नई दिल्ली: फायर एनओसी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद, यूपीएससी, एसएससी ,जुडिशियरी और नेट-जेआरएफ की तैयारी के हब के रूप में विकसित मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटरों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.15 जून को एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना का संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बिना फायर एनओसी के चल रहे कोचिंग सेंटरों को बंद करने के आदेश दिए हैं. इसको लेकर कोचिंग सेंटरों के संचालक और छात्र अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
दरअसल, 15 जून को मुखर्जी नगर स्थित भंडारी हाउस नाम की इमारत में आग लगने की घटना के बाद यहां के कोचिंग सेंटर में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को इमारत की खिड़कियों से रस्सी के सहारे कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था. आग लगने की घटना के समय इमारत में चल रहे कोचिंग सेंटर में करीब 350 छात्र कक्षाएं ले रहे थे.
संज्ञान लेने के बाद 25 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया है कि जिन कोचिंग सेंटरों के पास दिल्ली अग्निशमन सेवा से ली गई फायर एनओसी नहीं है, उन सभी कोचिंग सेंटरों को एक महीने के अंदर बंद कर दिया जाए. इसके बाद से कोचिंग सेंटर संचालकों में खलबली मची हुई है. कोचिंग सेंटर संचालक जिन इमारतों में कोचिंग सेंटर चला रहे हैं, उन इमारतों के मालिकों से वह कह रहे हैं कि आप अपनी इमारत के लिए हमें फायर एनओसी लेकर दें या फिर उस इमारत को इस तरह तैयार कराएं कि फायर एनओसी लेने में दिक्कत ना आए.
व्यवस्था करने में एक महीने का समय बहुत कमः संस्कृति आईएएस कोचिंग सेंटर के प्रबंधन एवं वित्तीय देखरेख करने वाले निशांत सक्सेना ने बताया कि हमारा कोचिंग सेंटर डीडीए की बिल्डिंग में संचालित है और उस बिल्डिंग में फायर एनओसी के लिए लगभग सभी नियम पूरे हैं. इसके अलावा कुछ कमी है तो हम उसको भी पूरी कर रहे हैं और हमने कक्षा में भी अग्निशामक यंत्र रखवाए हैं. उन्होंने कहा कि जिस इमारत में आग लगी थी, उस इमारत में ग्राउंड फ्लोर पर बिजली के मीटर में आग लगी थी. जबकि फर्स्ट सेकंड और थर्ड फ्लोर पर ही कक्षाएं चलती हैं. ग्राउंड फ्लोर पर लगी आग का धुआं ऊपर तक पहुंचने के कारण कुछ छात्र ज्यादा डर गए और वह घबराहट में खिड़कियों से कूदने लगे. जबकि उनके पास चौथी मंजिल पर जाकर बगल वाली इमारत के रास्ते सीढ़ियों से उतरने का विकल्प मौजूद था.
उन्होंने कहा कि यहां भंडारी हाउस इमारत के बगल में और जो भी इमारतें बनी है, उन सब की छतें आपस में जुड़ी हुई हैं. इसलिए छात्रों के निकलने के लिए कोई समस्या नहीं थी. लेकिन आग का वीडियो वायरल होने और पैनिक फैलने के चलते कुछ छात्र हड़बड़ाहट में कूद गए. उन्हीं छात्रों को कुछ चोटें लगी थी. इन सभी छात्रों का इलाज भी हमारे और अन्य कोचिंग सेंटर के द्वारा कराया जा रहा है. लेकिन ग्राउंड फ्लोर पर लगी हुई आग फर्स्ट फ्लोर तक भी नहीं पहुंची थी. सारी समस्या पैनिक फैलने के कारण हुई. अभी इमारत में आग बुझाने के लिए जो भी आवश्यक उपकरण होने चाहिए, वह सभी लगाए जा रहे हैं. बिजली के मीटर भी बाहर की दीवार पर लगाए जा रहे हैं. साथ ही छात्रों के आपात स्थिति में निकलने के लिए भी एक अलग दरवाजा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम आगे भी सरकार द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन करने के लिए तैयार हैं. 15 जून को आग लगने की घटना में भी हमारे स्तर पर कोई लापरवाही नहीं बरती गई थी.
