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NCB के शिकंजे में आया भारत के पहले डार्क नेट सिंडिकेट का सबसे बड़ा खिलाड़ी

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने डार्क नेट से चल रहे ड्रग्स खरीद-फरोख्त के सबसे बड़े सौदागर पर शिकंजा कसा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक ऑपरेशन कर देश भर के तमाम एजेंसियों के साथ मिलकर इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया, जो डार्क नेट से चलाया जा रहा था.

Narcotics Control bureau
डार्क नेट
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Published : Feb 10, 2020, 7:15 AM IST

नई दिल्ली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने इतिहास में पहली बार एक ऐसे ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है. जिसके तार देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से जुड़े थे. दिसंबर में इस ऑपरेशन की शुरुआत की गई और देश भर के तमाम एजेंसियों के साथ मिलकर इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया गया जो डार्क नेट से चलाया जा रहा था.

26 अफसरों की बनाई गई टीम
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर आर एन श्रीवास्तव और जोनल डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक इसके लिए एक टीम बनाई गई. जिसमें 26 लोग शामिल थे. जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के बेहतरीन अफसरों को भी शामिल किया गया.

NCB ने ड्रग्स सौदागर पर कसा शिकंजा
जांच में पता चला कि मुंबई के एक फॉरेन पोस्ट ऑफिस से इन्हीं ड्रग्स की खेप यूके जाने वाली थी, तब उस खेप को बरामद किया गया. जिसमें 9 हजार ड्रग्स की टेबलेट पहले पकड़ी गई. फिर देश भर में रेड कर और अलग-अलग खेप को बरामद किया गया. जिसमें 22 हजार टेबलेट और बरामद की गई. यहां से NCB ने डार्क नेट से चल रहे ड्रग्स खरीद-फरोख्त के सबसे बड़े सौदागर पर शिकंजा कसा है.

गिरफ्तार आरोपी का नाम दीपू है
गिरफ्तार आरोपी का नाम दीपू सिंह है, जो कि लखनऊ का रहने वाला बताया जा रहा है. आरोपी एमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुका है और डार्क नेट बाजार में अच्छी खासी घुसपैठ आरोपी ने बना रखी है.

डार्कनेट के जरिये चल रहा था ये खेल
दरअसल डार्कनेट इंटरनेट का 96% हिस्सा है. जिसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल है. जिसका दुनिया भर में बड़े-बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि डार्क नेट की दुनिया में मौजूद लोग गोपनीय तरीके से अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं. डार्क नेट पर होने वाली हर डील देश और दुनिया के लोग केवल वर्चुअल मनी के जरिए ही की जाती है, ताकि एजेंसी इन तक ना पहुंच सके.

डार्कनेट का आपराधिक मामलों में इस्तेमाल होता है
जबकि ऐसा नहीं है कि डार्क नेट पर केवल गैरकानूनी काम ही होता है. देश भर की कई एजेंसियां डार्क नेट के जरिए कई बड़े आपराधिक मामलों में सुराग इकट्ठा करती हैं, बल्कि देश की सुरक्षा पर भी नजर रखती हैं. सबसे पहले डार्क नेट का इस्तेमाल अमेरिकन नेवी ने अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किया था.

नई दिल्ली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने इतिहास में पहली बार एक ऐसे ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है. जिसके तार देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से जुड़े थे. दिसंबर में इस ऑपरेशन की शुरुआत की गई और देश भर के तमाम एजेंसियों के साथ मिलकर इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया गया जो डार्क नेट से चलाया जा रहा था.

26 अफसरों की बनाई गई टीम
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर आर एन श्रीवास्तव और जोनल डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक इसके लिए एक टीम बनाई गई. जिसमें 26 लोग शामिल थे. जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के बेहतरीन अफसरों को भी शामिल किया गया.

NCB ने ड्रग्स सौदागर पर कसा शिकंजा
जांच में पता चला कि मुंबई के एक फॉरेन पोस्ट ऑफिस से इन्हीं ड्रग्स की खेप यूके जाने वाली थी, तब उस खेप को बरामद किया गया. जिसमें 9 हजार ड्रग्स की टेबलेट पहले पकड़ी गई. फिर देश भर में रेड कर और अलग-अलग खेप को बरामद किया गया. जिसमें 22 हजार टेबलेट और बरामद की गई. यहां से NCB ने डार्क नेट से चल रहे ड्रग्स खरीद-फरोख्त के सबसे बड़े सौदागर पर शिकंजा कसा है.

