नई दिल्ली: आधुनिक समय में व्यस्त जीवनशैली के साथ-साथ बिगड़ा हुआ सामाजिक ढांचा भी लोगों को बीमार बना रहा है. इस पर अपनी बात रखते हुए डॉ. कल्याण बनर्जी क्लीनिक के एम.डी डॉ. कुशल बनर्जी ने कहा दैनिक जीवनशैली लोगों में न्यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा दे रही है. वहीं, सामाजिक ढांचे में टूट भी इसका बहुत बड़ा कारण है.
डॉ. कुशल बनर्जी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति 60 वर्ष की उम्र में अपने कार्यालय से रिटायर होता है तो अचानक ही वह लोगों के बीच से अपने एक बंद कमरे में जिंदगी गुजारना शुरू कर देता है, जिससे अगले 5 साल में ही वह अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है.
वहीं ऑफिस में 8 घंटे कुर्सी पर बैठकर काम करने वाले युवाओं को भी न्यूरो से जुड़ी हुई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसको लेकर होम्योपैथी लगातार लोगों के इम्यून सिस्टम और बीमारी से संबंधित इलाज को प्रभावी तौर पर लाभ पहुंचाती है.
उन्होंने बताया कि ऐसे कई मरीज मेरे के पास आए जो लगातार दवाई लेने के बाद भी ठीक नहीं हो पा रहे थे. कई वर्षों से दवाओं पर ही जीवन यापन कर रहे थे. ऐस में मरीज को अंग्रेजी दवाओं के सेवन को धीरे-धीरे कम किया जाता है और साथ में होम्योपैथी इलाज शुरू किया जाता है. बाद में मरीजों को होम्योपैथी दवा भी नहीं लेनी पड़ती है.
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सभी दवा पद्धति के साझा केंद्र बनाने की पहल का स्वागत
डॉ. बनर्जी ने सभी दवा पद्धतियों को एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराए जाने के विचार का स्वागत करते हुए कहा कि निश्चित ही सभी दवा पद्धतियों का अपना-अपना प्रभाव क्षेत्र है. कई एक ऐसी बीमारियां हैं, जिसका इलाज केवल होम्योपैथी आयुर्वेद में ही है. ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में यदि मरीजों को दवाई उपलब्ध कराई जाती है तो वह निश्चित ही प्रभावी होगा.
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