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शाबाश दिल्ली पुलिस! बच्चों की सुरक्षा के लिए चलाया जा रहा है 'नाजुक'

डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराध के लिए पुलिसकर्मियों को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसी कोई भी घटना अगर उनके संज्ञान में आती है तो तुरंत पीड़ित बच्चे को उपचार दिलवाया जाता है और कानूनी कार्रवाई की जाती है.

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Published : Nov 18, 2019, 10:00 AM IST

बच्चों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने चलाया 'नाजुक' कार्यक्रम

नई दिल्ली: छोटे बच्चों से यौन शोषण के मामले पुलिस के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं. ऐसी अधिकांश घटनाओं में आरोपी बच्चों के परिचित ही होते हैं. इसलिए इन घटनाओं को रोकने के लिए परिजनों का जागरूक होना ही सबसे आवश्यक है.

बच्चों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने चलाया 'नाजुक' कार्यक्रम

इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर पश्चिम जिला में 'नाजुक' नाम से कार्यक्रम शुरू किया गया. जो पूरी दिल्ली में चलाया जा रहा है. इसके जरिए बच्चों, परिजनों एवं समाज के लोगों को ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूक किया जाता है.

उत्तर-पश्चिम जिला की डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराध के लिए पुलिसकर्मियों को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसी कोई भी घटना अगर उनके संज्ञान में आती है तो तुरंत पीड़ित बच्चे को उपचार दिलवाया जाता है और कानूनी कार्रवाई की जाती है. लेकिन इस तरह की घटनाओं को कम करना पुलिस, परिजन एवं समाज की जिम्मेदारी है. इसे ध्यान में रखते हुए ही उत्तर पश्चिम जिला से नाजुक कार्यक्रम शुरू किया गया है.

लोगों को जागरुक करता है 'नाजुक'
इस कार्यक्रम के तहत छोटे बच्चों, परिजनों एवं उनके परिवार के सदस्यों को पुलिस द्वारा जागरूक किया जाता है. उन्हें यह बताया जाता है कि किस प्रकार की लापरवाही से छोटे बच्चों को यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. यह लोग बाहरी कम होते हैं, बच्चों के परिचित ही उन्हें यौन शोषण का शिकार बनाते हैं. घर से बाहर जब लोग जाते हैं तो वहां पर वह अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहते हैं. लेकिन जब वह अपने घर आ जाते हैं तो बच्चों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं रहते. उन्हें ऐसा लगता है कि यहां पर उनके बच्चे पूरी तरीके से सुरक्षित हैं. उनकी सतर्कता कम होते ही बच्चों के सुरक्षा कम हो जाती है.

बच्चों को किया जाता है जागरुक
इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को यह बताया जाता है कि अगर उनके साथ ऐसी कोई घटना होती है तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है. यह देखने में आता है कि यौन शोषण करने वाले बच्चों को डराते हैं कि अगर तुमने यह बात किसी को बताई तो तुम्हें नुकसान पहुंचाएंगे. बच्चे डर कर यह बात किसी को नहीं बताते. इसलिए बच्चों को यह समझाया जाता है कि वह अपने परिजन, शिक्षक, पुलिस या परिवार के किसी भी शख्स से इस बारे में बात कर सकते हैं. यह सभी लोग उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें अपराध से बचाना इन सबकी नैतिक जिम्मेदारी है.

लड़कों को भी यौन शोषण का खतरा
डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि आमतौर पर परिजन लड़कियों के प्रति ज्यादा अलर्ट रहते हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर वह खास तौर पर चौकन्ना रहते हैं, जबकि लड़के को लेकर वह उतना गंभीर नहीं होते. यह देखने में आता है कि कई बार लड़कों को भी यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. ऐसे कई मामले पुलिस की जांच में सामने आए हैं. इसलिए परिजनों को छोटे बच्चों को लेकर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है चाहे बेटा हो या बेटी.