छात्रों की संख्या कम करके कक्षाएं ली जा रहीः वहीं, ध्येय आईएएस कोचिंग सेंटर के एडमिन इंचार्ज अवनीश कुमार का कहना है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना फायर एनओसी वाले कोचिंग सेंटरों को बंद करने का जो आदेश दिया है, उससे हम सहमत हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने जो एक महीने का समय दिया है, वह कम है. भंडारी हाउस इमारत में आग लगने की घटना के बाद सभी कोचिंग सेंटर दिल्ली फायर सर्विस के नियमों को पूरा करके एनओसी लेने की तैयारी में जुटे हैं. साथ ही कक्षाओं में छात्रों की संख्या को कम करके एक कक्षा में से दो-दो बैच बनाए जा रहे हैं ताकि कोई घटना होने पर छात्रों की संख्या कम रहेगी तो पैनिक नहीं फैलेगा. एक महीने में अचानक से सेंटरों को बंद कर देना समस्या का समाधान नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि इतनी जल्दी कोचिंग सेंटर फायर सर्विस के नियमों को पूरा करने वाली दूसरी कमर्शियल इमारतों में भी शिफ्ट नहीं हो सकते हैं. हाई कोर्ट को इसके लिए कम से कम 6 महीने का समय देना चाहिए था, जिससे यहां कोचिंग ले रहे छात्रों को भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए समय मिल जाता. वह भी अपने आप को पूरी तरह से मानसिक तौर पर कोचिंग सेंटर के शिफ्ट होने के बाद दूसरी जगह पढ़ने के लिए खुद को तैयार कर पाते. कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिनके पास यूपीएससी की तैयारी के लिए अंतिम विकल्प बचा है. इस साल के बाद उनकी उम्र निकल जाएगी. कोचिंग सेंटर बंद होने से उनका बड़ा नुकसान हो जाएगा. इसलिए हाई कोर्ट को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए.
फीस चुका चुके छात्रों का होगा बड़ा नुकसानः वहीं यहां कोचिंग करने वाले छात्र अजहर अली का कहना है कि जब इन इमारतों में कोचिंग सेंटर खोले जा रहे थे, उस समय भी संज्ञान लिया जाना चाहिए था. हम छात्र दूर-दूर से यहां पढ़ने आते हैं और हमारे मां-बाप जैसे तैसे पैसे का इंतजाम करके भेजते हैं. 6000 रुपये प्रति महीने का कमरा लेकर और महीने के नौ हजार रुपये खाने का खर्चा देकर हम यहां कोचिंग करते हैं. हजारों रुपये फीस देते हैं. ऐसे में अचानक से अगर कोचिंग बंद कर दी जाती है तो छात्रों का बड़ा नुकसान होगा या सरकार छात्रों से ली गई फीस वापस दिलाने के लिए भी संज्ञान ले.
वहीं उत्तराखंड के देहरादून से मुखर्जी नगर में यूपीएससी की कोचिंग कर रहे सुखप्रीत सिंह का कहना है कि हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उससे वह खुश नहीं हैं. हाई कोर्ट को थोड़ा और समय देना चाहिए था क्योंकि जिस इमारत में आग लगी, उस इमारत में पढ़ने वाले बच्चे पूरी फीस दे चुके हैं और अभी वहां क्लास बंद है तो बच्चों का बड़ा नुकसान हो रहा है और फिर से क्लास शुरू होने में अभी समय लगेगा.
कोचिंग सेंटरों के लिए नियम बनाना जरूरीः वहीं, बिहार के रहने वाले और यूपीएससी की तैयारी करने वाले एक छात्र का कहना है कि हाईकोर्ट ने जो निर्णय दिया है उससे वह सहमत हैं. लेकिन कोचिंग सेंटरों को अचानक से बंद करने की जगह इसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था देनी चाहिए थी, जिससे छात्रों की तैयारी भी चलती रहे. अचानक से कोचिंग सेंटर को बंद करने से छात्रों की पढ़ाई का बड़ा नुकसान होगा. कोचिंग सेंटरों के लिए भी नियम बनाना जरूरी है जिससे इस तरह की आग लगने की घटनाएं ना हो क्योंकि पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर वाले मनमानी करके फीस लेते हैं, लेकिन उसके बदले में छात्रों को कोई सुविधा नहीं देते हैं. जब भी कोई समस्या होती है तो छात्रों को झेलनी पड़ती है. यहां कोचिंग सेंटर संचालक करोड़ों रुपए का व्यापार करते हैं. सरकार को टैक्स भी देते हैं लेकिन फायर सहित इमारत के मामले में अन्य नियमों को पूरा करने में कोताही बरतते हैं, जिससे खुद के साथ ही वह अपनी जान भी जोखिम में डालते हैं. इस समस्या का समाधान करना भी जरूरी है लेकिन एक महीने के अंदर कोचिंग सेंटर को बंद करने से हजारों छात्रों की पढ़ाई का नुकसान होने के साथ ही, सैकड़ों अध्यापक बेरोजगार हो सकते हैं. इस समस्या की तरफ भी ध्यान देना जरूरी है.
मुखर्जी नगर की घटना बेहद दुखद थी और हम सब के लिए आंख खोलने वाली है. लेकिन उसके बाद जिस तरह सरकार या न्यायपालिका अचानक कोचिंग संस्थानों को बंद करा रही है वह उचित नहीं है. सुरक्षा संबंधी पहल जरूरी हैं, लेकिन इसे लागू करने के लिए प्रभावित पक्षों को भी समय दिया जाए. वरना इसका दुष्प्रभाव प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के साथ इस व्यवसाय से जुड़े अन्य लोगों पर भी पड़ेगा. -डॉ. अजय अनुराग, डायरेक्टर, विजडम आईएएस दिल्ली
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