नई दिल्ली: ओपन बुक एग्जाम दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में 1 जुलाई से 11 जुलाई के बीच आयोजित होंगी. लेकिन इसको लेकर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब इस परीक्षा को लेकर नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड ने विरोध जताया है. फेडरेशन का कहना है कि परीक्षा के लिए दिव्यांग छात्रों के पास ना इंटरनेट की सुविधा है ना ही कंप्यूटर की है. साथ ही ना ही वह अभी तक ऑनलाइन एग्जाम के तकनीकी पहलुओं से परिचित हैं. इसको लेकर फेडरेशन ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है, जिसकी सुनवाई 9 जून को होगी.
छात्रों के लिए एग्जाम देना मुश्किल
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किए जाने वाले ओपन बुक एग्जाम के विरोध में नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड खड़ा हो गया है. फेडरेशन का कहना है कि दृष्टिबाधित छात्र इस तरह की परीक्षा के लिए तकनीकी रूप से सशक्त नहीं है. इसके अलावा कोविड-19 के खतरे के बीच उनके लिए किसी भी तरह का राइटर मिलना भी मुश्किल है. खासतौर पर तब जब छात्र दूरदराज गांव में चले गए हैं.
संसाधनों से नहीं हैं परिचित
वहीं नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड के जनरल सेक्रेटरी एसके रूंगटा ने कहा कि उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने तर्क दिया है कि ब्रेल किताबों के इस्तेमाल से परीक्षा देने वाले दृष्टिबाधित छात्र ओपन बुक एग्जाम देने में सक्षम नहीं है. साथ ही वह इंटरनेट और कंप्यूटर जैसे संसाधनों से भी महरूम नहीं हैं. वहीं ऑनलाइन एग्जाम के तकनीकी पहलुओं से भी वो परिचित नहीं हैं. बता दें कि इस याचिका पर सुनवाई 9 जून को होगी.
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दिव्यांग छात्रों को पहले ही परीक्षा के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है. इसके अलावा उन्हें छूट दी गई है कि इंटरनेट या कंप्यूटर न होने पर वह नजदीकी कंप्यूटर सेंटर में जाकर पेपर दे सकते हैं और अपने साथ राइटर भी ले जा सकते हैं.