बच्चों से आगे आने की अपील
डीसीपी विजयंता आर्य ने बच्चों से अपील की है कि अगर उनके साथ कोई भी गलत व्यवहार करता है जो उन्हें ठीक नहीं लगता तो इसकी शिकायत तुरंत अपने परिजनों और पुलिस से करें. इसे लेकर चुप ना बैठे. उनके आगे आने से दोषी को सजा दिलाने में मदद मिलेगी.

नई दिल्ली: छोटे बच्चों से यौन शोषण के मामले पुलिस के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं. ऐसी अधिकांश घटनाओं में आरोपी बच्चों के परिचित ही होते हैं. इसलिए इन घटनाओं को रोकने के लिए परिजनों का जागरूक होना ही सबसे आवश्यक है.

बच्चों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने चलाया 'नाजुक' कार्यक्रम

इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर पश्चिम जिला में 'नाजुक' नाम से कार्यक्रम शुरू किया गया. जो पूरी दिल्ली में चलाया जा रहा है. इसके जरिए बच्चों, परिजनों एवं समाज के लोगों को ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूक किया जाता है.

उत्तर-पश्चिम जिला की डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराध के लिए पुलिसकर्मियों को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसी कोई भी घटना अगर उनके संज्ञान में आती है तो तुरंत पीड़ित बच्चे को उपचार दिलवाया जाता है और कानूनी कार्रवाई की जाती है. लेकिन इस तरह की घटनाओं को कम करना पुलिस, परिजन एवं समाज की जिम्मेदारी है. इसे ध्यान में रखते हुए ही उत्तर पश्चिम जिला से नाजुक कार्यक्रम शुरू किया गया है.

लोगों को जागरुक करता है 'नाजुक'
इस कार्यक्रम के तहत छोटे बच्चों, परिजनों एवं उनके परिवार के सदस्यों को पुलिस द्वारा जागरूक किया जाता है. उन्हें यह बताया जाता है कि किस प्रकार की लापरवाही से छोटे बच्चों को यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. यह लोग बाहरी कम होते हैं, बच्चों के परिचित ही उन्हें यौन शोषण का शिकार बनाते हैं. घर से बाहर जब लोग जाते हैं तो वहां पर वह अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहते हैं. लेकिन जब वह अपने घर आ जाते हैं तो बच्चों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं रहते. उन्हें ऐसा लगता है कि यहां पर उनके बच्चे पूरी तरीके से सुरक्षित हैं. उनकी सतर्कता कम होते ही बच्चों के सुरक्षा कम हो जाती है.

बच्चों को किया जाता है जागरुक
इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को यह बताया जाता है कि अगर उनके साथ ऐसी कोई घटना होती है तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है. यह देखने में आता है कि यौन शोषण करने वाले बच्चों को डराते हैं कि अगर तुमने यह बात किसी को बताई तो तुम्हें नुकसान पहुंचाएंगे. बच्चे डर कर यह बात किसी को नहीं बताते. इसलिए बच्चों को यह समझाया जाता है कि वह अपने परिजन, शिक्षक, पुलिस या परिवार के किसी भी शख्स से इस बारे में बात कर सकते हैं. यह सभी लोग उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें अपराध से बचाना इन सबकी नैतिक जिम्मेदारी है.

लड़कों को भी यौन शोषण का खतरा
डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि आमतौर पर परिजन लड़कियों के प्रति ज्यादा अलर्ट रहते हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर वह खास तौर पर चौकन्ना रहते हैं, जबकि लड़के को लेकर वह उतना गंभीर नहीं होते. यह देखने में आता है कि कई बार लड़कों को भी यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. ऐसे कई मामले पुलिस की जांच में सामने आए हैं. इसलिए परिजनों को छोटे बच्चों को लेकर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है चाहे बेटा हो या बेटी.

बच्चों से आगे आने की अपील
डीसीपी विजयंता आर्य ने बच्चों से अपील की है कि अगर उनके साथ कोई भी गलत व्यवहार करता है जो उन्हें ठीक नहीं लगता तो इसकी शिकायत तुरंत अपने परिजनों और पुलिस से करें. इसे लेकर चुप ना बैठे. उनके आगे आने से दोषी को सजा दिलाने में मदद मिलेगी.

