार अहमद ने दायर किया था. घटना 24 फरवरी की है. याचिकाकर्ता की भागीरथी विहार पुलिया के पास रेडीमेड कपड़ों की दुकान और घर है. 24 फरवरी को हुए दंगे के दौरान कुछ शवों को भागीरथी विहार नाला में फेंका गया. उस रात रातभर लूट और आगजनी होती रही.

दूसरी एफआईआर में दर्ज स्थान और समय अलग

शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि 25 फरवरी की सुबह साढ़े नौ बजे करीब दो सौ लोगों की भीड़ उसके घर आई और दरवाजा और दुकान का शटर तोड़ दिया गया. दंगाईयों की भीड़ उसके गोदाम में घुसी और करीब दस लाख रुपये का सामान लूट लिया और तीन मोटरसाइकिल को निकालकर आग लगा दिया. इस दौरान दंगाईयों की भीड़ ने याचिकाकर्ता की बहु के गहने लूटकर ले गए. वो किसी तरह अपने पड़ोसियों की मदद से वहां से भागकर निकला.

याचिकाकर्ता ने कहा कि गोकलपुरी थाने में आस मोहम्मद नामक शिकायतकर्ता की शिकायत पर एफआईआर नंबर 78 दर्ज की गई थी. उस एफआईआर में घर में लूटपाट का जिक्र किया गया है, लेकिन उसमें कहीं भी हत्या का जिक्र नहीं है. एफआईआर नंबर 78 में दर्ज स्थान और समय शिकायतकर्ता की शिकायत में बताए गए स्थान और समय दोनों अलग-अलग हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से एफआईआर नंबर 78 से अलग एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की.

सुनवाई के दौरान गोकलपुरी थाने के जांच अधिकारी आशीष गर्ग ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने दूसरे शिकायतकर्ता आस मोहम्मद की शिकायत पर एफआईआर नंबर 78 दर्ज किया था. उसके बाद शिकायतकर्ता ने 4 मार्च को लिखित शिकायत दी, जिसे एफआईआर नंबर 78 में ही क्लब कर दिया गया. उन्होंने शिकायतकर्ता के इस आरोप को गलत बताया कि बुर्का पहनी महिलाओं के शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंका गया था.

'मामले की सच्चाई जानने के लिए जांच जरूरी'

जांच अधिकारी ने कहा कि उसने एफआईआर नंबर 78 के संबंध में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. कोर्ट ने पाया कि ये समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस शिकायतकर्ता के सभी आरोपों की जांच कैसे करेगी. जबकि उसने एफआईआर नंबर 78 में चार्जशीट भी दाखिल कर दिया है. शिकायतकर्ता ने शिकायत की है कि कुछ शवों को नाले में फेंका गया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सच्चाई जानने के लिए जांच जरूरी है. ऐसे में एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए.

नई दिल्लीः कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को रेडीमेड कपड़ों के एक व्यापारी की उस शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है, जिसने दावा किया है कि दिल्ली दंगों के दौरान बुर्का पहनने वाली महिलाओं की हत्या की गई थी और उनके शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया गया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राकेश कुमार रामपुरी ने ये आदेश जारी किया.

'बिना जांच के आरोपों को कैसे झूठलाया जा सकता है'

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जिस तरह का आरोप लगाया है, उसे बिना जांच के कैसे झूठलाया जा सकता है. पुलिस को तथ्यों की जांच करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर पुलिस को पहले एफआईआर दर्ज करने और उसके बाद जांच की रिपोर्ट पेश करने का प्रावधान है. याचिका निसार अहमद ने दायर किया था. घटना 24 फरवरी की है. याचिकाकर्ता की भागीरथी विहार पुलिया के पास रेडीमेड कपड़ों की दुकान और घर है. 24 फरवरी को हुए दंगे के दौरान कुछ शवों को भागीरथी विहार नाला में फेंका गया. उस रात रातभर लूट और आगजनी होती रही.

दूसरी एफआईआर में दर्ज स्थान और समय अलग

शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि 25 फरवरी की सुबह साढ़े नौ बजे करीब दो सौ लोगों की भीड़ उसके घर आई और दरवाजा और दुकान का शटर तोड़ दिया गया. दंगाईयों की भीड़ उसके गोदाम में घुसी और करीब दस लाख रुपये का सामान लूट लिया और तीन मोटरसाइकिल को निकालकर आग लगा दिया. इस दौरान दंगाईयों की भीड़ ने याचिकाकर्ता की बहु के गहने लूटकर ले गए. वो किसी तरह अपने पड़ोसियों की मदद से वहां से भागकर निकला.

याचिकाकर्ता ने कहा कि गोकलपुरी थाने में आस मोहम्मद नामक शिकायतकर्ता की शिकायत पर एफआईआर नंबर 78 दर्ज की गई थी. उस एफआईआर में घर में लूटपाट का जिक्र किया गया है, लेकिन उसमें कहीं भी हत्या का जिक्र नहीं है. एफआईआर नंबर 78 में दर्ज स्थान और समय शिकायतकर्ता की शिकायत में बताए गए स्थान और समय दोनों अलग-अलग हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से एफआईआर नंबर 78 से अलग एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की.

सुनवाई के दौरान गोकलपुरी थाने के जांच अधिकारी आशीष गर्ग ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने दूसरे शिकायतकर्ता आस मोहम्मद की शिकायत पर एफआईआर नंबर 78 दर्ज किया था. उसके बाद शिकायतकर्ता ने 4 मार्च को लिखित शिकायत दी, जिसे एफआईआर नंबर 78 में ही क्लब कर दिया गया. उन्होंने शिकायतकर्ता के इस आरोप को गलत बताया कि बुर्का पहनी महिलाओं के शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंका गया था.

'मामले की सच्चाई जानने के लिए जांच जरूरी'

जांच अधिकारी ने कहा कि उसने एफआईआर नंबर 78 के संबंध में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. कोर्ट ने पाया कि ये समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस शिकायतकर्ता के सभी आरोपों की जांच कैसे करेगी. जबकि उसने एफआईआर नंबर 78 में चार्जशीट भी दाखिल कर दिया है. शिकायतकर्ता ने शिकायत की है कि कुछ शवों को नाले में फेंका गया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सच्चाई जानने के लिए जांच जरूरी है. ऐसे में एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए.

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