गिरफ्तार आरोपी का नाम दीपू है
गिरफ्तार आरोपी का नाम दीपू सिंह है, जो कि लखनऊ का रहने वाला बताया जा रहा है. आरोपी एमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुका है और डार्क नेट बाजार में अच्छी खासी घुसपैठ आरोपी ने बना रखी है.

डार्कनेट के जरिये चल रहा था ये खेल
दरअसल डार्कनेट इंटरनेट का 96% हिस्सा है. जिसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल है. जिसका दुनिया भर में बड़े-बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि डार्क नेट की दुनिया में मौजूद लोग गोपनीय तरीके से अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं. डार्क नेट पर होने वाली हर डील देश और दुनिया के लोग केवल वर्चुअल मनी के जरिए ही की जाती है, ताकि एजेंसी इन तक ना पहुंच सके.

डार्कनेट का आपराधिक मामलों में इस्तेमाल होता है
जबकि ऐसा नहीं है कि डार्क नेट पर केवल गैरकानूनी काम ही होता है. देश भर की कई एजेंसियां डार्क नेट के जरिए कई बड़े आपराधिक मामलों में सुराग इकट्ठा करती हैं, बल्कि देश की सुरक्षा पर भी नजर रखती हैं. सबसे पहले डार्क नेट का इस्तेमाल अमेरिकन नेवी ने अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किया था.

Intro:नई दिल्ली

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने इतिहास में पहली बार एक ऐसे ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है जिसके तार देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से जुड़े थे दिसंबर में इस ऑपरेशन की शुरुआत की गई और देश भर के तमाम एजेंसियों के साथ मिलकर इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया गया जो डार्क नेट से चलाया जा रहा था


Body:26 अफसरों की बनाई गई टीम

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर आर एन श्रीवास्तव और जोनल डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक इसके लिए एक टीम बनाई गई जिसमें 26 लोग शामिल थे जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के तेजतर्रार अफसरों को भी शामिल किया गया

NCB ने ड्रग्स सौदागर पर कसा शिकंजा

जांच में पता चला कि मुंबई के एक फॉरेन पोस्ट ऑफिस से इन्हीं ड्रग्स की खेप यूके जाने वाली थी तब उस खेप को बरामद किया गया जिसमें 9 हजार ड्रग्स की टेबलेट पहले पकड़ी गई फिर देश भर में रेड कर और अलग-अलग खेप को बरामद किया गया और 22 हजार टेबलेट और बरामद की गई यहां से NCB ने डार्क नेट से चल रहे ड्रग्स खरीद-फरोख्त के सबसे बड़े सौदागर पर शिकंजा कसा है


गिरफ्तार आरोपी का नाम दीपू है
गिरफ्तार आरोपी का नाम दीपू सिंह है जो कि लखनऊ का रहने वाला बताया जा रहा है और एमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुका है और डार्क नेट बाजार में अच्छी खासी घुसपैठ आरोपी ने बना रखी है
बाइट - आर एन, श्रीवास्तव डिप्टी डायरेक्टर, एनसीबी


Conclusion:डार्कनेट के जरिये चल रहा था ये खेल

दरअसल डार्कनेट इंटरनेट का 96% हिस्सा है जिसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल है जिसका दुनिया भर में बड़े-बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि डार्क नेट की दुनिया में मौजूद लोग गोपनीय तरीके से अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं और डार्क नेट पर होने वाली हर डील देश और दुनिया के लोग केवल वर्चुअल मनी के जरिए ही करते हैं ताकि एजेंसी इन तक ना पहुंच सके

डार्कनेट का आपराधिक मामलों में इस्तेमाल होता है

जबकि ऐसा नहीं है कि डार्क नेट पर केवल गैरकानूनी काम ही होता है देश भर की कई एजेंसियां डार्क नेट के जरिए कई बड़े आपराधिक मामलों में सुराग इकट्ठा करती हैं बल्कि देश की सुरक्षा पर भी नजर रखती हैं सबसे पहले डार्क नेट का इस्तेमाल अमेरिकन नेवी ने अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किया था
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