Intro:नई दिल्ली
छोटे बच्चों से यौन शोषण के मामले पुलिस के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. ऐसी अधिकांश घटनाओं में आरोपी बच्चों के परिचित ही होते हैं. इसलिए इन घटनाओं को रोकने के लिए परिजनों का जागरूक होना ही सबसे आवश्यक है. इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर पश्चिम जिला में नाजुक नाम से कार्यक्रम शुरू किया गया जो पूरी दिल्ली में चलाया जा रहा है. इसके जरिए बच्चों परिजनों एवं समाज के लोगों को ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूक किया जाता है.


Body:उत्तर-पश्चिम जिला की डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराध के लिए पुलिसकर्मियों को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसी कोई भी घटना अगर उनके संज्ञान में आती है तो तुरंत पीड़ित बच्चे को उपचार दिलवाया जाता है और कानूनी कार्रवाई की जाती है. लेकिन इस तरह की घटनाओं को कम करना पुलिस, परिजन एवं समाज की जिम्मेदारी है. इसे ध्यान में रखते हुए ही उत्तर पश्चिम जिला से नाजुक कार्यक्रम शुरू किया गया है.



लोगों को जागरुक करता है "नाजुक"
इस कार्यक्रम के तहत छोटे बच्चों, परिजनों एवं उनके परिवार के सदस्यों को पुलिस द्वारा जागरूक किया जाता है. उन्हें यह बताया जाता है कि किस प्रकार की लापरवाही से छोटे बच्चों को यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. यह लोग बाहरी कम होते हैं, बच्चों के परिचित ही उन्हें यौन शोषण का शिकार बनाते हैं. घर से बाहर जब लोग जाते हैं तो वहां पर वह अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहते हैं. लेकिन जब वह अपने घर आ जाते हैं तो बच्चों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं रहते. उन्हें ऐसा लगता है कि यहां पर उनके बच्चे पूरी तरीके से सुरक्षित हैं. उनकी सतर्कता कम होते ही बच्चों के सुरक्षा कम हो जाती है.



बच्चों को किया जाता है जागरुक
इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को यह बताया जाता है कि अगर उनके साथ ऐसी कोई घटना होती है तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है. यह देखने में आता है कि यौन शोषण करने वाले बच्चों को डराते हैं.कि अगर तुमने यह बात किसी को बताई तो तुम्हें नुकसान पहुंचाएंगे. बच्चे डर कर यह बात किसी को नहीं बताते. इसलिए बच्चों को यह समझाया जाता है कि वह अपने परिजन, शिक्षक,पुलिस अंकल या परिवार के किसी भी शख्स से इस बारे में बात कर सकते हैं. यह सभी लोग उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें अपराध से बचाना इन सबकी नैतिक जिम्मेदारी है.


लड़कों को भी यौन शोषण का खतरा
डीसीपी विजयंता आर्य ने बताया कि आमतौर पर परिजन लड़कियों के प्रति ज्यादा अलर्ट रहते हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर वह खास तौर पर चौकन्ना रहते हैं, जबकि लड़के को लेकर वह उतना गंभीर नहीं होते. यह देखने में आता है कि कई बार लड़कों को भी यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. ऐसे कई मामले पुलिस की जांच में सामने आए हैं. इसलिए परिजनों को छोटे बच्चों को लेकर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है चाहे बेटा हो या बेटी.


Conclusion:बच्चों से आगे आने की अपील
डीसीपी विजयंता आर्य ने बच्चों से अपील की है कि अगर उनके साथ कोई भी गलत व्यवहार करता है जो उन्हें ठीक नहीं लगता तो इसकी शिकायत तुरंत अपने परिजनों और पुलिस से करें. इसे लेकर चुप ना बैठे. उनके आगे आने से दोषी को सजा दिलाने में मदद मिलेगी.
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