नई दिल्ली: मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने केंद्र और दिल्ली सरकार को राजधानी में सक्रिय झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान करने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है. न्यायाधिकरण ने यह आदेश तब दिया, जब पता चला कि साल 2013 के एक सड़क हादसे में घायल युवक का जिस शख्स ने पांच महीने तक इलाज किया, वह नीम हकीम था. वह जिस डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल कर मरीज का इलाज कर रहा था, उनकी मौत सात साल पहले हो गई थी.
एमएसीटी के पीठासीन अधिकारी एकता गौबा मान ने कहा कि दिल्ली में झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, वह बेहद गंभीर और चिंता पैदा करने वाले हैं. यह अजीब तथ्य है कि हादसे में घायल होने वाले युवक का पांच महीने तक इलाज करने वाले डॉ. वीरेंद्र एम. मल्होत्रा की सात साल पहले ही मौत हो गई थी. जब किसी दुर्घटना बाद घायल व्यक्ति को अस्पताल/क्लिनिक लाया जाता है तो उम्मीद की जाती है कि मौत से जूझ रहे घायल शख्स का इलाज करने वाला डॉक्टर झोलाछाप या नीम हकीम नहीं होगा. यदि कोई झोलाछाप डॉक्टर इलाज करता है तो मरीज की जान पर खतरा बढ़ने की आशंका होती है. अदालत ने कहा कि झोलाछाप डॉक्टर खतरनाक हैं. इनसे सख्ती से निपटने की जरूरत है क्योंकि झोलाछाप डॉक्टरों से दुर्घटना पीड़ितों के जीवन को खतरा होता है. झोलाछाप डॉक्टरों के कृत्यों की कड़ी निंदा की जानी चाहिए.
अदालत इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश देती है कि वह झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान के लिए एक तंत्र बनाए. इसके साथ ही मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने मौजूदा मामले में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) से प्रशांत विहार थाने के एसएचओ को दुर्घटना में घायल होने वाले याचिकाकर्ता के साथ गलत व्यवहार करने और फर्जी बिल बनाने वाले झोलाछाप के खिलाफ सत्यापन और कानून के तहत समुचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
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मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी एकता गौबा मान ने अपने आदेश की प्रति सीएमएम, उत्तरी जिला, रोहिणी कोर्ट को भी भेज दी है. साथ ही संबंधित थाना प्रभारी को फैसले की प्रति केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को भेजने को कहा है. मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने बीमा कंपनी को हादसे में घायल युवक को एक महीने के भीतर 31 लाख 71 हजार रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.
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