नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने सभी तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से समुद्र में सीवेज और औद्योगिक कचरा डालने से रोकने के लिए एक्शन प्लान तलब किया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने के अंदर अपना-अपना एक्शन प्लान सौंप दें.
NGT ने दी चेतावनी
एनजीटी ने इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चेतावनी दी कि अगर एक महीने के अंदर एक्शन प्लान नहीं सौंपा गया तो उसके बाद एक्शन प्लान सौंपे जाने तक हर महीने दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
इन राज्यों को देना होगा एक्शन प्लान
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वे तीन महीने के अंदर समग्र एक्शन प्लान एनजीटी में दाखिल करें. एनजीटी ने जिन राज्यों से एक्शन प्लान तलब किया है उनमें केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, लक्षद्वीप, दमन और दीउ, गुजरात, दादर और नागर हवेली, अंडमान और निकोबार और पुडुचेरी शामिल हैं.
समुद्र के किनारे बसे हैं 77 शहर
एनजीटी ने कहा कि समुद्र का पानी समुद्री जीवों, मछलियों के लिए फिट होना चाहिए. भारत में साढ़े सात हजार किलोमीटर से ज्यादा का समुद्री तट है. एनजीटी ने कहा कि भारत के 77 शहर समुद्र के किनारे बसे हैं. जिसमें कुछ की काफी घनी आबादी है.
याचिका दायर
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सर्वदमन सिंह ओबेरॉय ने याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि भारत के तटीय क्षेत्रों के समुद्र की पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए.
सीवेज और कचरा डालने से प्रदूषित हुए तट
याचिका में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 1982-86 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. जिसमें सीवेज के कचरे से समुद्र में प्रदूषण और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का जिक्र किया गया है. कुछ तटीय इलाके सीवेज और कचरा डालने की वजह से काफी प्रदूषित हो चुके हैं.
मैनेजमेंट अथॉरिटी के रहते भी कोई सुधार नहीं
याचिका में कहा गया है कि समुद्र के पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए नेशनल कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन किया गया है. लेकिन उसके बावजूद समुद्र के पानी में प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई है.